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खाने की बीमारी से जूझ रही महिला ने 72 किलो कम कर दिखाया कमाल!

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क्या आपने कभी सोचा कि अगर आपका वजन ज्यादा हो और साथ में कई बीमारियां भी हों, तो वजन कम करना कितना मुश्किल हो सकता है? लेकिन फिटनेस और न्यूट्रिशन कोच एम्मा हुकर ने यह नामुमकिन काम कर दिखाया। उन्होंने न सिर्फ अपनी सेहत की चुनौतियों से लड़ाई लड़ी, बल्कि 72 किलो वजन भी कम किया। सोशल मीडिया पर अपनी प्रेरणादायक कहानी साझा करते हुए एम्मा ने बताया कि कैसे उन्होंने एडीएचडी और खाने से जुड़ी बीमारी (ईटिंग डिसऑर्डर) के बावजूद यह कमाल किया। आइए, जानते हैं उनकी इस प्रेरक यात्रा के बारे में, जिसमें उन्होंने अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव कर खुद को फिट और हेल्दी बनाया।

एडीएचडी और खाने की बीमारी: एक बड़ी चुनौती

एडीएचडी यानी अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर एक ऐसी न्यूरोडेवलपमेंटल बीमारी है, जिसके कारण एम्मा को कई बार घंटों तक भूख का अहसास नहीं होता था। लेकिन अचानक वह जरूरत से ज्यादा खा लेती थीं। इस अनियमित खान-पान की वजह से उनका वजन बढ़ता गया। एम्मा ने इस समस्या से निपटने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने अपने खाने का समय तय करने के लिए टाइमर का इस्तेमाल शुरू किया और अपने शरीर के भूख के संकेतों पर ध्यान देना सीखा। इससे उनकी खाने की आदतों में सुधार हुआ और वह धीरे-धीरे संतुलित डाइट की ओर बढ़ीं।

बोरियत थी बड़ी दुश्मन

एम्मा ने बताया कि कई बार बोरियत की वजह से वह बिना भूख के स्नैक्स खा लेती थीं। यह आदत उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गई थी। इस समस्या से निपटने के लिए उन्होंने अपनी दिनचर्या में बदलाव किया। दिन में नियमित और संतुलित भोजन लेना शुरू किया और रात में हल्का खाना खाया। इससे न सिर्फ उनकी भूख कंट्रोल हुई, बल्कि बार-बार कमजोरी महसूस होने की समस्या भी कम हुई। एम्मा का मानना है कि सही समय पर सही मात्रा में खाना उनकी सफलता का सबसे बड़ा राज रहा।

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संतुलित डाइट और दृढ़ निश्चय का कमाल

एम्मा ने अपनी डाइट को पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने जंक फूड और अनहेल्दी स्नैक्स को अलविदा कह दिया और पौष्टिक भोजन को अपनाया। वह दिनभर में छोटे-छोटे मील लेती थीं, ताकि शरीर को लगातार एनर्जी मिलती रहे। रात में ज्यादा भारी खाने की जगह उन्होंने हल्की और बैलेंस्ड डाइट को चुना। इस तरह के छोटे-छोटे बदलावों ने उनकी सेहत में बड़ा बदलाव लाया। एम्मा का कहना है कि यह सब उनके दृढ़ निश्चय और सही प्लानिंग का नतीजा था।

प्रेरणा लेने की बारी आपकी!

एम्मा हुकर की यह कहानी हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो अपने वजन और सेहत की समस्याओं से जूझ रहा है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि अगर मन में ठान लिया जाए, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। चाहे बीमारी हो या कोई और रुकावट, सही दिशा में उठाए गए कदम आपको आपकी मंजिल तक जरूर पहुंचाते हैं। तो, अगर आप भी अपनी फिटनेस जर्नी शुरू करना चाहते हैं, तो एम्मा की तरह हिम्मत जुटाइए और आज से ही शुरुआत कर दीजिए!

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