नई दिल्ली: क्या आपने कभी सोचा था कि ₹5 का पारले-जी बिस्कुट ₹4.45 में मिलेगा? जी हाँ, जीएसटी की नई दरों ने बाजार में हलचल मचा दी है। दो दशकों में पहली बार पारले-जी की कीमत में बदलाव हुआ है। अब इसका सबसे छोटा पैक ₹4.45 में मिल रहा है। सिर्फ पारले-जी ही नहीं, कई रोजमर्रा की चीजों की कीमतें भी अजीब हो गई हैं। मसलन, ₹1 वाली टॉफी अब 88 पैसे में और ₹2 का शैम्पू पाउच अब ₹1.77 में मिल रहा है। लेकिन सवाल यह है कि इतने अजीब दामों का पेमेंट कैसे होगा? आइए जानते हैं इस बदलाव की पूरी कहानी।
जीएसटी ने बदला खेल, लेकिन क्यों है असमंजस?जीएसटी की नई दरें लागू होने के बाद कई FMCG कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट्स की कीमतें बदल दी हैं। लेकिन इस बदलाव के पीछे एक उलझन है। कंपनियों को डर है कि अगर वे कीमत कम करने के बजाय प्रोडक्ट का वजन बढ़ा दें, तो क्या सरकार इसे कीमत में कटौती मानेगी? इस सवाल का जवाब अभी तक साफ नहीं है। यही वजह है कि कंपनियां सरकार से स्पष्टीकरण मांग रही हैं। पारले प्रोडक्ट्स के वाइस प्रेसिडेंट मयंक शाह का कहना है कि शुरुआत में ग्राहकों को थोड़ा अटपटा लग सकता है। लेकिन वे उम्मीद करते हैं कि लोग UPI से पेमेंट करेंगे या फिर बड़े पैक खरीदकर हिसाब बराबर करेंगे।
कैडबरी और ओरियो की कीमतों में भी उलटफेरबात सिर्फ पारले-जी तक सीमित नहीं है। कैडबरी चॉकलेट और ओरियो बिस्कुट बनाने वाली कंपनी मोंडलेज ने भी अपने सभी प्रोडक्ट्स की कीमतें बदल दी हैं। अब बॉर्नविटा, जो पहले ₹30 में मिलता था, वह ₹26.69 में उपलब्ध है। ओरियो बिस्कुट का ₹10 वाला पैक अब ₹8.90 में मिलेगा। इसी तरह, जेम्स और 5 स्टार का ₹20 वाला पैक अब सिर्फ ₹17.80 में मिल रहा है। मोंडलेज ने अपने डीलरों और ग्राहकों को साफ कर दिया है कि नई MRP में जीएसटी का फायदा शामिल है। डीलरों को यह फायदा ग्राहकों तक पहुंचाना होगा।
सरकार का दबाव, ग्राहकों को फायदासरकार चाहती है कि जीएसटी की कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुंचे। ज्यादातर रोजमर्रा की चीजें अब कम टैक्स वाले स्लैब में आ गई हैं। लेकिन कंपनियों के सामने एक और सवाल है। क्या वे कीमत कम करने के बजाय प्रोडक्ट की मात्रा बढ़ाकर फायदा दे सकती हैं? इस बारे में सरकार ने अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियां कुछ समय के लिए ₹5 और ₹10 जैसी गोल कीमतों से दूर जा सकती हैं। इसका कारण यह है कि छोटे पैकेट की डिमांड ज्यादा है, और कंपनियां ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नई रणनीति बना रही हैं।
अब क्या होगा पेमेंट का?इन अजीब कीमतों का पेमेंट कैसे होगा, यह बड़ा सवाल है। मयंक शाह का कहना है कि UPI जैसे डिजिटल पेमेंट इस समस्या का हल हो सकते हैं। साथ ही, कंपनियां बड़े पैक को बढ़ावा दे रही हैं ताकि कीमतों का हिसाब आसान हो। लेकिन ग्राहकों को अभी थोड़ा धैर्य रखना होगा, क्योंकि जीएसटी नियमों पर स्पष्टता आने में समय लग सकता है।
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