कमल हासन, भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और 70 वर्षीय व्यक्तित्व, अपने बेबाक अंदाज के लिए हमेशा चर्चा में रहते हैं। हाल ही में एक सवाल ने फिर से सुर्खियां बटोरीं, जब उनसे पूछा गया कि एक अच्छे ब्राह्मण परिवार से होने के बावजूद उन्होंने दो शादियां क्यों कीं। कमल हासन ने इस सवाल का जवाब अपने चिर-परिचित अंदाज में दिया, जिसने न केवल सवालकर्ता को चुप करा दिया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी। आइए, इस घटना को करीब से समझते हैं और उनके जवाब के पीछे की सोच को जानते हैं।
सवाल और कमल हासन का जवाब
कमल हासन से जब यह सवाल किया गया कि एक ब्राह्मण परिवार से होने के बावजूद उन्होंने दो शादियां क्यों कीं, तो उन्होंने बिना हिचक जवाब दिया, “क्योंकि मैं राम के रास्ते पर नहीं चलता।” यह जवाब न केवल तीखा था, बल्कि इसमें उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण की झलक भी मिलती है। कमल हासन का यह बयान उनके उन विचारों को दर्शाता है, जो परंपराओं और सामाजिक बंधनों से परे हैं। उन्होंने हमेशा अपने फैसलों को तर्क और व्यक्तिगत विश्वास के आधार पर लिया है।
कमल हासन का जीवन और विवाद
कमल हासन का जीवन हमेशा से विवादों और चर्चाओं का केंद्र रहा है। उन्होंने अपने करियर में न केवल सिनेमा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी खुलकर अपनी राय रखी। उनकी पहली शादी वाणी गणपति से हुई थी, जो 1988 में खत्म हो गई। इसके बाद, उन्होंने 1988 में अभिनेत्री सारिका से शादी की, लेकिन यह रिश्ता भी 2004 में टूट गया। इन दोनों शादियों से उनकी दो बेटियां, श्रुति और अक्षरा हासन, हैं। कमल हासन ने अपने निजी जीवन के फैसलों को कभी छिपाया नहीं और हमेशा खुलकर अपनी बात रखी।
जवाब में छिपा दर्शन
कमल हासन का यह कहना कि “मैं राम के रास्ते पर नहीं चलता” केवल एक जवाब नहीं, बल्कि एक गहरे दर्शन का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि वे धार्मिक या सामाजिक मान्यताओं को आंख मूंदकर स्वीकार करने के बजाय, अपने तर्क और अनुभवों के आधार पर जीवन जीते हैं। उनका यह बयान उन लोगों के लिए भी प्रेरणा हो सकता है, जो सामाजिक दबावों से परे अपने रास्ते चुनना चाहते हैं।
समाज की प्रतिक्रिया
कमल हासन का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जहां कुछ लोगों ने उनके साहस और स्पष्टवादिता की तारीफ की, वहीं कुछ ने इसे परंपराओं का अपमान माना। यह बयान एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि क्या व्यक्तिगत जीवन के फैसलों को सामाजिक और धार्मिक मापदंडों पर तौला जाना चाहिए। कमल हासन की यह बात निश्चित रूप से लंबे समय तक चर्चा में रहेगी।
You may also like
एनएचपीसी अधिकारियों की उप मुख्य सचेतक केवल पठानिया से शिष्टाचार भेंट
भाजपा पर बरसे रायजादा, बोले भाजपा की नियत में खोट
जयपुर में 21 से 24 अप्रैल तक यातायात व्यवस्था में बदलाव
नगर विकास विभाग ने वर्ष 2030 तक विज्ञापन से 158 करोड़ रुपए की आय का लगाया अनुमान
ब्राह्मण समाज संस्था ने फिल्म निर्माता निर्देशक पर किया कार्रवाई की मांग