देश के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक, HDFC बैंक ने अपने लाखों ग्राहकों को एक शानदार तोहफा दिया है। बैंक ने अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में 10 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की है, जिसका सीधा असर आपके लोन की मासिक किस्त (EMI) पर पड़ेगा। यह बदलाव 7 अप्रैल 2025 से लागू हो चुका है। अगर आपने होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन लिया है, तो यह खबर आपके लिए खुशखबरी लेकर आई है। आइए जानते हैं कि यह कटौती आपके लिए क्या मायने रखती है और इसका फायदा कैसे मिलेगा।
MCLR में कटौती का क्या है मतलब?
HDFC बैंक ने अपनी MCLR दरों को सभी अवधियों के लिए 0.10% कम कर दिया है। अब नई दरें 9.10% से 9.35% के बीच हैं। इसका मतलब है कि जिन लोगों ने MCLR से जुड़े फ्लोटिंग रेट लोन लिए हैं, उनकी ब्याज दरें कम होंगी, जिससे EMI में कमी आएगी। चाहे आपका लोन छोटी अवधि का हो या लंबी अवधि का, यह कटौती हर तरह के लोन पर लागू होगी। यह कदम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की हालिया रेपो रेट कटौती के बाद उठाया गया है, जिससे बैंकों को सस्ते में फंड मिल रहा है।
आपकी जेब को कितनी राहत?
अगर आपने HDFC बैंक से होम लोन लिया है, तो इस कटौती का सबसे ज्यादा फायदा आपको मिलेगा। उदाहरण के लिए, 50 लाख रुपये के 20 साल के होम लोन पर 10 बेसिस पॉइंट्स की कमी से आपकी मासिक EMI में सैकड़ों रुपये की बचत हो सकती है। कार लोन और पर्सनल लोन वाले ग्राहकों को भी इस बदलाव से राहत मिलेगी। यह छोटी-सी कटौती लंबे समय में हजारों रुपये की बचत करा सकती है, जिससे आप अपने दूसरे खर्चों को बेहतर तरीके से मैनेज कर पाएंगे।
क्या करें मौजूदा ग्राहक?
अगर आप पहले से HDFC बैंक के ग्राहक हैं और आपका लोन MCLR से जुड़ा है, तो आपकी EMI अपने आप कम हो जाएगी। हालांकि, यह बदलाव आपकी रीसेट तारीख पर लागू होगा, जो आपके लोन समझौते में तय होती है। अगर आपका लोन पुराने बेस रेट या बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (BPLR) से जुड़ा है, तो बैंक से संपर्क करके इसे MCLR या रेपो रेट से जोड़ने की संभावना तलाशें। नए ग्राहकों के लिए यह सही समय है, क्योंकि सस्ती ब्याज दरों का फायदा तुरंत मिलेगा।
भविष्य में और राहत की उम्मीद
HDFC बैंक का यह कदम न सिर्फ ग्राहकों के लिए राहत भरा है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था को गति देने में भी मदद करेगा। सस्ते लोन से लोग ज्यादा खरीदारी और निवेश करेंगे, जिससे बाजार में तेजी आएगी। अगर RBI भविष्य में और रेपो रेट कम करता है, तो MCLR में और कटौती की उम्मीद की जा सकती है।
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