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सौरभ हत्याकांड: मुस्कान और साहिल की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट का कड़ा रुख

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मेरठ का सौरभ कुमार राजपूत हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में है। इस दिल दहला देने वाले मामले में सौरभ की पत्नी मुस्कान रस्तोगी और उनके प्रेमी साहिल शुक्ला को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अपर जिला जज पवन कुमार शुक्ला ने दोनों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस जघन्य अपराध की गंभीरता और उपलब्ध साक्ष्यों को देखते हुए सख्त रुख अपनाया, जिससे पीड़ित परिवार और स्थानीय लोगों को कुछ राहत मिली है। यह फैसला न केवल इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि न्याय की उम्मीद को भी मजबूत करता है।

हत्या की साजिश और क्रूरता

सौरभ राजपूत, जो मर्चेंट नेवी में अफसर थे, की हत्या 3 मार्च 2025 को उनके मेरठ स्थित घर में हुई थी। पुलिस जांच के अनुसार, मुस्कान और साहिल ने मिलकर सौरभ की हत्या की साजिश रची थी। दोनों ने कथित तौर पर सौरभ को बेहोश करने के बाद उनकी हत्या की और शव के टुकड़े कर एक नीले ड्रम में सीमेंट के साथ सील कर दिया। हत्या के बाद दोनों हिमाचल प्रदेश घूमने चले गए, जिससे उनकी क्रूरता और बेपरवाही का अंदाजा लगता है। पुलिस ने मजबूत साक्ष्य और दोनों के कबूलनामे के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया था।

कोर्ट में क्या हुआ?

मुस्कान और साहिल ने अपनी जमानत के लिए 24 अप्रैल को याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट में हुई। उनकी वकील रेखा जैन ने दलील दी कि हत्या का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है और एफआईआर देर से दर्ज हुई। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि मामला अत्यंत गंभीर है और जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है। साथ ही, पीड़ित परिवार पर दबाव की आशंका भी जताई गई। अपर जिला जज पवन कुमार शुक्ला ने साक्ष्यों की मजबूती और अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी। अगली सुनवाई अब 9 मई को होगी।

जनता में आक्रोश, परिवार की मांग

इस हत्याकांड ने मेरठ के स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश पैदा किया है। सौरभ के परिवार ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और मांग की है कि दोनों आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। सौरभ की मां ने आरोप लगाया कि जेल में मुस्कान और साहिल को अनुचित संरक्षण मिल रहा है और उन्होंने दोनों के स्थानांतरण की मांग की है। इस बीच, पुलिस ने चार्जशीट तैयार कर ली है, जो जल्द ही कोर्ट में दाखिल की जाएगी। इसमें इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, डिजिटल पेमेंट रिकॉर्ड और फॉरेंसिक जांच के नतीजे शामिल हैं।

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