ग्वालियर, 25 अप्रैल . प्रतिबंध के बाबजूद नरवाई (फसल अवशेष) जलाना जिले के 60 किसानों को भारी पड़ा है. इन किसानों पर लगभग 2 लाख 14 हजार रुपये का अर्थदण्ड लगाया गया है. जिले के डबरा राजस्व अनुविभाग में स्थित विभिन्न ग्रामों के किसानों के खिलाफ डबरा एसडीएम दिव्यांशु चौधरी द्वारा शुक्रवार को यह कार्रवाई की गई है. अर्थदण्ड अधिरोपित करने के साथ-साथ वसूली की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है. अर्थदण्ड की राशि भू-राजस्व वसूली की तर्ज पर वसूल की जा रही है.
एसडीएम दिव्यांशु चौधरी ने बताया कि डबरा राजस्व अनुविभाग में गठित जाँच दलों द्वारा किए गए ग्रामीण क्षेत्र के भ्रमण के दौरान नरवाई जलाने की घटनाएँ सामने आईं थीं. जाँच के दौरान पाया गया कि ग्राम छपरा में 14 कृषकों द्वारा खेतों में फसल अवशेष जलाए गए हैं. इन किसानों पर 45 हजार रुपये का अर्थदण्ड अधिरोपित किया गया है. इसी तरह ग्राम बिर्राट में खेतों में नरवाई जलाने वाले 18 कृषकों पर एक लाख 5 हजार, ग्राम कल्याण में फसल अवशेष जलाने वाले 13 किसानों पर 41 हजार 500 रुपये एवं ग्राम समूदन में नरवाई जलाने वाले 15 कृषकों पर 22 हजार रुपये अर्थदण्ड लगाया गया है.
ज्ञात हो कि फसल के अवशेष जलाने से फैलने वाले प्रदूषण पर अंकुश, अग्नि दुर्घटनाएँ रोकने एवं जान-माल की रक्षा के उद्देश्य से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा-निर्देशों के तहत कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी रुचिका चौहान द्वारा पूर्व में ही आदेश जारी कर जिले में गेहूँ की नरवाई इत्यादि जलाने पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया जा चुका है.
आदेश में स्पष्ट किया गया था कि खेतों में अवशेष जलाए तो संबंधित किसानों को पर्यावरण मुआवजा अदा करना होगा. आदेश में स्पष्ट किया गया है कि दो एकड़ से कम भूमि धारक को 2500 रुपये प्रति घटना, दो एकड़ से अधिक व पाँच एकड़ से कम भूमि धारक को पाँच हजार रुपये प्रति घटना एवं पाँच एकड़ से अधिक भूमि धारक को 15 हजार रुपये प्रति घटना पर्यावरण मुआवजा देना होगा.
नरवाई जलाने से घटती है खेत की उर्वरा शक्ति
नरवाई जलाने से पर्यावरण को भारी क्षति पहुँचती है, साथ ही खेत की मिट्टी के लाभदायक सूक्ष्म जीवाणु मर जाते हैं. कहने का आशय है कि भूमि गर्म हो जाने से उर्वरता घट जाती है. इसलिए किसान भाईयों से अपील की गई है कि गेंहूँ की कटाई के बाद नरवाई न जलाएँ. नरवाई जलाना दण्डनीय अपराध है.
कृषि उप संचालक आर एस शाक्यवार ने बताया कि नरवाई जलाने से भूमि में अम्लीयता बढती है, जिससे मृदा को अत्यधिक क्षति पहुँचती है. सूक्ष्म जीवाणुओं की सक्रियता घटने लगती है एवं भूमि की जलधारण क्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पडता है. किसान भाई कम्बाईन हार्वेस्टर से कटाई के साथ ही भूसा बनाने की मशीन को प्रयुक्त कर यदि भूसा बनायेंगे तो पशुओं के लिए भूसा मिलेगा और फसल अवशेषों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा. साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी और पर्यावरण भी सुरक्षित होगा.
तोमर
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