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सभी की संकल्पशक्ति और सहभागिता से भारत पुनः बनेगा विश्वगुरु : मंत्री परमार

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– स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 तक विश्व के भरण पोषण में सामर्थ्यवान बनेगा भारत: उच्च शिक्षा मंत्री

भोपाल, 15 अप्रैल . स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष@2047 तक भारत को विकसित बनाने का पूरे देश का संकल्प है. विश्वमंच पर पुनः सिरमौर बनाने के लिए सभी को सहभागिता करने की आवश्यकता है. हम सभी को अपना योगदान देना होगा. भारत की गौरवशाली सभ्यता, विरासत, ज्ञान परम्परा एवं भाषाओं से प्रेरणा लेकर हम सभी को राष्ट्र के पुनर्निर्माण में सहभागिता करनी होगी. स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 में जब भारत विश्वगुरु बनेगा, तब हमारा विकसित भारत ऊर्जा एवं खाद्यान्न में आत्मनिर्भर होकर विश्व के अन्य देशों के भरण पोषण में भी सामर्थ्यवान बनेगा.

यह बात उच्च शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार ने मंगलवार को भोपाल स्थित टीआईटी टेक्नोक्रेट्स ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के सभागृह में आयोजित ग्रेजुएशन सेरेमनी-2025 के अवसर पर कही. उन्होंने दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को उपाधि एवं मेडल प्रदान कर, उन्हें उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं भी दीं. परमार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए भारत की समृद्ध विरासत, ज्ञान परम्परा और संकल्पना के संदर्भ में प्रकाश डालते हुए अभिप्रेरित किया.

मंत्री परमार ने कहा कि भारत अपनी ज्ञान परम्परा के आधार पर विश्वमंच पर सिरमौर था. भारत के पुरातन ज्ञान को पुनः विश्वमंच पर युगानुकुल परिप्रेक्ष्य में भारतीय दृष्टिकोण के साथ, प्रस्तुत करना होगा. इसके लिए हमें हमारे पूर्वजों की गौरवशाली ज्ञान परम्परा पर गर्व का भाव जागृत कर, उनके बनाए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में इंजीनियरिंग सहित समस्त विषयों में भारत का पुरातन ज्ञान विद्यमान है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने हमें हीन भावना से मुक्त होकर स्वाभिमान को जागृत करने का अवसर दिया है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने शिक्षा में भारतीय दृष्टि के समावेश का अवसर दिया है. इसके परिप्रेक्ष्य में हर विद्या हर क्षेत्र में भारत केंद्रित शिक्षा का समावेश हो रहा है.

परमार ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने प्रकृति, जल स्त्रोतों एवं सूर्य सहित समस्त ऊर्जा स्रोतों के संरक्षण के भाव से, शोध एवं अनुसंधान के आधार पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ समाज में परम्परा के रूप में स्थापित की. कृतज्ञता ज्ञापित करना हमारी संस्कृति और सभ्यता है. हमारे पूर्वज सूर्य उपासक थे, प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों की उपयोगिता और महत्व को जानते थे.

मंत्री परमार ने कहा कि स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष@2047 तक भारत, सौर ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा के क्षेत्र में आत्म निर्भर होकर, अन्य देशों की पूर्ति करने में समर्थ देश बनेगा. साथ ही वर्ष@2047 तक खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्म निर्भर होकर, अन्य देशों का भरण पोषण करने में भी सामर्थ्यवान देश बनेगा. हम सभी की सहभागिता से, अपने पूर्वजों के ज्ञान के आधार पर पुनः विश्वमंच पर सिरमौर राष्ट्र का पुनर्निर्माण होगा. इसके लिए हमें स्वाभिमान के साथ हर क्षेत्र में अपने परिश्रम और तप से आगे बढ़कर, विश्व मंच पर अपनी मातृभूमि का परचम लहराना होगा. हम सभी की संकल्पशक्ति और सहभागिता से भारत पुनः विश्वगुरु बनेगा.

तोमर

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