कोलकाता, 10 नवम्बर (Udaipur Kiran) .
स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) भर्ती घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने खुलासा किया है कि मामले में गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक जीवन कृष्ण साहा और उनके सहयोगियों ने न केवल अयोग्य अभ्यर्थियों से, बल्कि योग्य उम्मीदवारों से भी नौकरियां दिलाने के नाम पर भारी रकम वसूली थी.
केंद्रीय एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार सुबह बताया कि सरकारी स्कूलों में शिक्षक की नौकरी दिलाने के नाम पर कई उम्मीदवारों से बड़ी धनराशि ली गई. ईडी का कहना है कि साहा की अगुवाई में गठित एक संगठित गिरोह ने पैसों के बदले सरकारी नौकरियां बेचीं. जांच में यह भी सामने आया है कि साहा इस पूरे नेटवर्क का मुख्य योजनाकार था.
ईडी सूत्रों ने बताया कि योग्य उम्मीदवारों के बीच भी भय और लालच दोनों का इस्तेमाल किया गया. कई को कहा गया कि नौकरी पाने के लिए उन्हें पैसा देना होगा, और जो मना करते थे, उन्हें नियुक्ति पत्र रद्द करने की धमकी दी जाती थी. आरोप है कि कुछ मामलों में दस लाख रुपये से लेकर सोलह लाख पचास हजार रुपये तक की मांग की गई.
सूत्रों के मुताबिक, कई अभ्यर्थियों ने ईडी को दिए बयान में साहा और उसके सहयोगियों को धनराशि देने का पूरा ब्यौरा साझा किया है. कई ने यह भी कहा कि जब उन्होंने पैसा देने से इनकार किया, तो उनकी भर्ती में देरी की गई या नियुक्ति रद्द कर दी गई.
जानकारी के अनुसार, साहा के निर्देश पर यह लेनदेन नेटवर्क जिला और राज्य स्तर पर बनाया गया था. ईडी अब इस नेटवर्क के जरिए हुए धन के आदान-प्रदान की कड़ियां खंगाल रही है. साथ ही मोबाइल संदेशों और बैंक लेनदेन से जुड़े दस्तावेजों को साक्ष्य के रूप में एकत्र किया जा रहा है.
जांचकर्ताओं का मानना है कि भ्रष्टाचार का यह नेटवर्क पूरे राज्य में फैला हुआ था. आने वाले दिनों में ईडी की योजना साह से उन अभ्यर्थियों के समक्ष आमना-सामना कर पूछताछ करने की है.
हाल ही में, मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत ने तृणमूल विधायक जीवन कृष्ण साहा की जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें 18 नवम्बर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
गौरतलब है कि अगस्त में ईडी ने साहा को मुर्शिदाबाद जिले के बड़त्रा स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के समय उन्होंने दीवार फांदकर भागने की कोशिश की और एक मोबाइल फोन झाड़ियों में फेंक दिया, जिसे ईडी अधिकारियों ने बरामद कर लिया.
इससे पहले अप्रैल 2023 में सीबीआई ने भी साहा को इसी मामले में गिरफ्तार किया था. 13 महीने बाद उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से जमानत मिली थी. ईडी ने अदालत में बताया कि घोटाले की रकम साहा के बैंक खाते में किश्तों में जमा की गई थी.
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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