— आईएम बीएचयू में एमबीए बैच 2025-27 के इंडक्शन प्रोग्राम का शुभारम्भ
वाराणसी, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रबंधन संस्थान (आईएम बीएचयू) के डीन प्रोफेसर एस.के. दुबे ने कहा कि आज के दौर में एमबीए छात्र सिर्फ कॉरपोरेट और कम्पनियों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनके लिए पूरी दुनिया सम्भावनाओं से भरी हुई है। उन्होंने कहा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में प्रबंधन छात्रों की भूमिका कहीं अधिक व्यापक हो गई है। पूरी दुनिया उनके आगमन की प्रतीक्षा कर रही है।
प्रो. दुबे मंगलवार को संस्थान में आयोजित एमबीए बैच 2025-27 के इंडक्शन प्रोग्राम को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि कैस्ट्रोल इंडिया के प्रबंध निदेशक केदार लेले, विशिष्ट अतिथि आईआईएम त्रिची के निदेशक प्रो. पी.के. सिंह तथा प्रो. एस.के. दुबे ने विश्वविद्यालय के संस्थापक पं. मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर और दीप प्रज्वलित कर किया। प्रो. दुबे ने संस्थान की अकादमिक उपलब्धियों और विकास यात्रा का उल्लेख करते हुए नवप्रवेशी छात्रों को संस्थान की समृद्ध विरासत से परिचित कराया।
मुख्य अतिथि केदार लेले ने अनुभवात्मक शिक्षा के महत्व पर बल देते हुए एमबीए को एक पारम्परिक डिग्री नहीं, बल्कि जीवन की दिशा तय करने वाला माध्यम बताया। उन्होंने छात्रों से जिज्ञासा, उद्देश्य और आत्म-मूल्य के साथ जीवन में आगे बढ़ने का आह्वान किया। आईआईएम त्रिची के निदेशक प्रो. पी.के. सिंह ने शिक्षक और छात्र के बीच संवाद और संबंध की अहमियत पर प्रकाश डाला। उन्होंने तमिल दार्शनिक तिरुवल्लुवर के एक कथन का हवाला देते हुए कहा कि स्वयं की भावना को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। जबकि बाहरी अनुभवों के प्रति खुले रहना और अपने मन का विस्तार करके उनसे सीखना भी आवश्यक है।
संस्थान के निदेशक प्रो. आशीष बाजपेयी ने नवागंतुक छात्रों का स्वागत करते हुए उन्हें संस्थान की उपलब्धियों से अवगत कराया। इसके बाद प्रो. अमित गौतम ने इंडक्शन सप्ताह की रूपरेखा प्रस्तुत की और आगामी गतिविधियों का परिचय दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शशि श्रीवास्तव ने किया। उद्घाटन समारोह में विश्वविद्यालय के डिप्टी चीफ प्रॉक्टर प्रो. फ़तेह बहादुर सिंह, छात्र सलाहकार डॉ. आनंदिता चक्रवर्ती, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. कैलाश कुमार, प्रो. पी.एस. त्रिपाठी, डॉ. आशुतोष मोहन, डॉ. अनुराग सिंह समेत अनेक शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
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