रांची, 25 अगस्त (Udaipur Kiran) । नगड़ी में रिम्स-2 परियोजना को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट दिलीप मिश्रा ने कहा है कि सरकार को हठधर्मिता छोड़कर रैयतों के हित में फैसला लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब-जब सरकार को विकास के नाम पर जमीन की जरूरत हुई, तब आदिवासी मूलवासियों ने स्वेच्छा से अपनी जमीन दी। लेकिन वर्षों बाद भी यदि विकास का काम नहीं हुआ तो जमीन वापस लौटाने का प्रावधान है और सरकार को इसका पालन करना चाहिए।
सोमवार को धुर्वा स्थित पुराने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से
बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि रिम्स-2 के परियोजना निर्माण को नगड़ी के बजाय खूंटी में शिफ्ट किया जाए। खूंटी में पर्याप्त जमीन उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि वैसे भी नॉलेज सिटी खूंटी परियोजना के नाम पर पहले से ही सरकार ने करोड़ों रुपये फूंक दी। लेकिन ढांचा अभी बरकरार है। उसी ढांचे में रिम्स-2 की शुरुआत की जाए, इसमें किसी को आपत्ति नहीं होगी।
मिश्रा ने कहा कि नियम के अनुसार यदि अधिग्रहित जमीन पर 20 वर्षों तक कोई कार्य नहीं होता है तो जमीन रैयत को वापस लौटाना अनिवार्य है। बावजूद इसके अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त होकर किसानों की जमीन लूटने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार को सोचना चाहिए कि झारखंडवासियों से ली गई जमीन का वर्षों से उपयोग नहीं हुआ, जबकि ग्रामीण लगातार उस पर खेती कर रहे हैं। ऐसे में जमीन लौटाने में क्या समस्या है? उन्होंने साफ कहा कि विस्थापन के नाम पर ग्रामीणों को गुमराह करने का अधिकार किसी को नहीं है।
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar
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