– सहकारी समितियां अब टिकट बुकिंग, बिल जमा करने, पेट्रोल पम्प व गैस एजेंसी चलाने जैसी गतिविधियां भी करेंगी संचालितः अमित शाहभोपाल, 13 अप्रैल . केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि राज्यों में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां (पैक्स) के कंप्यूटराइजेशन का कार्य चल रहा है. इसमें मध्य प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है. उन्होंने मध्य प्रदेश में शत-प्रतिशत उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में साढे़ पांच करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है जो देश के कुल उत्पादन का नौ प्रतिशत है. प्रदेश में सुशासन का दौर चल रहा है, यह सहकारिता को जीवंत करने का स्वर्णिम अवसर है. प्रदेश के किसानों के साथ केन्द्र सरकार चट्टान की तरह खड़ी है.
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री शाह रविवार को भोपाल के रविन्द्र भवन में राज्य स्तरीय सहकारी सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के साथ मिलकर कम से कम 50 प्रतिशत गांवों तक सहकारिता और डेयरी गतिविधियों का विस्तार करना आवश्यक है. इसके लिए आवश्यक नीति निर्माण और प्लानिंग भी करनी होगी. केन्द्र सरकार की ओर से वित्तीय सहयोग भी उपलब्ध कराया जाएगा. किसानों को दुग्ध उत्पादन का शत-प्रतिशत लाभ सुनिश्चित करने के लिए व्यापक स्तर पर गतिविधियां संचालित करनी होंगी. प्रदेश में दुग्ध उत्पादन और उसकी प्रोसेसिंग से विभिन्न उत्पाद निर्मित कर किसानों की आय बढ़ाने की ओर एनडीडीवी और राज्य सरकार एक साथ अग्रसर होंगे. यह रास्ता अभी टू-लेन है, जिसे 6 लेन में विस्तारित करना होगा.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में कृषि, पशुपालन और सहकारिता के क्षेत्र में कार्य करने की अपार संभावनाएं हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साढे़ तीन साल में सहकारिता क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. पैक्स के सशक्तीकरण, डेयरी क्षेत्र को प्रोत्साहन, उत्पादन के क्षेत्र में सहकारिता, गतिविधियों के विस्तार, नगरीय सहकारी बैंक, जिला सहकारी बैंक और ग्रामीण बैंकों के सुचारू संचालन की व्यवस्था की ओर विशेष ध्यान दिया गया. केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने गठन के बाद सबसे पहले प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के लिए मॉडल बायलॉज विकसित कर उन्हें राज्यों के साथ साझा किया. यह प्रसन्नता का विषय है कि संपूर्ण भारत में यह बायलॉज को लागू किया जा चुका है.
उन्होंने मॉडल बायलॉज को अपनाने के लिए सभी राज्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस कदम से सहकारिता आंदोलन को नया जीवन प्राप्त हुआ है. सहकारी समितियां अब पेट्रोल पम्प व गैस एजेंसी संचालन, रेलवे टिकट बुकिंग, बिल जमा करने जैसी गतिविधियां भी संचालित कर रही हैं. एक समय था जब पैक्स केवल कम अवधि के लिए कृषि ऋण उपलब्ध कराते थे जिसमें उन्हें केवल आधा प्रतिशत लाभ होता था. वर्तमान में पैक्स 30 से अधिक गतिविधियों में संलग्न है इससे उनकी आय भी बढ़ रही है.
उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में सहकारिता आंदोलन धीरे-धीरे मृत प्रायः होता जा रहा था. पूरे देश में सहकारिता आंदोलन का परिदृश्य भिन्न-भिन्न था. छह राज्यों में सहकारिता आंदोलन गति पर पकड़ चुका है, कुछ जगह इसका सरकारीकरण हुआ, परंतु कुछ जगह इसे नुकसान भी हुआ. इस स्थिति का मूल कारण यह था कि समय के साथ कानूनों में जो बदलाव होना चाहिए थे वे नहीं हुए. संवैधानिक व्यवस्था में सहकारिता राज्यों का विषय है, बदलती परिस्थितियों के अनुरूप कानून में बदलाव नहीं किया गया और न ही कानून बनाए गए. देश की राजनीतिक- भौगोलिक स्थिति, ग्रामीण, कृषि विकास और पशुपालन के आयाम पर समग्रता में केंद्रीय स्तर पर कभी विचार नहीं किया गया. यह संभव भी नहीं था, क्योंकि केंद्रीय स्तर पर कोई सहकारिता मंत्रालय था ही नहीं. आजादी के 75 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय स्तर पर सहकारिता मंत्रालय स्थापित किया.
उन्होंने कहा कि प्राथमिक सहकारी संस्थाओं को सशक्त करने के लिए त्रि-स्तरीय सहकारी व्यवस्था को सुदृढ़ करना आवश्यक है. प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति और डेयरी व मछुआरा गतिविधियों को जोड़कर एम-पैक्स बनाने का कार्य नए बायलॉज द्वारा संभव हो सका. इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा 2500 करोड़ की राशि से सभी पैक्स का कंप्यूटराइजेशन किया गया. अब पैक्स, जिला सहकारी बैंक, राज्य व सहकारी बैंक के साथ-साथ नाबार्ड से भी जुड़े हैं. इसके साथ ही इनके ऑनलाइन ऑडिट की भी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है. किसानों की सुविधा के लिए स्थानीय भाषा में कार्य के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया गया.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर तीन नई किसान सहकारी समितियां का गठन किया गया. किसानों के उत्पाद को ग्लोबल मार्केट में स्थान मिले, इसके लिए एक्सपोर्ट को-ऑपरेटिव बनाया गया, ऑर्गेनिक को-ऑपरेटिव का गठन किया गया. ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स को प्रोत्साहित किया जा सके और किसानों को उनकी उपज का अधिक मूल्य दिलवाने के उद्देश्य से यह पहल की गई. यह दोनों संस्थाएं अगले 20 साल में अमूल से भी बड़ी संस्थाओं के रूप में आकर लेंगी. किसानों को बीज उत्पादन से जोड़ने के लिए बीच सहकारिता के अंतर्गत ढा़ई एकड़ वाले किसानों को भी मान्यता दी गई. इन सहकारी गतिविधियों से होने वाली आय सीधे किसानों के खातों में आएगी उसका मुनाफा किसानों को मिलेगा, व्यापारी को नहीं. साथ ही सहकारिता में प्रशिक्षण के लिए सहकारिता विश्वविद्यालय की स्थापना भी की गई है.
उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा खुले बाजार में दूध बेचने पर उचित दाम नहीं मिलता है अत: प्रत्येक गांव के किसानों को अधिक से अधिक संख्या में डेयरी के साथ जोड़कर दूध के विभिन्न उत्पाद निर्मित करने का लक्ष्य निर्धारित करना होगा. दूध से दही, मट्ठा, छाछ, पनीर, चीज़ का निर्माण हो और इसका मुनाफा किसानों को मिले यह व्यवस्था सुनिश्चित करना आवश्यक है. इसके लिए दूध का उत्पादन बढ़ाने, पशुओं की नस्ल सुधारने और दूध के संकलन के लिए बेहतर नेटवर्क विकसित करने की आवश्यकता है. इन गतिविधियों में आज हो रहे अनुबंध महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे.
समारोह में केंद्रीय मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और मध्य प्रदेश डेयरी फेडरेशन के मध्य अनुबंधों का आदान प्रदान हुआ. समारोह को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और पशुपालन मंत्री लखन पटेल ने भी संबोधित किया. ————
तोमर
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