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हिसार : बिश्नोई महासभा के पूर्व प्रधान बुड़िया की जमानत याचिका खारिज, होगा भगौड़ा घोषित

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मामले की गंभीरता व पुलिस जांच में शामिल न होने पर हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

हिसार, 23 अप्रैल . पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने अखिल भारतीय

बिश्नोई महासभा के पूर्व प्रधान देवेंद्र बुड़िया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर

दी है. हाईकोर्ट ने ऐसा मामले की गंभीरता को देखते हुए व बुड़िया द्वारा पुलिस जांच

में शामिल न होने के चलते किया है.

हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अमरजोत भट्टी ने कहा कि

मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती. बुड़िया द्वारा अभी

तक पुलिस जांच में शामिल न होने पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला

है. इससे पहले हाईकोर्ट में देवेन्द्र बुड़िया की जमानत का विरोध करते हुए पीड़िता

के वकील ने कोर्ट में याचिकाकर्ता देवेंद्र बुड़िया पर गंभीर आरोप लगाए. पीड़िता के

वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि देवेंद्र बुड़िया अभी भी फरार है और वह जांच में शामिल

नहीं हुआ है. उसका मोबाइल फोन अभी तक बरामद नहीं हुआ है जिसमें उसने पीड़िता का अश्लील

वीडियो रिकॉर्ड किया था. पीड़िता और उसके परिवार की जान को लगातार खतरा बना हुआ है.

इसलिए अपराध की गंभीरता को देखते हुए याचिकाकर्ता द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका

खारिज करने योग्य है. देवेंद्र बुड़िया के खिलाफ इस वर्ष 24 जनवरी को हिसार जिले के आदमपुर पुलिस

थाना में दुष्कर्म सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. लगभग 58 वर्षीय

देवेंद्र बुड़िया पर 20 वर्षीय एक युवती ने बलात्कार करने, अश्लील वीडियो बनाने, धमकी

देने और जान से मारने का प्रयास करने का आरोप लगाया है.

इससे पहले हिसार जिला अदालत भी देवेन्द्र बुड़िया की जमानत याचिका खारिज कर

चुकी है. जिला अदालत में 5 फरवरी को देवेंद्र बुड़िया की जमानत याचिका खारिज कर दी गई

थी. पुलिस की ओर से लुक आउट नोटिस भी जारी हो चुका है मगर अभी तक बुड़िया गिरफ्त से

बाहर है.देवेन्द्र बुड़िया के वकील ने जिला कोर्ट में दलील दी थी कि बुड़िया पार्किंसंस

नाम की बीमारी से ग्रसित हैं और वह संबंध नहीं बना सकता. ऐसे में रेप का पूरा मामला

ही झूठा है. देवेन्द्र बुड़िया की मेडिकल रिपोर्ट भी पेश की गई थी, मगर कोर्ट ने अपराध

की गंभीरता को पीड़िता के वकीलों की दलील के आधार पर जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

एफआईआर दर्ज होने के तीन माह बाद हो सकता भगौड़ा घोषित

अपराध की गंभीरता के चलते कोई अपराधी यदि जांच में शामिल नहीं होता या गिरफ्तार

नहीं होता तो उसे भगौड़ा घोषित किया जा सकता है. ऐसा एफआईआर दर्ज होने के तीन माह बाद

हो सकता है. देवेन्द्र बुड़िया को भगौड़ा घोषित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है

क्योंकि उन पर 24 जनवरी को आदमपुर थाना में केस दर्ज हुआ था और उसके बाद से वह छिपता

फिर रहा है. पुलिस जोधपुर और जयपुर सहित कई जगहों पर उसक गिरफ्तारी के लिए दबिश दे

चुकी है. पुलिस देवेन्द्र बुड़िया के पीए को भी गिरफ्तार करके पूछताछ कर चुकी है मगर

बुड़िया का अभी तक कोई अता-पता नहीं है. ऐसे में अब पुलिस बुड़िया को भगौड़ा घोषित करने

की प्रक्रिया शुरू करेगी.

/ राजेश्वर

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