Top News
Next Story
Newszop

नहाय-खाय के साथ आज से शुरू हो रहा है डाला छठ

Send Push

जयपुर, 5 नवंबर . बिहार समाज संगठन की ओर से डाला छठ पूजा आज से शुरू हो गया .

लोकआस्था, सामाजिक समरसता, साधना, आरधना और सूर्योपासना का महापर्व डाला छठ आज मंगलवार को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. इसको लेकर व्रतियों के घरों में भक्ति का माहौल बन गया है. बेहद खास और अहम पर्व छठ कई मायने में खास होता है. गर्मी और सूर्य की तपिश के बावजूद व्रती दो दिनों तक उपवास रहकर भक्ति में लीन रहते हैं .बिहार समाज संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन कुमार शर्मा ने कहा कि पवित्र लोक पर्व डाला छठ को लेकर तैयारी शुरू हो गई है | दीवाली होते ही श्रद्धालुओं ने विधि-विधान के साथ नहर व जलाशयों के समीप घाट का निर्माण किया. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व आज से नहाय-खाय से शुरू होने जा रहा है.

बुधवार को व्रती दिन भर निराहार रहने के बाद शाम को खरना का अनुष्ठान पूरा करेंगे. इसके बाद 36 घंटे का निराहार आरंभ हो जायेगा. गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जायेगा | शुक्रवार की सुबह व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे. इसके साथ ही लोकआस्था का महापर्व डाला छठ का समापन हो जायेगा . राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी सुरेश पंडित ने बताया कि दिवाली के बाद से ही इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है. व्रत वाले घरों में विशेष शुद्धता बरती जा रही है. स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. छठ घाटों की साफ-सफाई शुरू हो गई है. वहीं छठ पूजा के लिए सूप , दउरा, मिट्टी के दीये, हाथीदान के साथ मौसमी फल और लौकी की खरीदारी शुरू हो गयी है.

यह इकलौता पर्व है, जिसके केन्द्र में कृषि, मिट्टी और किसान हैं. धरती से उपजी हुई हर फसल और हर फल-सब्जी इसका प्रसाद है. मिट्टी से बने चूल्हे पर और मिट्टी के बर्तन में नहाय-खाय, खरना और पूजा का हर प्रसाद बनाया जाता है. बांस से बने सूप में पूजन सामग्री रखकर अर्घ्य दिया जाता है. बांस का बना सूप, दौरा, टोकरी, मउनी तथा मिट्टी से बना दीप, चौमुखा व पंचमुखी दीया और कंद-मूल व फल जैसे ईख, सेव, केला, संतरा, नींबू, नारियल, अदरक, हल्दी, सूथनी, पानी फल सिंघाड़ा , चना, चावल (अक्षत), ठेकुआ इत्यादि छठ पूजा की सामग्री प्रकृति से जोड़ती है.

बिहार समाज के राष्ट्रीय महामंत्री चंदन कुमार ने बताया कि छठ महापर्व महिलाओं के अस्तित्व को भी सम्मानित करता है. हमारे देश में ऐसा छठ के अतिरिक्त कोई दूसरा ऐसा पर्व नहीं है. जिसे सधवा(शादीशुदा महिलाओं), विधवा, कुंवारी, गर्भवती आदि सभी स्त्रियां एक साथ कर सकती हों. बाकी सभी त्योहारों में अलग-अलग श्रेणी की महिलाओं के लिए अलग नियम होते हैं लेकिन छठी मैया के दरबार में सभी महिलाएं एक समान हैं . वर्ष में दो बार छठ व्रत मनाया जाता है. दोनों ही व्रत ऋतुओं के आगमन से जुड़ा है. कार्तिक मास में शरद ऋतु की शुरुआत होती है, तो चैत्र मास में वसंत ऋतु. एक में ठंड़ की शुरुआत होती है, तो दूसरे में गर्मी की. बदलते मौसम में दोनों व्रत किया जाता है .

—————

Loving Newspoint? Download the app now