Next Story
Newszop

संस्कृत को देश की राजभाषा बनाने के प्रबल समर्थक थे डॉ अंबेडकर : अभय

Send Push

image

सुल्तानपुर, 13 अप्रैल .

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र धर्म जागरण प्रमुख अभय ने रविवार को यहां कहाकि कि डॉ भीमराव अंबेडकर देश में संस्कृत भाषा को राजभाषा बनाने के प्रबल समर्थक थे. इसके लिए उन्होंने संस्कृत को भारत की राजभाषा बनाने का प्रस्ताव भी दिया था.

भारतरत्न डॉ भीम राव अंबेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर के. एन. आई. कैम्पस के सी.एस.ए. हाल में आयोजित संगोष्टी को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए अभय ने कहा कि डॉ अंबेडकर को लगता था कि तमिल उत्तर भारत में स्वीकार्य न हो. उसी तरह हिंदी दक्षिण भारत में स्वीकार्य न हो, लेकिन संस्कृत को लेकर उत्तर और दक्षिण में विरोध की कोई आशंका नहीं थी. शायद यही वजह है कि अंबेडकर ने संस्कृत को भारत की राजभाषा बनाने का प्रस्ताव दिया था. देश को स्वाधीनता मिले दो साल बीत चुके थे. आजाद भारत को नया विधान देने के लिए संविधान सभा लगातार कार्य कर रही थी. भारत की राजभाषा क्या हो, इसे लेकर प्रस्ताव आने वाला था. संविधान सभा में भाषा का सवाल उठने के ठीक एक दिन पहले 11 सितंबर 1949 को ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार में एक खबर छपी, ‘संस्कृत के साथ अंबेडकर.’ उन दिनों इस समाचार ने देश को चौंका दिया था. अंग्रेजी पढ़े-लिखे और ब्रिटिश वायसराय की कौंसिल यानी मंत्रिमंडल के सदस्य रह चुके डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को लेकर कोई यह कल्पना भी नहीं कर सकता था कि वे संस्कृत का समर्थन करेंगे. लेकिन नेशनल हेराल्ड में छपी इस खबर ने डॉ. अंबेडकर को लेकर जारी धारणा को खंडित कर दिया था. उस समाचार के अनुसार संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष और देश के तत्कालीन विधि मंत्री डॉ. भीमराव अंबेडकर उस धारा के साथ थे, जो संस्कृत को स्वाधीन भारतीय संघ की आधिकारिक भाषा बनाने की पैरोकार थी. संस्कृत को भारतीय संविधान की आधिकारिक राजभाषा बनाने वाले प्रस्ताव में अंबेडकर के साथ भारत के विदेश मामलों के उप मंत्री डॉ. बी.वी. केसकर और बंगाल से चुन कर आए संविधान सभा के सदस्य नजीरुद्दीन अहमद थे.

डॉ. अंबेडकर ने यह प्रस्ताव राष्ट्रभाषा व्यवस्था परिषद् के उस प्रस्ताव के संशोधन के रूप में दिया था, जिसमें परिषद ने कहा था कि अंग्रेजी की जगह हिंदी को निश्चित रूप से प्रतिष्ठित किया जाए. उसे अंग्रेजी की जगह लेने के लिए दस साल से ज्यादा का वक्त भी नहीं लगना चाहिए.

इससे पहले विभाग संघचालक डॉ ए के सिंह ने विषय पर प्रकाश डालते हुए डॉ अम्बेडकर के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहाकि समाज में छुआछूत और दलितों के उपेक्षा से बहुत द्रवित रहे.

संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ राजेश गौतम ने तथा संचालन डॉ प्रीति प्रकाश ने किया. अतिथि परिचय सह प्रमुख विचार परिवार डॉ अभिषेक पांडेय तथा अंगवस्त्र व प्रतीक चिन्ह प्रदानकर डॉ ए एन सिंह, रेवती रमण, राकेशमणि त्रिपाठी ने सम्मान किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ पवनेश मिश्र, विभाग संपर्क प्रमुख ने किया. कार्यक्रम में विभाग प्रचारक श्रीप्रकाश , जिला प्रचारक आशीष , एच डी राम, के एन आई के रजिस्ट्रार अखिलेश चौहान, सुदीप पाल, डॉ दिनेश, डॉ श्याम करन, रमेश बौद्ध,, डॉ जे पी सिंह, शक्ति प्रकाश, अजय अजय गुप्ता, अभिषेक शुक्ला, अजय सिंह, अर्चित बरनवाल आदि मौजूद रहे.

—————

/ दयाशंकर गुप्ता

Loving Newspoint? Download the app now