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रामसेतु ब्रिज में तकनीकी खामियाँ: याचिका स्वीकार, कोर्ट ने निगम आयुक्त को नोटिस जारी किया

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अजमेर, 7 जुलाई (Udaipur Kiran) अजमेर के रामसेतु ब्रिज में निर्माण संबंधी तकनीकी खामियों को लेकर दायर जनहित याचिका को कोर्ट ने सोमवार को स्वीकार करते हुए नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी किया है। अदालत ने इस मामले को गंभीर मानते हुए तत्काल सुनवाई के निर्देश दिए हैं और निगम आयुक्त देशलदान को मंगलवार तक जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। याचिका एडवोकेट विवेक पाराशर के माध्यम से जनप्रतिनिधित्व वाद के रूप में दाखिल की गई थी। सुनवाई सिविल न्यायाधीश पश्चिम, मनमोहन चंदेल की अदालत में हुई।

सड़क धंसने की घटना बनी आधार

गौरतलब है कि 3 जुलाई को रामसेतु ब्रिज पर सड़क का एक हिस्सा धंस गया था, जिसके बाद इस ब्रिज की निर्माण गुणवत्ता पर सवाल खड़े हुए। इस मामले को लेकर जागरूक नागरिकों जितेश धनवानी और मुकेश पुरी ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दोषी अधिकारियों और निर्माण एजेंसियों पर कार्रवाई की मांग की।

याचिका में यह आरोप लगाया गया कि ब्रिज निर्माण में घटिया सामग्री और मानकों की अनदेखी की गई, जिससे कुछ ही समय में ब्रिज में गंभीर तकनीकी दोष सामने आने लगे हैं।

मंत्री का सख्त रुख, अधिकारियों को दी चेतावनी

इससे पूर्व शहरी विकास मंत्री (यूडीएच) झाबर सिंह खर्रा ने 5 जुलाई को अजमेर दौरे के दौरान रामसेतु ब्रिज का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान उन्होंने अधिकारियों को तकनीकी लापरवाही के लिए कड़ी फटकार लगाई थी और कहा था कि यदि दोष स्वीकार नहीं किए गए तो अधिकारी सरकारी कोप के भागी बनेंगे।

मंत्री ने यह भी कहा कि रोड के निर्माण में जिस स्तर का कंप्रेशन और तकनीकी निरीक्षण होना चाहिए था, उसकी घोर अनदेखी हुई है। उन्होंने आरएसआरडीसी और नगर निगम को निर्देश दिए कि वे निर्माण कार्य की तकनीकी जांच कर तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

इस दौरान मंत्री के साथ विधायक अनिता भदेल, उप महापौर नीरज जैन और भाजपा शहर अध्यक्ष रमेश सोनी भी उपस्थित थे। उन्होंने भी ब्रिज के विभिन्न हिस्सों की खराब स्थिति और पूर्व में उठाए गए सवालों की अनदेखी पर नाराजगी जताई। अधिकारियों के अनुसार, मामले की जिला और मंत्री स्तर पर अलग-अलग कमेटियों द्वारा जांच की जाएगी।

फाइल से गायब हुआ मूल नक्शा

उप महापौर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस शासन काल में बनी इस एलिवेटेड रोड की निर्माण फाइल से मूल नक्शा तक गायब कर दिया गया, जो एक बड़ा भ्रष्टाचार संकेतक है। उन्होंने मांग की कि इस पूरे मामले की गहराई से नई जांच कराई जाए और जिम्मेदारों को सख्त सजा दी जाए।

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(Udaipur Kiran) / संतोष

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