नई दिल्ली, 26 सितंबर (Udaipur Kiran News) . केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को कहा कि रूस से कच्चे तेल की खरीद पर कोई प्रतिबंध नहीं है. आपूर्ति बाधित होने पर दुनिया को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
हरदीप पुरी ने यहां संवददाताओं से बातचीत के दौरान ईरान और वेनेजुएला के मामलों का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने वैश्विक समुदाय के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में हमेशा अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन किया है. पेट्रोलियम मंत्री ने अमेरिका के भारत पर 25 फीसदी शुल्क के अलावा रूस से कच्चा तेल एवं हथियार खरीदने पर 25 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क लगाने के संदर्भ में यह बात कही.
अमेरिका और भारत के बीच व्यापार नीतियों पर जारी महत्वपूर्ण वार्ता के बीच संवाददाताओं को संबोधित करते हुए पुरी ने कहा कि रूस हर दिन करीब एक करोड़ बैरल के साथ विश्व स्तर पर कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है. उन्होंने आगाह किया कि यदि आपूर्ति बाधित होती है, तो विश्व को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
हरदीप पुरी ने कहा, ‘‘ऊर्जा एक ऐसी चीज है जिसके बिना आप नहीं रह सकते…. उन्होंने कहा कि अगर आप दूसरे सबसे बड़े उत्पादक को हटा देंगे, तो आपको खपत में कटौती करनी होगी. इसके परिणाम बेहद गंभीर होंगे.’’ पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि रूस से कच्चे तेल खरीद की मूल्य सीमाएं तय की गई हैं, जब भी ऐसी कोई बात होती है, तो वह Indian कंपनियों से कम कीमतों पर तेल खरीदने का अनुरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि तुर्किये, जापान और यूरोपीय संघ सहित कई देश रूस से तेल खरीदते हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तेल की मांग एवं आपूर्ति के बीच ‘व्यापक संतुलन’ जरूरी है. उन्हें उम्मीद है कि आगे भी कच्चे तेल का मूल्य 65-68 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के बीच बना रहेगा. पुरी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां स्वतंत्र रूप से यह निर्णय लेती हैं कि वे रिफाइनिंग के लिए किस स्रोत से कच्चा तेल खरीदेंगी. इन कंपनियों के पास पेशेवर प्रबंधन और निदेशक मंडल भी हैं.
उन्होंने कहा कि भारत की विकास गाथा दुनियाभर में गूंज रही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में Indian अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ़ रही है. ऐसे में भारत का ऊर्जा क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन से प्रेरित होकर, इस यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. पूरी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल और गैस कंपनियां भारत के विकास की एक मजबूज रीढ़ हैं, इनके पास एक बड़ा परिसंपत्ति और उपभोक्ता आधार है और ये भारत के कुछ सबसे बड़े ब्रांडों के मालिक होने के कारण एक मज़बूत प्रतिस्पर्धी स्थिति में हैं.
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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर
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