रांची, 10 अगस्त (Udaipur Kiran) । लैंड राइट फॉर आदिवासी वीमेन समूह की बैठक में इतिहास, नैतिकता और आदिवासी समाज में महिलाओं के खिलाफ हिंसा विषय पर चर्चा की गई। रविवार को नामकुम में आयोजित इस बैठक में सामाजिक कार्यकर्ता एलिना होरो ने कहा कि जब आदिवासी महिलाओं के कारण समाज बसता है। झारखंड का नाम हर तरफ हो रहा है। लेकिन आदिवासी समुदाय की महिलाओं को नजरअंदाज किया जाता है। खासकर जमीन संबंधित मामले में आदिवासी महिलाओं का कहीं कोई जिक्र नहीं होता। ऐसा क्यों है। बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि सरकार को इसपर ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज में जमीन पहचान का प्रतीक है, लेकिन महिलाओं की पहचान अक्सर केवल पुरुष से जुड़े रिश्तों मां, बहन, पत्नी, बेटी तक सीमित रही है। क्योंकि उनके पास जमीन का मालिकाना हक नहीं होता।
मौके पर रंजनी मुर्मू ने कहा कि खेती-किसानी और घर बसाने में महिलाओं का श्रम और योगदान सबसे अधिक है, फिर भी समाज ने उन्हें ताकत और निर्णय-निर्माण की प्रक्रिया से वंचित रखा। कस्टमरी कानून में महिलाओं को जमीन का हक दिए जाने का उल्लेख है, लेकिन यह व्यवहार में लागू नहीं है। खतियान में महिलाओं के नाम का अभाव दर्शाता है कि परंपरागत कानून धरातल पर नहीं उतरे, जिसके चलते महिलाएं कोर्ट का सहारा ले रही हैं।
बैठक में यह भी कहा गया कि अगर महिलाओं को समान मालिकाना हक मिले, तो आदिवासी समाज में लैंगिक समानता मजबूत होगी और डायन हत्या जैसी घटनाओं पर रोक लगेगी। समूह ने संकल्प लिया कि वह कस्टमरी कानून के पालन और ग्रामसभा में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेगा।
बैठक में रंजनी मुर्मू, नितिशा खलखो, आकृति लकड़ा, अल्का आइंद, लिपि बाग, आलोका कुजूर, दीप्ति बेसरा, आलोका कुजूर, एलिना होरों सहित अन्य लोग मौजूद थे।
—————
(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar
You may also like
अगर कुत्ता करने लगी ऐसी हरकतें तो समझियेˈ होने वाला है कोई बड़ा अपशगुन
यहां पर बेटी के जवान होते ही पिताˈ बन जाता है पति बचपन में बेटी की तरह करता लाड़-दुलार
आयुर्वेद में पुरुषों के लिए अमृत है येˈ पौधा कहीं मिल जाए तो जरूर ले जाये घर
सांप बनकर पुलिसवाले को ही डसने लग पड़ाˈ शख्स फिर जो हुआ उसकी नहीं थी किसी को भी उम्मीद
मां नींद से उठ नहीं रही। नकली पापाˈ ने सारी रात… लिव इन में मां का हाल देख सहमे बच्चे