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करोड़ों खर्च फिर भी नाला ही बनकर रह गई द्रव्यवती नदी

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पूर्व मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे के सपने को पूरा करने में जुटी भजन लाल सरकार

जयपुर, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । नाले में बदल चुकी द्रव्यवती नदी का रुप देने के लिए भाजपा सरकार ने लगभग आठ वर्ष पहले 1400 करोड़ रुपए खर्च किए थे, लेकिन लाख कवायदों के बाद भी 47 किमी लम्बी यह नदी नाले के स्वरुप से बाहर नहीं निकल पाई है। अधिकारियों की लापरवाही और आमजन में जागरुकता की कमी के चलते द्रव्यवती नाले के रुप में सडांध मारकर सरकार का मुहं चिढा रही है। हालांकि सोमवार को हुई बैठक में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने द्रव्यवती नदी की स्थिति को लेकर गम्भीरता दिखाई है और उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही इस नदी के दिन फिरेंगे। द्रव्यवती नदी की साफ सफाई कर हर माह करीब एक करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जाते है।

पांच एसटीपी, लेकिन सीवरेज का पानी अब भी नाले में

द्रव्यवती नदी पर जेडीए ने 170 एमएलडी के पांच एसटीपी बनाए है, लेकिन वर्तमान में बड़ी संख्या में नालों के माध्यम से नदी में सीधे सीवरेज का पानी गिर रहा है। ऐसे में जेडीए अधिकारियों को इन पर कार्रवाई कर तत्काल बंद करने के साथ ही पानी के संधारण के लिए एसटीपी बनाना चाहिए। राजनीति और अधिकारियों की इच्छा शक्ति में कमी के चलते सुशीलपुरा पुलिया के पास एसटीपी नहीं बन पाया है। जेडीए द्वारा सुशीलपुरा पुलिया पर 20 एमएलडी का एसटीपी प्रस्तावित है। यह प्रोजेक्ट धरातल पर उतरे तो दो लाख से अधिक आबादी को फायदा मिलेगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश हैं कि सीवरेज सीधे नदी-नालों में नहीं छोड़ सकते। सुबह जब सीवर लाइन में अत्यधिक दबाव होता है तो सुशीलपुरा से गुजरने वाली सीवर लाइन से गंदा पानी सीधा नदी में गिरता है। ऐसे में आस-पास के लोगों का रहना मुश्किल हो जाता है। द्रव्यवती नदी को पर्यटन के लिहाज से तैयार कर उसमें देसी-विदेशी पर्यटकों को नाव में सफर करवाने की योजना थी। साफ-सफाई पर भी नहीं है ध्यान टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड के पास नदी की साफ-सफाई का काम है, लेकिन नियमित रूप से सफाई नहीं होती है। बारिश में जरूर गंदगी बहकर चली जाती है। बाकी दिनों में जगह-जगह कचरा दिखाई देता है। कई बार जेडीए और कम्पनी के बीच भुगतान को लेकर विवाद हो चुका है। इसका खमियाजा नदी किनारे रहने वाले लोगों को उठाना पड़ता है। कई जगह तो दुर्गंध इतनी आती है कि लोगों का रहना मुश्किल हो रहा है। नदी के रखरखाव, सफाई सहित अन्य मद पर 10 साल में करीब 100 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की जानी है।

कोर्ट केस के चलते अभी भी कुछ जगहों पर काम अधूरा

47 किमी. द्रव्यवती नदी का काम साल 2016 में शुरू हुआ था और इसका काम 2018 में पूरा होना था। इस पर करीब 1400 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वर्तमान में करीब तीन किलोमीटर लम्बी द्रव्यवती नदी का काम बाकी है। इसमें हसनपुरा में 500 मीटर, कोर्ट केस के 750 मीटर और गोनेर में करीब दो किमी का काम किसानों ने रुकवा रखा है।

करतारपुरा नाला बने पक्का तो सुधरे द्रव्यवती की दशा

करतापुरा नाले का पानी का सीधे द्रव्यवती नदी में जाता है। करतापुरा नाला कच्चा है। इससे पानी के साथ द्रव्यवती नदी में मिट्टी और कचरा बहकर आता है। करतारपुरा नाले के आस-पास रहने वाले लोग सीधे कचरा फेंकते है, इससे नाले के अंदर और उसके आस-पास कचरे के ढेर लग रहे है। करतारपुरा नाले को पक्का करने की कवायद पिछले 10 साल से चल रही है। जेडीए तीन बार योजना बन चुका, पूर्व में भी एमएनआईटी से इसका ड्रोन सर्वे करवाया गया था। जनवरी में जेडीए ने अतिक्रमियों नोटिस थमाए तो विधायक कालीचरण सराफ ने मामला सदन में उठाया। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने नए सिरे से सर्वे करने का आश्वासन दिया था। 50 मीटर चौड़ाई में ज्यादा मकान जद में आने के बाद जेडीए ने अब कुल 30 मीटर चौड़ाई के अनुसार डिजाइन बनवा रहा है। करतारपुरा सवाई माधोपुर रेलवे लाइन पुलिया से शिप्रापथ द्रव्यवती तक करीब 4.8 किलोमीटर लंबा है।

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(Udaipur Kiran) / राजेश

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