पौड़ी गढ़वाल, 12 अप्रैल . राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एलआरएलएम) के तहत बैंक सखी बिजनेस कॉरस्पोंडेंस योजना का मातृ शक्ति को लाभ मिलने लगा है. जनपद पौड़ी में योजना के अंतर्गत 278 महिलाओं को बैंकिंग सहित अन्य सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन का प्रशिक्षण दिया गया है और सेवा उपलब्ध कराने के लिए उन्हें 22 ग्राहक सेवा केंद्रों की आईडी दी गयी हैं.
बैंकिंग कार्यों से बैंक सखियों की प्रतिमाह औसतन 08 से 10 हजार की आमदनी हो रही है. खास बात यह है कि सखियां बैंकिंग के अलावा सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) के माध्यम से अन्य सेवाएं भी उपलब्ध करा रही हैं.
एनआरएलएम ने आरसेटी से महिलाओं को बैकिंग प्रशिक्षण दिलवाने के बाद आईआईबीएफ (भारतीय बैंकिंग एवं वित्त संस्थान) की ओर से बिजनेस कॉरस्पोंडेंस का प्रमाण प़त्र दिलाया गया.
परियोजना निदेशक, डीआरडीए विवेक उपाध्याय ने बताया कि बैंक सखियों को अधिकृत बायोमीटिृक डिवाइस और माइक्रो एटीएम मशीन उपलब्ध कराई गई हैं, जिससे बैंक सखियां डिजिटल ट्रांजैक्शन किया जा रहा है. बैंक सखियां बचत खाते खोलने, जमा, निकासी, एफडी, ऋण और धन प्रेषण काम कर रही हैं. इसके अलावा सीएससी के माध्यम से उपलब्ध करायी गयी आईडी के माध्यम से उनके द्वारा बीमा पंजीकरण, जन आरोग्य योजना पंजीकरण और केवाईसी सहित लगभग कई सेवाओं का संचालन किया जा रहा है.
मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत ने बताया कि 110 महिलाओं को पूर्व में प्रशिक्षण दिया गया है. 168 महिलाओं को हाल में ही प्रशिक्षण दिलाया गया है. बैंक सखी के माध्यम से अभी तक 95 लाख रुपये का ट्रांजैक्शन किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि वे इस योजना से गांव में ही रह कर आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर हैं.
बैंक सखी गांव-गांव व घर-घर जाकर बैंकिंग सेवाएं मुहैया करवा रही हैं. इससे ग्राहकों को अपने ही घर पर लेन देन या खाते खोलने की सुविधा मिल रही है. कई इलाकों में बैंक काफी दूर होते हैं या ग्राहकों को पैदल जाना पड़ता है. ऐसे में उनको कैश लेने के लिए बैंक की दौड़ नहीं लगानी पड़ती. ग्राहकों को बैंकिंग कार्य के लिए बैंक की कतार में खड़ा नहीं होना पड़ता. बैंक सखी आधार कार्ड के आधार पर भी लेन देन करती हैं. योजना का एक महत्वपूर्ण लाभ महिलाओं का आत्मनिर्भर होना भी है.
क्या कहती हैं बैंक सखियां
बैंक सखी सपना देवी ने बताया कि मुझे एनआरएलएम की ओर से प्रशिक्षण दिलाने के साथ ही जरुरी मशीन उपलब्ध कराई गई हैं. मैं बैंक परिसर में ग्राहकों को बैकिंग सेवा उपलब्ध करा रही हूं. प्रोत्साहन राशि मिलने से मुझे आर्थिक लाभ हो रहा है.
बैंक सखी शीतल देवी ने कहा कि हमें आर्थिक आत्मनिर्भर बनाने में यह योजना महत्वपूर्ण साधन है. इससे हमारा आर्थिक सुधार हुआ है. प्रशिक्षण के बाद हम बैकिंग कार्य कर रहे हैं.
ग्रामीण रुकम सिंह का कहना है कि पहले हमे मामूली रकम लेने के लिए भी गांव से काफी दूर बैंक में आना पड़ता था. अब मुझे जब भी रुपयों की जरुरत होती है, तो बैंक सखी को फोन कर देता हूं, वह घर पर आकर कैश दे जाती है.
/ कर्ण सिंह
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