उज्जैन, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । गुरूवार को हरियाली या श्रावण मास की अमावस्या है। दर्श अमावस्या होने से आराधक के लिए शुभ फलदायक है। अमावस्या तिथि पर शिव वास सुखप्रद माना जाता है। अत: इस दिन रुद्राभिषेक करने से सुख, समृद्धि और अभीष्ट सिद्धि की प्राप्ति होती है। गुरु पुष्य योग सायंकाल से है। वहीं हर्षण योग का प्रात: 09.52 बजे तक है। सर्वार्थ सिध्द-अमृत सिद्धि योग के साथ पुनर्वसु नक्षत्र शाम 04.02 मिनट तक है। इसके बाद पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इन योग में शिव पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है।
ज्योतिषाचार्य पं.अजय कृष्णशंकर व्यास के अनुसार-श्रावण मास वर्षा ऋतु में आता है। इसलिए इस माह में चंद्र और शिव की आराधना करने से चंद्र दोष शीघ्र दुर होता है । चंद्रमा के पिता ऋषि अत्रि और माता देवी अनुसूया हैं,जोकि ब्रह्मा के मानस पुत्रों में थे। पौराणिक कथा अनुसार चंद्र देव को भगवान शिव ने अपने मस्तक पर धारण किया है। उन्हें नवग्रहों में से एक माना जाता है। इसीलिए शिव आराधना से चंद्र दोष को समाप्त करने का अचूक कारण माना जाता है।
सूर्य-चंद्र युति के कुछ विशिष्ट प्रभाव और आराधना होने से जातक को एक मजबूत व्यक्तित्व, आत्मविश्वास और रचनात्मकता प्रदान करता है। यह युति जातक को शारीरिक रूप से आकर्षक और मानसिक रूप से मजबूत भी बनाती है। सुर्य-बुध, बुधादित्य योग निर्माण होने से इस अमावस्या पर बैंक,बीमा, पत्रकार,लेखक,उपन्यासकार, नाटककार, कलाकार, धर्म के क्षैत्र से जुड़े जातक सफलता अर्जित करेंगे। पुष्य नक्षत्र शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र में अमावस्या होने से धन-समृद्धि और शांति मिलती है। इसीप्रकार पुनर्वसु नक्षत्र भी शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र में अमावस्या होने से सुख-शांति और समृद्धि आती है।
श्रावण अमावस्या का धार्मिक और सामाजिक महत्व भी है,विशेषकर पितरों की शांति-ऋणमुक्ति और शुभता के लिए। श्रावण अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान,तर्पण और श्राद्ध कर्म करने का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने,दान-पुण्य करने और धार्मिक अनुष्ठान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। श्रावण अमावस्या को ऋणमुक्ति के लिए भी शुभ माना जाता है। इस दिन पौधारोपण कर प्रकृति के प्रति आभार माने जाने की सदियों से परंपरा रही है। पुराने जमाने में फलदार-छायादार पौधे लगाए जाते थे। ताकि राहगिर को छाया और भोजन दोनों प्राप्त हो। पर्यावरण का संरक्षण हो।
यह कार्य न करें श्रावण अमावस्या पर
श्रावण अमावस्या पर यह मांसाहार न करें,मदिरा का सेवन न करें,तामसिक भोजन से दूर रहें,बाल और नाखून न काटे,क्रोध और विवाद से दूर रहें,तुलसी के पौधे से पत्ते न तोड़ें।
दक्षिण भारत में श्रावण मास 25 से
दक्षिण भारत के महाराष्ट्र,गोवा,कर्नाटक,तमिलनाडु,आंध्र प्रदेश,तेलंगाना और गुजरात तथा नेपाल देश में श्रावण मास का प्रारंभ 25 जुलाई से और समापन 23 अगस्त को होगा। जबकि उत्तर भारत में श्रावण मास के 15 दिन पूर्ण हो जाएंगे।
एक वर्ष में आती है 12 अमावस्या
भारतीय माह में हर महीने में एक ओर एक वर्ष में 12 अमावस्या तिथि आती है। पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष का 15वां या अंतिम दिन अमावस्या कहलाता है। इसके बाद शुक्ल पक्ष या उजवाला लग जाता है। सोमवार को आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस दिन विवाहिताएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का विधान है,इससे मन शांत होता है। शनिवार को आने वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या कहते है। इस दिन शनि देव की पूजा की जाती है। सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष के अंत में आती है,इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध तर्पण होता है।
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
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