भारत में परिवर्तन हो रहा था। मुगल साम्राज्य का पतन हो रहा था और ईस्ट इंडिया कंपनी पूरे उपमहाद्वीप में अपना प्रभाव फैला रही थी। इस पृष्ठभूमि में, उस दौर का एक दस्तावेज, जो अब तेलंगाना राज्य अभिलेखागार और अनुसंधान संस्थान (TSARI) में संरक्षित है, इस बात पर प्रकाश डालता है कि देश के विभिन्न हिस्सों से गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों को किस तरह धार्मिक स्वायत्तता दी गई थी।
यह दस्तावेज फरमान है, जो मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय, अबुल मुजफ्फर जलालुद्दीन मुहम्मद द्वारा जारी किया गया एक शाही फरमान है। 102 सेमी लंबाई और 46 सेमी चौड़ाई वाला यह फरमान इलाहाबाद के सूबा (प्रांत) में तैनात अधिकारियों को निर्देश देता है कि किसी भी तीर्थयात्री से कोई शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। इसके अलावा, यह अनिवार्य करता है कि सरकार सभी खर्च वहन करे।
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