अयोध्या से नेपाल के जनकपुर तक फैले भगवान श्रीराम के वन गमन पथ की खोज में डॉ. रामअवतार शर्मा एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। डॉ. शर्मा, जो इस पवित्र यात्रा के शोधकर्ता और इतिहासकार हैं, अब मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऐसे तीन स्थलों की तलाश में हैं, जहां कथानुसार भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान कुछ समय बिताया।
डॉ. रामअवतार शर्मा ने बताया कि अब तक उन्होंने श्रीराम वन गमन पथ पर कुल 290 ऐसे स्थलों की पहचान कर ली है। इन स्थलों का इतिहास और उनकी पौराणिक महत्वता, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके शोध और खोज से संबंधित राज्य सरकारें इन स्थलों के संरक्षण और विकास पर सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं।
इस बार डॉ. शर्मा की यात्रा का मुख्य उद्देश्य मध्य प्रदेश के उमरिया और अनूपपुर जिलों में दो स्थलों तथा सीधी-सिंगरौली जिले में एक स्थल की पहचान करना है। उनका मानना है कि इन स्थानों पर भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान कुछ दिन बिताए थे और वहां उनके जीवन और यात्रा से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं।
उन्होंने बताया कि वन गमन पथ के प्रत्येक स्थल का सही स्थान निर्धारित करना आसान नहीं है। यह कार्य गहन शोध, स्थानीय किंवदंतियों, प्राचीन ग्रंथों और स्थलाकृतिक अध्ययन के माध्यम से किया जाता है। डॉ. शर्मा का कहना है कि प्रत्येक खोज केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और पर्यटन दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
राज्य सरकारें इन स्थलों को पर्यटन और धार्मिक यात्रा के केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना पर काम कर रही हैं। इसके तहत वहां श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का विकास, मार्गों का सुधार और स्थानीय इतिहास को उजागर करने वाले सूचना केंद्र बनाने पर जोर दिया जा रहा है। सरकार की यह पहल न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि स्थानीय लोगों के आर्थिक विकास में भी मदद करेगी।
शोधकर्ता डॉ. शर्मा का मानना है कि श्रीराम वन गमन पथ के प्रत्येक स्थल को संरक्षित करना हमारी सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा, “इन स्थलों की खोज और संरक्षण से आने वाली पीढ़ियों को हमारी पौराणिक कथाओं और इतिहास के महत्व का ज्ञान मिलेगा। यह कार्य धार्मिक, ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
डॉ. रामअवतार शर्मा की इस यात्रा में स्थानीय इतिहासकार, पुरातत्वविद और ग्रामीणों की सहायता भी शामिल है। स्थानीय लोगों द्वारा दी गई जानकारी और पुरानी कथाओं के आधार पर शोधकर्ता इन स्थलों की सही पहचान करते हैं। उनका मानना है कि स्थानीय समुदाय इस कार्य में सहयोग देकर अपनी संस्कृति और परंपरा को जीवित रख सकते हैं।
इस बार की यात्रा के दौरान खोजे जाने वाले स्थल आने वाले समय में धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से अत्यंत आकर्षक बन सकते हैं। डॉ. शर्मा ने आशा जताई है कि उनकी यह खोज मध्य प्रदेश को श्रीराम वन गमन पथ के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी।
इस तरह, डॉ. रामअवतार शर्मा की निरंतर खोज और यात्रा न केवल धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में सांस्कृतिक पर्यटन को भी नई दिशा दे रही है।
You may also like
हमें बचपन की बातें याद क्यों नहीं रहती हैं
What IS EPFO Passbook Light In Hindi: क्या है ईपीएफओ का पासबुक लाइट?, लाखों कर्मचारियों की बड़ी दिक्कत इससे होगी खत्म
Asia Cup 2025: अक्षर पटेल और हर्षित राणा OUT! पाकिस्तान के खिलाफ सुपर-4 के मुकाबले के लिए ऐसी हो सकती है Team India की प्लेइंग XI
गरुड़ पुराण में वर्णित पांच लोग जिनसे प्यार से बात करना बेकार है
काजू बादाम नहीं बल्कि रात` को भिगोकर सुबह खाएं ये बीज फायदे मिलेंगे इतने हर मेवा इसके आगे फेल