उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ अपनी तहजीब, नवाबी अंदाज़ और मुस्कुराहट के लिए जानी जाती है। यहां का मिजाज ही कुछ ऐसा है कि शहर की पहचान 'मुस्कुराइए, आप लखनऊ में हैं' जैसे जुमलों से होती है। लेकिन इसी नवाबी शहर में एक ऐसी शर्मनाक घटना घटी है, जिसने न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार किया है, बल्कि कानून के रखवाले कहे जाने वाले पेशे—वकालत—को भी झकझोर दिया है। दरअसल, यह मामला लखनऊ के पारा थाना क्षेत्र के शिवपुरी जलालपुर इलाके का है। पीड़ित वकील धीरसेन भट्ट ने पुलिस में एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें होली के बहाने अपने ही मुवक्किल द्वारा न केवल शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया, बल्कि उनके साथ अमानवीय और घिनौनी हरकतें भी की गईं।
भावनात्मक ब्लैकमेल के बाद शराब पिलाईघटना 18 मार्च की रात की है। धीरसेन भट्ट का कहना है कि उनके मुवक्किल विनोद कुमार, जो कि देवपुर का निवासी है, ने पहले होली पर मिलने से इनकार कर दिया। लेकिन बाद में खुद ही रात 9 बजे के करीब उन्हें अपने घर बुलाया। जब वकील वहां पहुंचे तो उन्हें बाहर वाले कमरे में बैठाया गया और दो पेटी देशी शराब सामने रख दी गई। वकील ने शराब पीने से साफ इनकार किया, लेकिन विनोद ने भावनात्मक रूप से उन्हें मजबूर कर शराब पिला दी।
विरोध करने पर फावड़े से हमलावकील धीरसेन ने जब देखा कि आरोपी ने उनके घर के बाहर अपने नाम की नेम प्लेट लगा दी है तो उन्होंने इसका विरोध किया। बस यही विरोध उनकी तकलीफ की शुरुआत बन गया। विनोद और उसका बेटा, दोनों मिलकर वकील की पिटाई करने लगे। तभी पड़ोस में इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान चलाने वाला एक व्यक्ति भी वहां पहुंचा और उसने वकील पर फावड़े से हमला कर दिया। हालांकि, वकील ने किसी तरह फावड़े के वार को अपने हाथ से रोका, जिससे उनका हाथ बुरी तरह से फट गया। इसके बाद हमलावरों ने फिर उसी फावड़े से उनके हाथ पर वार किया और गाली-गलौज करते हुए अमानवीय कृत्य किया—गिलास में पेशाब कर जबरन पिलाया।
सोने की चेन लूटी और जान से मारने की कोशिशइतना ही नहीं, वकील के अनुसार, आरोपियों ने उनका जनेऊ भी तोड़ दिया और गले से सोने की चेन लूट ली। जब इससे भी उनका मन नहीं भरा, तो उन्होंने डंडा उठाकर वकील के पेट में घोंप दिया। यह पूरी घटना एक सुनियोजित साजिश जैसी प्रतीत होती है, जिसमें एक मुवक्किल, उसका बेटा, पड़ोसी दुकानदार और एक अन्य व्यक्ति शामिल थे।
चीख-पुकार पर पहुंचे लोग, बची जानवकील की चीख-पुकार सुनकर मोहल्ले के अन्य लोग वहां पहुंचे और किसी तरह उसे हमलावरों के चंगुल से बचाया गया। घायल वकील ने तुरंत नजदीकी पुलिस चौकी को सूचना दी, लेकिन पुलिस की ओर से तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद उन्होंने पारा थाने में जाकर लिखित शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने अब दर्ज किया केस, जांच शुरूलंबे समय तक कार्रवाई न होने के कारण मामला दबा ही रह जाता, लेकिन मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म्स पर जब यह मुद्दा सामने आया तो पुलिस ने संज्ञान लिया और मामले में केस दर्ज कर लिया गया है। पारा थाना पुलिस का कहना है कि आरोपों की जांच की जा रही है और जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी।
सवाल उठते हैं...इस घटना ने यह सवाल खड़े कर दिए हैं कि जब एक वकील, जो खुद कानून का संरक्षक होता है, उसके साथ ऐसी हैवानियत की जा सकती है, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की क्या गारंटी है? साथ ही, यह भी सोचने का विषय है कि अगर वकील की शिकायत के बावजूद पुलिस तत्काल कार्रवाई नहीं करती, तो न्याय की उम्मीद कौन करे? यह पूरी घटना लखनऊ जैसे शहर में कानून व्यवस्था की स्थिति और सामाजिक गिरावट पर बड़ा सवालिया निशान लगाती है। इंसानियत, तहजीब और भरोसे के नाम पर पहचाने जाने वाले इस शहर में अगर ऐसे दृश्य सामने आते हैं, तो शायद वह "मुस्कुराइए..." वाली पहचान अब खोने लगी है।
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