राजस्थान की रेत, हवेलियाँ और किले जितने खूबसूरत हैं, उतने ही रहस्यमयी भी हैं। हर किला, हर दीवार अपने भीतर कोई न कोई कहानी समेटे हुए है- कुछ बहादुरी की, कुछ प्यार की और कुछ... जो डर और रहस्य से जुड़ी हैं। ऐसी ही एक कहानी है जयगढ़ किले के रहस्य की, जो सदियों से दबा हुआ है, लेकिन जिसकी छाया आज भी वहां मौजूद हर शख्स को महसूस होती है।जयपुर की पहाड़ियों पर स्थित जयगढ़ किला ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। इसे 'विजय दुर्ग' भी कहा जाता है, क्योंकि इसने न केवल आमेर किले की रक्षा की, बल्कि इसमें दुनिया की सबसे बड़ी तोप 'जयवाना' और कई अन्य सैन्य उपकरणों का संग्रह भी है। लेकिन इस सारी भव्यता के पीछे एक डरावना सच छिपा है, जिसे जानने की कोशिश हर कोई करता है, लेकिन इसका जवाब कभी साफ नहीं हो पाता।
तहखानों का रहस्य: क्या वहां कुछ छिपा है?
जयगढ़ किले के भीतर गहरे और रहस्यमयी तहखाने हैं, जिनका इस्तेमाल कभी खजाना छिपाने के लिए किया जाता था। लोककथाओं के अनुसार, यहाँ राजघरानों का गुप्त खजाना छिपा हुआ था, जिसे आज तक कोई भी पूरी तरह से नहीं देख पाया है।लेकिन खजाने से भी बड़ा रहस्य वहाँ का डरावना माहौल है। कई बार काम करने वाले कर्मचारियों और सुरक्षा गार्डों ने दावा किया है कि रात में तहखानों से अजीबोगरीब आवाज़ें आती हैं - जैसे कोई रो रहा हो, चीख रहा हो या मदद माँग रहा हो। लेकिन जब वे वहाँ जाकर देखते हैं, तो वहाँ कोई नहीं होता। क्या यह किसी की आत्मा है जो सदियों से वहाँ बंद है?
भैरव देव का मंदिर और अलौकिक घटनाएँ
जयगढ़ किले के भीतर भैरव बाबा का प्राचीन मंदिर स्थित है, जिन्हें इस किले के संरक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति भैरव बाबा का अनादर करता है या बिना अनुमति के मंदिर में प्रवेश करता है, तो उसे अलौकिक दंड का सामना करना पड़ता है।कुछ पर्यटकों ने बताया कि उन्हें अचानक ठंडी हवाओं के झोंके, असामान्य हलचल और मंदिर के पास अदृश्य छायाएँ महसूस हुईं, जबकि वहाँ कोई नहीं था।
किले की रात में सफाई क्यों नहीं की जाती?
एक और रहस्यमयी बात यह है कि सूर्यास्त के बाद जयगढ़ किले में कोई सफाई या मरम्मत का काम नहीं होता। सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि कई बार रात में वहां काम करने वाले लोगों को भयानक अनुभव हुए, किसी को लगा कि कोई उन्हें धक्का दे रहा है, तो किसी को लगा कि कोई साया उनके पास से गुजर रहा है।
रहस्य जो रहस्य ही रह गए
इतिहासकारों और पुरातत्वविदों ने जयगढ़ किले की कई बार खुदाई और अध्ययन किया, लेकिन तहखानों के अंदर के कुछ हिस्सों तक आज भी नहीं पहुंचा जा सका है। कुछ लोगों का कहना है कि यहां काले जादू से जुड़ी घटनाएं भी हुई हैं, जिसके सबूत अब समय की धूल में दफन हो चुके हैं।यह भी कहा जाता है कि एक समय किले में एक गुप्त दरवाजा था, जो सीधे आमेर किले से जुड़ा हुआ था। लेकिन आज वह दरवाजा भी रहस्य ही रह गया है।
सच या भ्रम?
यह सवाल आज भी बना हुआ है- क्या वाकई जयगढ़ किले में कोई आत्मा या अलौकिक शक्ति है? या यह सब पुरानी कहानियों का असर है जो समय के साथ डरावनी कल्पनाओं में बदल गईं?जो भी हो, सच तो यह है कि जयगढ़ किला न केवल अपनी वास्तुकला और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह डर और रहस्य का प्रतीक भी बन गया है। वहां कदम रखने वाला हर व्यक्ति कुछ अनकहा, कुछ अनदेखा अवश्य महसूस करता है।
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