आज पूरी दुनिया में गुलाबी नगर के नाम से मशहूर जयपुर का स्थापना दिवस है। जयपुर शहर की स्थापना 18 नवंबर 1727 को हुई थी। इसकी नींव कछवाहा शासक सवाई जयसिंह (1700-1743 ई.) ने रखी थी।जयपुर के निर्माण में जयसिंह को विद्याधर नामक बंगाली से विशेष सहायता मिली थी। उन्होंने एक निश्चित योजना के आधार पर जयपुर का निर्माण कराया। 1729 में शहर का एक बड़ा हिस्सा, जिसमें बाजार, मंदिर, मकान आदि शामिल थे, बनकर तैयार हो गया था।
यहां 9 में से 7 ब्लॉक आम जनता के मकानों और दुकानों के लिए निर्धारित किए गए थे। इसके तीनों तरफ दक्षिण की तरफ को छोड़कर पहाड़ियां हैं। पुराना शहर एक चारदीवारी से घिरा हुआ है, जिसके चारों तरफ 7 द्वार बनाए गए थे।भव्य महलों वाले इस शहर का निर्माण करते समय इसमें प्रवेश के लिए 7 द्वार बनाए गए थे, जो सूर्य के 7 रथों के प्रतीक हैं। यह शहर चारों तरफ से दीवारों से घिरा हुआ है। जयपुर जहां बसा है, वहां पहले 6 गांव हुआ करते थे।
जयपुर का निर्माण नाहरगढ़, तालकटोरा, संतोषसागर, मोती कटला, गलताजी और किशनपोल को मिलाकर किया गया था। सिटी पैलेस के उत्तर में तालकटोरा झील हुआ करती थी। इस झील के उत्तर में एक और झील थी जिसे बाद में राजामल का तालाब के नाम से जाना जाने लगा।जयपुर शहर को बसाते समय सड़कों और विभिन्न रास्तों की चौड़ाई पर विशेष ध्यान दिया गया था। मुख्य बाजार त्रिपोलिया बाजार में सड़क की चौड़ाई 107 फीट रखी गई थी, जबकि हवा महल के पास देवरी बाजार में 104 फीट की सड़क बनाई गई थी।
इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया कि मुख्य बाजार की सड़कों के दोनों ओर सभी इमारतों का आकार और ऊंचाई एक जैसी हो। चांदपोल से सूरजपोल द्वार पश्चिम से उत्तर की ओर है और यहां मुख्य सड़क दोनों द्वारों को जोड़ती है। बीच में एक चौपड़ है।जयपुर शहर का निर्माण 1727 में शुरू हुआ था। मुख्य खंडों के निर्माण में लगभग 4 साल लगे थे। उस समय राजधानी आमेर हुआ करती थी। 1876 में जब प्रिंस ऑफ वेल्स के आगमन की खबर महाराजा सवाई मानसिंह को मिली तो उन्होंने उनके स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगवा दिया।तब से इस शहर का नाम गुलाबी नगर पड़ गया।
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