जयपुर। राजस्थान में मेडिकल कॉलेज अब मनमाने ढंग से फीस नहीं वसूल सकेंगे। राजस्थान की भजनलाल सरकार ने अब इस संबंध में बड़े कदम उठा लिए हैं। प्रदेश में संचालित सभी निजी मेडिकल कॉलेजों को फीस संरचना के नियमों की कड़ाई से पालना सुनिश्चित करवाने के लिए भजनलाल सरकार ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है।
इस बात की जानकारी चिकित्सा शिक्षा विभाग के शासन सचिव अम्बरीष कुमार ने दी है। उन्होंने बताया कि किसी भी संस्था द्वारा अनुमोदित शुल्क से अधिक कोई अन्य शुल्क वसूला जाता है तो प्रभावित विद्यार्थियों को 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ शुल्क वापस किया जाएगा। नियमों का अनुपालन न करने पर संस्था की संबद्धता आरयूएचएस एवं एमएमयू से समाप्त की जा सकती है, अतिरिक्त शुल्क कॉलेज की संपत्तियों से वसूल किया जाएगा और प्रभावित विद्यार्थियों को अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों में स्थानांतरित किया जाएगा। ऐसी संस्थाओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी। इसकी जानकारी एनएमसी एवं डीसीआई को भी दी जाएगी। संबद्धता समाप्त होने पर विद्यार्थियों के शुल्क और वित्तीय भार की वसूली संबंधित संस्था से की जाएगी।
अम्बरीष कुमार ने बताया कि पूर्व में कुछ निजी मेडिकल कॉलेजों द्वारा मनमाने ढंग से फीस वसूलने की शिकायतें मिली थी । इसके बाद राज्य सरकार ने विद्यार्थियों के हित में फीस वसूली के नियमों में पूर्ण पारदर्शिता रखने के उद्देश्य से यह आदेश जारी किया है।
इस आधार पर राजस्थान सरकार ने लिया है निर्णय
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस्लामिक एकेडमी ऑफ एजुकेशन बनाम कर्नाटक राज्य मामले में दिए गए निर्णय की अनुपालना में यह आदेश जारी किया गया है, जिसमें निजी शैक्षणिक संस्थानों में शुल्क निर्धारण और प्रवेश प्रक्रिया को विनियमित करने पर जोर दिया गया है। आदेश के अनुसार राज्य स्तरीय शुल्क निर्धारण समिति द्वारा निर्धारित शुल्क संरचना का पालन सभी मेडिकल कॉलेज के लिए अनिवार्य है।
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