लाइव हिंदी खबर :- सनातन धर्म में कलयुग के देवताओं में श्री गणेश और हनुमान जी का विशेष स्थान है। इसके साथ ही, सूर्य देव को भी कलयुग के जाग्रत देव के रूप में पूजा जाता है।
हनुमान जी को कलयुग के प्रमुख देवताओं में से एक माना जाता है, और उनकी साधना का फल शीघ्र मिलता है। यही कारण है कि उन्हें जन-जन का देवता कहा जाता है।
इनकी पूजा करना सरल है, क्योंकि इनके मंदिर हर जगह मौजूद हैं, जिससे भक्तों को पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं होती। मानव जीवन का सबसे बड़ा भय है, और जो व्यक्ति हनुमान जी का नाम स्मरण करता है, वह भय से मुक्त हो जाता है।
हनुमान साधना के नियम
हनुमान साधना के लिए कुछ आवश्यक नियम हैं:
– साधना में शुद्धता और पवित्रता का पालन करना अनिवार्य है। प्रसाद शुद्ध घी से बना होना चाहिए।
– हनुमान जी को तिल के तेल में मिला हुआ सिंदूर लगाना चाहिए।
– हनुमान जी को केसर के साथ घिसा लाल चंदन लगाना चाहिए।
– लाल और पीले बड़े फूल अर्पित करने चाहिए। कमल, गेंदे और सूर्यमुखी के फूल हनुमान जी को प्रसन्न करते हैं।
– नैवेद्य में प्रातः गुड़, नारियल का गोला और लड्डू, दोपहर में गुड़, घी और गेहूं की रोटी का चूरमा अर्पित करना चाहिए। रात्रि में आम, अमरूद, केला आदि फलों का प्रसाद अर्पित करें।
साधना के अन्य नियम
– साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है।
– जो नैवेद्य हनुमान जी को अर्पित किया जाता है, उसे साधक को ग्रहण करना चाहिए।
– मंत्र जप बोलकर किया जा सकता है। हनुमान जी की मूर्ति के सामने उनके नेत्रों की ओर देखते हुए मंत्रों का जप करें।
– साधना में रुद्राक्ष माला का प्रयोग किया जाता है।
हनुमान जी की साधना का महत्व
मंगलवार हनुमान जी का दिन है, इस दिन अनुष्ठान करना चाहिए। इसके अलावा, शनिवार को भी हनुमान पूजा का महत्व है। हनुमान साधना से ग्रहों का अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है।
हनुमान जी और सूर्य देव का आपस में गहरा संबंध है, जिससे साधकों में आत्मविश्वास और तेजस्विता आती है।
हनुमान जी की साधना में ध्यान का विशेष महत्व है। साधक को हनुमान जी के स्वरूप का ध्यान करना चाहिए।
हनुमान मंत्र और अनुष्ठान
हनुमान मंत्र चमत्कार:
हनुमान साधना से संबंधित कई मंत्र प्रचलित हैं। आदि शंकराचार्य ने ‘हनुमन्मंत्र चमत्कारानुष्ठान पद्धति’ की रचना की है। साधक अपनी बाधाओं के अनुसार इन मंत्रों का जप कर सकता है।
यहां कुछ प्रभावशाली मंत्र दिए जा रहे हैं, जिन्हें शुक्ल पक्ष के एक मंगलवार से अगले मंगलवार तक ग्यारह हजार बार जप करना चाहिए। अनुष्ठान आरंभ करने से पहले हनुमान की पूजा करनी चाहिए:
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित-विक्रमाय प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्य-कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।।
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