BrahMos Missile: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, देश की सुरक्षा प्रणाली की सराहना की जा रही है। पाकिस्तान के हमलों को रोकने में भारत की सफलता ने इसकी क्षमता को उजागर किया है। वर्तमान में, ब्रह्मोस मिसाइल की चर्चा जोरों पर है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में उत्तर प्रदेश में ब्रह्मोस निर्माण इकाई का उद्घाटन किया है। इससे भारत के पास जल्द ही अधिक ब्रह्मोस मिसाइलें होंगी। क्या आप जानते हैं कि भारत ने ब्रह्मोस को सुरक्षा बलों में कब शामिल किया था?
फायर एंड फॉरगेट तकनीक फायर एंड फॉरगेट
ब्रह्मोस एक ऐसी मिसाइल है जिसे फायर एंड फॉरगेट तकनीक के तहत उपयोग किया जाता है। इसका अर्थ है कि एक बार इसे लॉन्च करने के बाद, इसे बार-बार लक्ष्य के लिए सेट करने की आवश्यकता नहीं होती। यह स्वचालित रूप से अपने लक्ष्य को पहचानती है और उसे नष्ट करती है। इसे जल, वायु और भूमि से लॉन्च किया जा सकता है।
ब्रह्मोस का विकास ब्रह्मोस की कहानी कहां से शुरू हुई?
1980 के दशक में भारत के इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) ने न्यूक्लियर कैपेबल बैलिस्टिक मिसाइलों की अग्नि श्रृंखला का विकास शुरू किया। इस कार्यक्रम के प्रमुख डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम थे। इस दौरान कई मिसाइलें विकसित की गईं, जैसे कि आकाश, पृथ्वी और नाग।
1990 में, भारत के नीति निर्माताओं ने सशस्त्र बलों को क्रूज मिसाइलों से लैस करने की सिफारिश की। 1991 के खाड़ी युद्ध में इनका सफल उपयोग हुआ, जिससे इनकी आवश्यकता और स्पष्ट हो गई।
रूस के साथ सहयोग रूस के साथ किए साइन
फरवरी 1998 में, रूस के साथ प्रारंभिक बातचीत के बाद, डॉ. अब्दुल कलाम और रूस के उप रक्षा मंत्री एन. वी मिखाइलोव ने एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए। उस समय डॉ. कलाम DRDO के प्रमुख थे। इस समझौते के बाद, DRDO और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच ब्रह्मोस एयरोस्पेस का गठन हुआ।
ब्रह्मोस नाम का अर्थ कैसे पड़ा ब्रह्मोस नाम?
ब्रह्मोस नाम ब्रह्मपुत्र और मोस्कवा नदियों के नामों से लिया गया है। यह इकाई सुपरसोनिक, उच्च सटीकता वाली क्रूज मिसाइलों के डिजाइन और निर्माण के लिए स्थापित की गई थी। भारत की हिस्सेदारी 50.5% और रूस की 49.5% थी। मिसाइल का पहला सफल परीक्षण 12 जून, 2001 को ओडिशा के चांदीपुर तट पर किया गया।
ब्रह्मोस की कार्यप्रणाली दो स्टेज में करती है काम
ब्रह्मोस मिसाइल में दो स्टेज होते हैं, जिसमें ठोस प्रणोदक बूस्टर इंजन होता है। पहले स्टेज में, यह मिसाइल को ध्वनि की गति से अधिक सुपरसोनिक गति पर लाती है। दूसरे स्टेज में, लिक्विड रैमजेट इंजन इसे क्रूज चरण में ध्वनि की गति से तीन गुना अधिक गति पर ले जाता है। यह एक एयर-ब्रीदिंग जेट इंजन है जो लिक्विड ईंधन का उपयोग करता है।
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