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Sidhu Moosewala case : सिस्टम से नहीं मिला इंसाफ, तो पिता ने खुद संभाला मोर्चा, अब विधानसभा में मांगेंगे हिसाब

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News India Live, Digital Desk: Sidhu Moosewala case : मैं सियासत करने नहीं, अपने बेटे के कातिलों को सजा दिलाने और इस बहरे सिस्टम को जगाने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं।" - यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि एक लाचार पिता का दर्द है, जिसने अब इंसाफ के लिए आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है। जी हां, दिवंगत पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह ने पंजाब की राजनीति में भूचाल लाते हुए ऐलान कर दिया है कि वह अब खुद चुनावी मैदान में उतरेंगे।क्यों लिया इतना बड़ा फैसला?यह फैसला किसी राजनीतिक महत्वाकांक्षा का नतीजा नहीं, बल्कि सिस्टम से टूटे एक पिता के भरोसे का अंत है। बलकौर सिंह ने साफ कहा है कि उनके बेटे की हत्या को दो साल से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन आज भी असली मास्टरमाइंड कानून की पकड़ से बाहर हैं। उन्होंने कहा, "हम हर दरवाजे पर गए, हर नेता से गुहार लगाई, लेकिन हमें सिर्फ तारीखों और झूठे आश्वासनों के सिवा कुछ नहीं मिला।"उनका दर्द इन शब्दों से समझा जा सकता है, "जब तक आप सिस्टम का हिस्सा नहीं बनते, यह बहरा सिस्टम आपकी सुनता ही नहीं। अब मैं विधानसभा के अंदर जाकर अपने बेटे के लिए इंसाफ की आवाज उठाऊंगा और पूछूंगा कि मेरे बेटे की फाइल क्यों आगे नहीं बढ़ रही है।"बुढलाडा सीट से लड़ेंगे चुनावबलकौर सिंह ने मानसा की बुढलाडा विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया है। यह खबर सामने आते ही पंजाब के राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। यह लगभग तय है कि उनका चुनाव किसी राजनीतिक पार्टी के बैनर तले नहीं, बल्कि इंसाफ के मुद्दे पर होगा। सिद्धू मूसेवाला के फैंस और इंसाफ की मांग करने वाले आम लोग ही उनकी सबसे बड़ी ताकत होंगे।सिर्फ एक चुनाव नहीं, एक पिता का संघर्षबलकौर सिंह का यह कदम पंजाब की राजनीति में एक नया अध्याय लिख सकता है। यह सिर्फ एक सीट पर होने वाला उपचुनाव नहीं होगा, बल्कि यह एक पिता का अपने बेटे के लिए इंसाफ का संघर्ष होगा, जो अब सड़क से सदन तक पहुंच गया है। उनका चुनाव लड़ना कई बड़े राजनीतिक दलों के समीकरण बिगाड़ सकता है, क्योंकि उनका मुद्दा सीधे लोगों के दिलों से जुड़ा है।अब देखना यह है कि एक पिता का यह दर्द भरा कदम पंजाब की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है और क्या यह 'बहरा सिस्टम' वाकई जागता है या नहीं।
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