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रूस के सुखोई फाइटर जेट के खिलाफ जेलेंस्की के हाथ लगा गेमचेंजर हथियार, मिलेंगे 150 Gripen-E विमान, Su-3o से होगी टक्कर?

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कीव/मॉस्को: करीब एक दशक बाद आखिरकार स्वीडन के फाइटर जेट Saab Gripen-E मल्टी रोल फाइटर जेट पर ऑर्डर्स की बारिश हो रही है। स्वीडन, थाईलैंड और कोलंबिया के बाद, युद्धग्रस्त देश यूक्रेन ने अब इन अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की खरीदने का फैसला किया है। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा, तो कीव ग्रिपेन-ई विमान का सबसे बड़ा ऑपरेटर बन सकता है। 22 अक्टूबर को स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बीच ये समझौता हुआ है। जिसके तहत यूक्रेन ने करीब 150 साब ग्रिपेन-ई लड़ाकू विमान खरीदने के मकसद से आशय पत्र (एलओआई) पर साइन किए हैं।

स्टॉकहोम में हुई इस ऐतिहासिक बैठक में स्वीडिश प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने "एयर फोर्स सहयोग को गहरा करने" पर सहमति जताई। अगर यह डील पूरी होती है तो यूक्रेन Gripen-E का सबसे बड़ा ऑपरेटर बन जाएगा। स्वीडन सरकार ने बयान जारी कर कहा कि यह साझेदारी ना सिर्फ फाइटर जेट की खरीद तक सीमित रहेगी, बल्कि इसमें एयर कॉम्बैट, डिफेंस सिस्टम्स और टेक्नोलॉजी शेयरिंग भी शामिल होगी।

यूक्रेन खरीदेगा स्वीडिश ग्रिपेन ई फाइटर जेट!
Gripen-E लड़ाकू विमानों को लेकर यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब स्वीडन ने हाल ही में अपने पहले Gripen-E को वायुसेना में शामिल किया है। पहले स्वीडन ने यूक्रेन को इन विमानों की सप्लाई से इनकार कर दिया था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह सौदा तीन साल में पूरी तरह अमल में आ सकता है, यानी यूक्रेन को पहले बैच के जेट्स 2026 से मिलने शुरू हो सकते हैं। जेलेंस्की ने इस मौके पर कहा कि "ग्रिपेन हमारे लिए सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि हमारी सुरक्षा और भविष्य का प्रतीक होगा।" डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि स्वीडिश विमान, रूस के एसयू-30 और एसयू-35 के खिलाफ एक मजबूत लड़ाकू विमान साबित हो सकते हैं।

आपको बता दें कि Gripen-E को दुनिया का सबसे स्मार्ट लड़ाकू विमान कहा जाता है। इसमें एडवांस AESA रडार, एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और IRST (Infrared Search & Track) सेंसर लगे हैं जो दुश्मन के विमानों को लंबी दूरी से ट्रैक और टारगेट कर सकते हैं। Saab कंपनी के मुताबिक, दुश्मन की सबसे पहले पहचान करने और पहला मिसाइल दागने की क्षमता रखता है। यानी युद्ध के शुरुआती पलों में ही दुश्मन को मात दे सकता है। Gripen-E की सबसे खास बात इसका कम ऑपरेशनल कॉस्ट और तेज टर्नअराउंड टाइम है। इसे सिर्फ 6 लोग 20 मिनट में रीफ्यूल और रिआर्म कर सकते हैं, जिससे यह रूसी हमलों के बीच भी हाईवे या छोटे एयरस्ट्रिप से उड़ान भर सकता है।
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क्या रूसी एयर डिफेंस को भेदने की है क्षमता?
हालाकि एक्सपर्ट्स इस बात पर बात कर रहे हैं कि क्या ये फाइटर जेट रूस के एडवांस एस-400 और एस-500 एयर डिफेंस को चकमा दे सकते हैं? कुछ डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्रिपेन ई का एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सूट और कम रडार क्रॉस-सेक्शन इसे रूस के एस-400 और एस-300 एयर डिफेंस के खिलाफ प्रभावी बना सकता है, जो यूक्रेन के मौजूदा मिग-29 और एसयू-27 के लिए चुनौती बने हुए हैं। लेकिन वाकई क्या ऐसा हो पाएगा, ये तो युद्ध के मैदान में ही पता चल पाएगा।

लेकिन यह जेट NATO के हथियारों के साथ पूरी तरह इंटीग्रेटेड है और Meteor मिसाइल, AMRAAM, और JDAM बमों का इस्तेमाल कर सकता है। इससे यूक्रेन न सिर्फ अपनी एयरस्पेस की रक्षा कर सकेगा बल्कि रूस के अंदर गहराई तक टारगेट्स को हिट करने की क्षमता भी हासिल कर लेगा। भारतीय वायुसेना के पूर्व अधिकारी विजयिंदर के. ठाकुर ने यूरशियन टाइम्स से कहा कि "Gripen की सिचुएशनल अवेयरनेस और टैक्टिकल एडवांटेज सु-30 और सु-35 पर भारी पड़ेगा, खासकर जब ये विमान AWACS कवर में ऑपरेट करेंगे।” यानि अगर सबकुछ जेलेंस्की के मुताबिक हुआ तो आने वाले वक्त में रूस को ग्रिपेन विमानों से तगड़ी चुनौती मिल सकती है।
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