इस्लामाबाद: पाकिस्तानी सेना और टीटीपी आतंकियों के लिए अफगानिस्तान से सटा खैबर पख्तूनख्वा प्रांत जंग का मैदान बन गया है। पाकिस्तानी सेना बहुत तेजी से खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कई जिलों से अपनी पकड़ खोती जा रही है। इस इलाके पर अब तहरीक-ए-तालिबान यानि टीटीपी और उसके सहयोगी गुटों के आतंकियों ने अपनी पकड़ काफी मजबूत कर लिया है। खुफिया सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच मौजूद सीमा रेखा डूरंड लाइन खासकर खैबर, कुर्रम, उत्तरी और दक्षिणी वजीरिस्तान तथा बाजौर तक जाने से भी पाकिस्तानी सेना डर रही है। इन इलाकों पर प्रभावी तरीके से टीटीपी का कंट्रोल हो गया है।
सीएनएन न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक टीटीपी के आतंकियों ने खैबर प्रांत के कबायली जिलों के रास्ते में कई जगहों पर चेकप्वाइंट बना लिया है और उन्हें रोकने में पाकिस्तानी सेना बुरी तरह से फेल साबित हो रही है। इसमें पेशावर- खैबर रोड, हांगू-कुर्रम कॉरिडोर, बन्नू-डेरा इस्माइल खान रास्ता जो वजीरिस्तान को जाता है, शामिल है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि टीटीपी के आतंकी खुलेआम वाहनों की जांच कर रहे हैं और लोगों के पहचान पत्र को देख रहे हैं। इसके अलावा वे जिहाद के लिए चंदा भी जमा कर रहे हैं।
असीम मुनीर को टीटीपी कमांडर ने दी चुनौती
यही नहीं टीटीपी के मीडिया विंग ने वीडियो जारी करके दिखाया है कि कैसे उसके लड़ाके इन चेकपोस्ट पर तैनात हैं और खुलकर जांच कर रहे हैं। इसके जरिए टीटीपी के आतंकी अपने कंट्रोल को दिखा रहे हैं और पाकिस्तानी सरकार को चुनौती दे रहे हैं। टीटीपी के एक आतंकी कमांडर ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख को खैबर पख्तूनख्वा आने के लिए चुनौती दी है। उसने कहा है कि अगर असीम मुनीर मर्द हैं और मां का दूध पिया है तो वह खैबर आकर दिखाएं। खुफिया सूत्रों ने चेतावनी दी है कि टीटीपी के आतंकियों ने अपने परंपरागत ग्रामीण इलाके से बाहर निकलकर पेशावर के शहरी इलाकों में अपने अभियान चलाने शुरू कर दिए हैं।
टीटीपी के आतंकी अब बडाबेर, मत्तानी और बोरा रोड कॉरिडोर पर पहुंच गए हैं जो अब तक पाकिस्तानी सेना और पुलिस के कंट्रोल में होते थे। सूत्रों ने बताया कि ये जोन अब टीटीपी के सेमी पर्मानेंट और वसूली अड्डे बन गए हैं। इसके जरिए वे पैसे वसूल रहे हैं और अपने अभियान को चला रहे हैं। यही नहीं वे नए आतंकियों की भर्ती भी कर रहे हैं। टीटीपी के आतंकी पेशावर शहर से लगे हुए इलाके में हथियार जमा कर रहे हैं। इससे पाकिस्तान के शहरी सुरक्षा ग्रिड में आतंकियों की बड़ी घुसपैठ हो गई है। पाकिस्तान की पुलिस खैबर मोहम्मद बेल्ट से भाग खड़ी हुई है जिससे वहां अब टीटीपी आतंकियों ने अपनी पोस्ट बना ली है।
टीटीपी को सपोर्ट कर रहे पाकिस्तानी कबायली
तहरीक-ए-तालिबान के आतंकी अपना प्रशासनिक ढांचा खड़ा कर रहे हैं और ठीक वही रणनीति अपना रहे हैं जो तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपने कब्जे के लिए अपनाई थी। इसके तहत वे पहले ग्रामीण इलाके पर कब्जा कर रहे हैं और फिर शहरों की ओर बढ़ रहे हैं। हालत यह है कि पाकिस्तानी सैनिक घने कबायली इलाके में तैनाती से भाग रहे हैं। इसके पीछे वजह यह है कि टीटीपी के हमले में बहुत बड़ी तादाद में पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं। यही नहीं स्थानीय कबायली टीटीपी का खुलकर सपोर्ट करते हैं। पंजाबी मूल के सैनिक वहां जाने से भी डर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि खैबर पख्तूनख्वा की चुनौती पाकिस्तानी सेना के लिए सबसे बड़ी बन गई है।
सीएनएन न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक टीटीपी के आतंकियों ने खैबर प्रांत के कबायली जिलों के रास्ते में कई जगहों पर चेकप्वाइंट बना लिया है और उन्हें रोकने में पाकिस्तानी सेना बुरी तरह से फेल साबित हो रही है। इसमें पेशावर- खैबर रोड, हांगू-कुर्रम कॉरिडोर, बन्नू-डेरा इस्माइल खान रास्ता जो वजीरिस्तान को जाता है, शामिल है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि टीटीपी के आतंकी खुलेआम वाहनों की जांच कर रहे हैं और लोगों के पहचान पत्र को देख रहे हैं। इसके अलावा वे जिहाद के लिए चंदा भी जमा कर रहे हैं।
असीम मुनीर को टीटीपी कमांडर ने दी चुनौती
यही नहीं टीटीपी के मीडिया विंग ने वीडियो जारी करके दिखाया है कि कैसे उसके लड़ाके इन चेकपोस्ट पर तैनात हैं और खुलकर जांच कर रहे हैं। इसके जरिए टीटीपी के आतंकी अपने कंट्रोल को दिखा रहे हैं और पाकिस्तानी सरकार को चुनौती दे रहे हैं। टीटीपी के एक आतंकी कमांडर ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख को खैबर पख्तूनख्वा आने के लिए चुनौती दी है। उसने कहा है कि अगर असीम मुनीर मर्द हैं और मां का दूध पिया है तो वह खैबर आकर दिखाएं। खुफिया सूत्रों ने चेतावनी दी है कि टीटीपी के आतंकियों ने अपने परंपरागत ग्रामीण इलाके से बाहर निकलकर पेशावर के शहरी इलाकों में अपने अभियान चलाने शुरू कर दिए हैं।
टीटीपी के आतंकी अब बडाबेर, मत्तानी और बोरा रोड कॉरिडोर पर पहुंच गए हैं जो अब तक पाकिस्तानी सेना और पुलिस के कंट्रोल में होते थे। सूत्रों ने बताया कि ये जोन अब टीटीपी के सेमी पर्मानेंट और वसूली अड्डे बन गए हैं। इसके जरिए वे पैसे वसूल रहे हैं और अपने अभियान को चला रहे हैं। यही नहीं वे नए आतंकियों की भर्ती भी कर रहे हैं। टीटीपी के आतंकी पेशावर शहर से लगे हुए इलाके में हथियार जमा कर रहे हैं। इससे पाकिस्तान के शहरी सुरक्षा ग्रिड में आतंकियों की बड़ी घुसपैठ हो गई है। पाकिस्तान की पुलिस खैबर मोहम्मद बेल्ट से भाग खड़ी हुई है जिससे वहां अब टीटीपी आतंकियों ने अपनी पोस्ट बना ली है।
टीटीपी को सपोर्ट कर रहे पाकिस्तानी कबायली
तहरीक-ए-तालिबान के आतंकी अपना प्रशासनिक ढांचा खड़ा कर रहे हैं और ठीक वही रणनीति अपना रहे हैं जो तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपने कब्जे के लिए अपनाई थी। इसके तहत वे पहले ग्रामीण इलाके पर कब्जा कर रहे हैं और फिर शहरों की ओर बढ़ रहे हैं। हालत यह है कि पाकिस्तानी सैनिक घने कबायली इलाके में तैनाती से भाग रहे हैं। इसके पीछे वजह यह है कि टीटीपी के हमले में बहुत बड़ी तादाद में पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं। यही नहीं स्थानीय कबायली टीटीपी का खुलकर सपोर्ट करते हैं। पंजाबी मूल के सैनिक वहां जाने से भी डर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि खैबर पख्तूनख्वा की चुनौती पाकिस्तानी सेना के लिए सबसे बड़ी बन गई है।
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