नोएडा: अमेरिकी ट्रेड वॉर को लेकर नोएडा के उद्यमी और व्यापारी चौकन्ने है। 50 फीसदी टैरिफ लागू होने के बाद उनके माथे पर चिंता की लकीरें जरूर हैं, लेकिन वे समाधान निकालने में जुट गए हैं। उनका कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप के 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ के ऐलान के साथ ही विकल्पों पर काम शुरू हो गया था। नोएडा से बड़े पैमाने पर मोबाइल, गारमेंट्स और खिलौनों का एक्सपोर्ट होता है। अमेरिका इनका मुख्य बाजार है। लेकिन, टैरिफ बढ़ने के बाद यहां उद्योगपति और व्यापारी यूरोप के साथ अन्य देशों में मार्केट तलाश रहे है, जहां टैरिफ कम है। बांग्लादेश के जरिये माल भेजने की योजना पर भी काम चल रहा है।
हैडलूम हैडिक्राफ्ट एक्सपोर्ट वेलफेयर असोसिएशन के अध्यक्ष सीपी शर्मा ने बताया कि अमेरिका को हैडलूम, हैडिक्राफ्ट, रेडिमेड गारमेंट्स और फैशन जूलरी जैसे उत्पादों के निर्यातक संकट का सामना कर रहे हैं। अमेरिका के 50% टैरिफ ने निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है। लेकिन, इसका समाधान तलाशा जा रहा है। उम्मीद है कि भारत सरकार भी इसमें राहत देगी।
उनका कहना है कि 40-50 दिनों में अधिकांश निर्यातकों ने लगभग 20-25% शिपमेंट हवाई मार्ग से भेजे, ताकि नए साल की बिक्री प्रभावित न हो। लेकिन, शेष तैयार माल पर रोक लगी है। इस परिस्थिति से निपटने के लिए निर्यातक वैकल्पिक रास्ते तलाश रहे हैं। जैसे दुबई या यूरोप के माध्यम से शिपमेंट भेजना। हालांकि, इन विकल्पों में भी कई चुनौतियां सामने आ रही हैं।
इसके अलावा यूरोप के बाजार तलाशे जाएंगे। इस कठिन परिस्थिति में असोसिएशन अपने सभी निर्यातकों को सलाह दे रही है कि घरेलू बाजार में भी बिक्री बढ़ाने की दिशा में प्रयास करें। सरकार से भी निवेदन है कि निर्यातकों के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान निकाले। कुछ समय के लिए विशेष इन्सेंटिव या राहत पैकेज दे।
नोएडा से 94,272 करोड़ का निर्यात
गौतमबुद्ध नगर प्रदेश का सबसे बड़ा निर्यातक है। पिछले वित्त वर्ष में यहां से 94,272 करोड़ का निर्यात हुआ। सबसे अधिक निर्यात स्मार्टफोन और रेडिमेड गारमेट्स का होता है। इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद, जेम्स एंड जूलरी, खिलौने, बासमती चावल, इंजीनियरिंग गुड्स, रसायन, बेसिक मेटल भी शामिल है।
भारतीय निर्यात संगठन महासंघ के अनुसार, टैरिफ बढ़ने का सबसे गहरा असर स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक्स और गारमेंट्स उद्योग पर पड़ा है। अमेरिका में भारतीय मोबाइल फोन महंगे होने से ऑर्डर कम हो सकते है। जूलरी सेक्टर पर भी असर पड़ेगा। नोएडा अपैरल एक्सपोर्ट कलस्टर के अध्यक्ष ललित ठुकराल के मुताबिक, जिले से अकेले गारमेंट्स का सालाना निर्यात 50 से 55 हजार करोड़ रुपये का है।
'देश में बनी चीजों को खरीदना-बेचना होगा'
अपैरल ट्रेनिग एंड डिजाइनिग सेंटर नोएडा के चेयरमैन शिव भार्गव का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए हमे अपने देश में बनी चीजों को ही खरीदना और बेचना होगा। यह टैरिफ से लड़ने का भी आसान रास्ता है। अब हम अमेरिकी बाजार से निकलकर बाहर भी विकल्प तलाशेंगे। अपने उत्पादों को बांग्लादेश के माध्यम से अमेरिका पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। बांग्लादेश को माध्यम बनाएंगे, जिसकी शिपमेट भारत के रास्ते ही जाती है।
उबरकर मजबूत वापसी करेंगे: विपिन मल्हन
नोएडा एंटरप्रेन्योर असोसिएशन के अध्यक्ष विपिन मल्हन के मुताबिक, अमेरिकी टैरिफ से आने वाला कुछ समय भले ही विचलित करने वाला हो, लेकिन हम उबरकर मजबूत वापसी करेंगे। पीएम नरेद्र मोदी भी जीएसटी कम कर उद्यमियों को राहत देने की घोषणा कर चुके है। अमेरिकी व्यापार युद्ध के जवाब में नए बाजारों की तलाश के लिए व्यापार मेलों में अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे और नए बिक्री चैनल बनाकर इससे निकलेंगे। यह रणनीति टैरिफ प्रभावों का मुकाबला करने और अन्य निर्यात अवसरो को मजबूती देगा।
गाजियाबाद का हाल
गाजियाबाद में एक लाख से ज्यादा छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां है। हर साल करीब 25 हजार करोड़ रुपये का निर्यात होता है। इसमे सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग और मशीनरी गुड्स, ऑटोमोबाइल स्पेयर पार्ट्स, चीनी मिल पार्ट्स, लिफ्ट शामिल है। उद्यमी अमेरिका के बजाय दुनिया के दूसरे देशों में निर्यात की रणनीति बना रहे है।
फरीदाबाद भी तैयार
फरीदाबाद की करीब 3 हजार कंपनियां यूएस में सामान निर्यात करती है। ऑटोमोबाइल, टैक्सटाइल, डेकोरेटिव व मेडिकल इंडस्ट्री का ज्यादा सामान निर्यात होता है। फरीदाबाद के उद्यमियो ने बताया कि यहां इतना ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यहां की इंडस्ट्री ने पहले से ही काम करना शुरू कर दिया था।
हैडलूम हैडिक्राफ्ट एक्सपोर्ट वेलफेयर असोसिएशन के अध्यक्ष सीपी शर्मा ने बताया कि अमेरिका को हैडलूम, हैडिक्राफ्ट, रेडिमेड गारमेंट्स और फैशन जूलरी जैसे उत्पादों के निर्यातक संकट का सामना कर रहे हैं। अमेरिका के 50% टैरिफ ने निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है। लेकिन, इसका समाधान तलाशा जा रहा है। उम्मीद है कि भारत सरकार भी इसमें राहत देगी।
उनका कहना है कि 40-50 दिनों में अधिकांश निर्यातकों ने लगभग 20-25% शिपमेंट हवाई मार्ग से भेजे, ताकि नए साल की बिक्री प्रभावित न हो। लेकिन, शेष तैयार माल पर रोक लगी है। इस परिस्थिति से निपटने के लिए निर्यातक वैकल्पिक रास्ते तलाश रहे हैं। जैसे दुबई या यूरोप के माध्यम से शिपमेंट भेजना। हालांकि, इन विकल्पों में भी कई चुनौतियां सामने आ रही हैं।
इसके अलावा यूरोप के बाजार तलाशे जाएंगे। इस कठिन परिस्थिति में असोसिएशन अपने सभी निर्यातकों को सलाह दे रही है कि घरेलू बाजार में भी बिक्री बढ़ाने की दिशा में प्रयास करें। सरकार से भी निवेदन है कि निर्यातकों के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान निकाले। कुछ समय के लिए विशेष इन्सेंटिव या राहत पैकेज दे।
नोएडा से 94,272 करोड़ का निर्यात
गौतमबुद्ध नगर प्रदेश का सबसे बड़ा निर्यातक है। पिछले वित्त वर्ष में यहां से 94,272 करोड़ का निर्यात हुआ। सबसे अधिक निर्यात स्मार्टफोन और रेडिमेड गारमेट्स का होता है। इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद, जेम्स एंड जूलरी, खिलौने, बासमती चावल, इंजीनियरिंग गुड्स, रसायन, बेसिक मेटल भी शामिल है।
भारतीय निर्यात संगठन महासंघ के अनुसार, टैरिफ बढ़ने का सबसे गहरा असर स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक्स और गारमेंट्स उद्योग पर पड़ा है। अमेरिका में भारतीय मोबाइल फोन महंगे होने से ऑर्डर कम हो सकते है। जूलरी सेक्टर पर भी असर पड़ेगा। नोएडा अपैरल एक्सपोर्ट कलस्टर के अध्यक्ष ललित ठुकराल के मुताबिक, जिले से अकेले गारमेंट्स का सालाना निर्यात 50 से 55 हजार करोड़ रुपये का है।
'देश में बनी चीजों को खरीदना-बेचना होगा'
अपैरल ट्रेनिग एंड डिजाइनिग सेंटर नोएडा के चेयरमैन शिव भार्गव का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए हमे अपने देश में बनी चीजों को ही खरीदना और बेचना होगा। यह टैरिफ से लड़ने का भी आसान रास्ता है। अब हम अमेरिकी बाजार से निकलकर बाहर भी विकल्प तलाशेंगे। अपने उत्पादों को बांग्लादेश के माध्यम से अमेरिका पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। बांग्लादेश को माध्यम बनाएंगे, जिसकी शिपमेट भारत के रास्ते ही जाती है।
उबरकर मजबूत वापसी करेंगे: विपिन मल्हन
नोएडा एंटरप्रेन्योर असोसिएशन के अध्यक्ष विपिन मल्हन के मुताबिक, अमेरिकी टैरिफ से आने वाला कुछ समय भले ही विचलित करने वाला हो, लेकिन हम उबरकर मजबूत वापसी करेंगे। पीएम नरेद्र मोदी भी जीएसटी कम कर उद्यमियों को राहत देने की घोषणा कर चुके है। अमेरिकी व्यापार युद्ध के जवाब में नए बाजारों की तलाश के लिए व्यापार मेलों में अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे और नए बिक्री चैनल बनाकर इससे निकलेंगे। यह रणनीति टैरिफ प्रभावों का मुकाबला करने और अन्य निर्यात अवसरो को मजबूती देगा।
गाजियाबाद का हाल
गाजियाबाद में एक लाख से ज्यादा छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां है। हर साल करीब 25 हजार करोड़ रुपये का निर्यात होता है। इसमे सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग और मशीनरी गुड्स, ऑटोमोबाइल स्पेयर पार्ट्स, चीनी मिल पार्ट्स, लिफ्ट शामिल है। उद्यमी अमेरिका के बजाय दुनिया के दूसरे देशों में निर्यात की रणनीति बना रहे है।
फरीदाबाद भी तैयार
फरीदाबाद की करीब 3 हजार कंपनियां यूएस में सामान निर्यात करती है। ऑटोमोबाइल, टैक्सटाइल, डेकोरेटिव व मेडिकल इंडस्ट्री का ज्यादा सामान निर्यात होता है। फरीदाबाद के उद्यमियो ने बताया कि यहां इतना ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यहां की इंडस्ट्री ने पहले से ही काम करना शुरू कर दिया था।
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