नई दिल्ली : अहमदाबाद में 12 जून को क्रैश हुई अहमदाबाद से लंदन के गैटविक जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट नंबर-एआई-171 मामले की जांच एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) द्वारा की जा रही है। एक्सपर्ट का कहना है कि नागर विमानन मंत्रालय की तरफ से एएआईबी के हवाले से 11-12 जून की आधी रात के बाद क्रैश मामले की आरंभिक रिपोर्ट जारी की गई। जिसमें आधी-अधूरी जानकारी दी गई। जिससे भारत ही नहीं दुनिया में भ्रम की स्थिति हो गई। खासतौर से विदेशी मीडिया का एक वर्ग क्रैश के लिए पायलटों की तरफ शक की अंगुली उठाने लगा। यह देखते हुए 17 जुलाई को एएआईबी के डीजी जीवीजी युगांधर की तरफ से एक अपील करते हुए कहा गया कि जांच पूरी होने तक कोई भी अपनी तरफ से नतीजे पर ना पहुंचे। लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि यह भ्रम की स्थिति खुद एएआईबी ने ही पैदा की। जिसने कई सवालों को जन्म दे दिया।
फ्यूल स्विच बंद होने से पहले ही हो गए थे इंजन फेल?
एविएशन सेक्टर के जाने-माने एक्सपर्ट और सेफ्टी मेटर्स फेडरेशन के फाउंडर अमित सिंह ने एनबीटी को बताया कि उन्होंने इस मामले में एविएशन मिनिस्ट्री द्वारा दी गई आरंभिक रिपोर्ट और वायरल वीडियो का पूरा एनालिसिस किया। इससे लगता है कि बोइंग के इस 787-8 ड्रीमलाइनर एयरक्राफ्ट के टेक ऑफ होते ही 160 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 296 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के वक्त दोनों इंजन फेल हो गए थे। चूंकि, इंजन फेल होने से पहले उसका जो थ्रस्ट था। उसने प्लेन को 180 नोटस यानी करीब 333 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंचा दिया। फिर प्लेन नीचे आने लगा। प्लेन के टेक ऑफ की यह स्पीड कम नहीं बल्कि करीब 20 केएमपीएच अधिक ही थी। जो प्लेन के टेक ऑफ के लिए बेहतर ही था।
फ्यूल स्विच प्लेन के सिस्टम ने किए बंद
अगर एक्सपर्ट सिंह की मानें तो प्लेन के दोनों फ्यूल कंट्रोल स्विच किसी पायलट ने नहीं बल्कि खुद एयरक्राफ्ट के सिस्टम ने बंद किए। इंजन बंद होते ही प्लेन के कंप्यूटर सिस्टम ने इंजनों को बंद होना मानते हुए अपने आप ऑटोमेटिक प्लेन के दोनों फ्यूल स्विच रन से कटऑफ यानी ऑन से ऑफ कर दिए। इसी वजह से पायलटों के बीच भ्रम की स्थिति बनी। जिसमें एक पायलट ने दूसरे से पूछा भी 'Why did he cutoff' यानी 'उसने फ्यूल स्विच बंद क्यों किया'? जवाब में दूसरे पायलट ने कहा कि 'He did not do so' यानी 'उसने ऐसा नहीं किया'। इसी के सपोर्ट में क्रैश में जिंदा बचे यात्री ने भी कहा था कि प्लेन की लाइटें ऑन-ऑफ हो रही थी। यानी यह मुमकिन है कि एयरक्राफ्ट के सिस्टम में टेक ऑफ होते ही कुछ इलेक्ट्रॉनिक प्रॉब्लम या सॉफ्टवेयर बग जैसी गड़बड़ी आई हो और ऐसा हुआ।
ब्लैक बॉक्स को दिल्ली लाने में 9 दिन क्यों लगे?
12 जून को हुए हादसे के अगले दिन 13 जून को ब्लैक बॉक्स का पहला और 16 जून को दूसरा पार्ट मिल गया था। एक्सपर्ट का कहना है कि जब दोनों पार्ट 16 जून तक मिल गए थे तो फिर इन्हें दिल्ली लाने में नौ दिन क्यों लगे। मंत्रालय ने 26 जून को बताया था कि भारी सुरक्षा के बीच इन्हें 24 जून को दिल्ली लाया गया। एक्सपर्ट अमित का कहना है कि इससे एक शक तो होता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि इस बीच ब्लैक बॉक्स को अमेरिका भेजा गया हो। जहां वॉशिंगटन स्थित लैब में नेशनल सेफ्टी ट्रांसपोर्ट बोर्ड (NTSB) ने इसका डाटा डाउनलोड किया हो और फिर इसे भारत वापस भेज दिया गया हो। हालांकि, मामले में मंत्रालय पहले ही साफ कर चुका है कि ब्लैक बॉक्स की जांच भारत में ही की जाएगी। लेकिन शक लाजिमी है कि जब 16 जून तक ब्लैक बॉक्स मिल गया था तो नौ दिनों तक इसे अहमदाबाद में ही क्यों रखा गया। क्योंकि, कई मामलों में भारत से पहले अमेरिकी मीडिया से प्लेन क्रैश की खबरें आईं।
अभी तक FIR क्यों नहीं की गई
एयर इंडिया के इस प्लेन क्रैश में फ्लाइट के यात्री और चालक दल के 241 समेत 260 लोग मारे गए। लेकिन अभी तक इस मामले में अहमदाबाद में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। एक्सपर्ट का कहना है कि क्या इस मामले में अभी तक एफआईआर नहीं होनी चाहिए थी। कहीं ऐसा तो नहीं कि गड़बड़ी बोइंग के इस एयरक्राफ्ट में आई हो और सारा दोष पायलटों पर मढ़ दिया जाए। एफआईआर ना होने के मामले में अहमदाबाद पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनबीटी को बताया कि यह सही है कि इस मामले में अभी तक एफआईआर नहीं हुई है। इसके पीछे का तर्क बताते हुए अधिकारी ने कहा कि चूंकि मामले की जांच एएआईबी द्वारा की जा रही है। इसलिए पुलिस की तरफ से रिपोर्ट का इंतजार है। इसके बाद ही एफआईआर की जाएगी।
ब्लैक बॉक्स का इंटरनल पार्ट कैसे जला
यह सभी के सामने है कि क्रैश हुए बोइंग के इस एयरक्राफ्ट की टेल बिल्डिंग में फंस गई थी। जिसमें से ब्लैक बॉक्स का एक हिस्सा बरामद किया गया। बताया गया कि यह पार्ट बुरी तरह से इंटरनल डैमेज हुआ। जो जला हुआ भी था। एक्सपर्ट का कहना है कि यह इस बात का भी संकेत हो सकता है कि प्लेन में टेक ऑफ करते ही कुछ टेक्निकल प्रॉब्लम आई। जिसने टेल में लगे ब्लैक बॉक्स के सिस्टम को भी डैमेज किया। मुमकिन है कि इसी प्रॉब्लम की वजह से क्रैश से पहले प्लेन के अंदर बत्तियां जल-बुझ रहीं थी। फ्यूल स्विच के बंद होने की आवाज भी कॉकपिट वायस रिकॉर्डर से पता लगाई जा सकती है। जिसमें क्या किसी तरह के क्लिक की आवाज कैद हुई भी है या नहीं।
दोनों इंजन और फ्यूल स्विच की जांच पूरी नहीं
क्रैश हुए बोइंग के इस प्लेन के दोनों इंजन जेनेक्स यानी जीई कंपनी के थे और फ्यूल स्विच हनीवेल कंपनी के। अभी तक इनकी पूरी तरह से जांच नहीं हो सकी है। एक्सपर्ट का कहना है कि दोनों इंजन और दोनों स्विच की जांच होना बेहद जरूरी है। यह इस दुर्घटना के मुख्य कारण या कारणों से जुड़े हुए हैं। इनकी जांच एएआईबी के साथ ही इनकी कंपनियों द्वारा भी कराई जाएगी। यह जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है। लेकिन इससे पहले ही एएआईबी ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट भी दे दी। रिपोर्ट में किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा गया है, लेकिन जिस तरह से रिपोर्ट दी गई है। वह पायलटों को सवालों के घेरे में खड़ा कर रही है। जो की किसी भी जांच के पूरी होने से पहले ठीक नहीं है।
फ्यूल स्विच बंद होने से पहले ही हो गए थे इंजन फेल?
एविएशन सेक्टर के जाने-माने एक्सपर्ट और सेफ्टी मेटर्स फेडरेशन के फाउंडर अमित सिंह ने एनबीटी को बताया कि उन्होंने इस मामले में एविएशन मिनिस्ट्री द्वारा दी गई आरंभिक रिपोर्ट और वायरल वीडियो का पूरा एनालिसिस किया। इससे लगता है कि बोइंग के इस 787-8 ड्रीमलाइनर एयरक्राफ्ट के टेक ऑफ होते ही 160 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 296 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के वक्त दोनों इंजन फेल हो गए थे। चूंकि, इंजन फेल होने से पहले उसका जो थ्रस्ट था। उसने प्लेन को 180 नोटस यानी करीब 333 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंचा दिया। फिर प्लेन नीचे आने लगा। प्लेन के टेक ऑफ की यह स्पीड कम नहीं बल्कि करीब 20 केएमपीएच अधिक ही थी। जो प्लेन के टेक ऑफ के लिए बेहतर ही था।
फ्यूल स्विच प्लेन के सिस्टम ने किए बंद
अगर एक्सपर्ट सिंह की मानें तो प्लेन के दोनों फ्यूल कंट्रोल स्विच किसी पायलट ने नहीं बल्कि खुद एयरक्राफ्ट के सिस्टम ने बंद किए। इंजन बंद होते ही प्लेन के कंप्यूटर सिस्टम ने इंजनों को बंद होना मानते हुए अपने आप ऑटोमेटिक प्लेन के दोनों फ्यूल स्विच रन से कटऑफ यानी ऑन से ऑफ कर दिए। इसी वजह से पायलटों के बीच भ्रम की स्थिति बनी। जिसमें एक पायलट ने दूसरे से पूछा भी 'Why did he cutoff' यानी 'उसने फ्यूल स्विच बंद क्यों किया'? जवाब में दूसरे पायलट ने कहा कि 'He did not do so' यानी 'उसने ऐसा नहीं किया'। इसी के सपोर्ट में क्रैश में जिंदा बचे यात्री ने भी कहा था कि प्लेन की लाइटें ऑन-ऑफ हो रही थी। यानी यह मुमकिन है कि एयरक्राफ्ट के सिस्टम में टेक ऑफ होते ही कुछ इलेक्ट्रॉनिक प्रॉब्लम या सॉफ्टवेयर बग जैसी गड़बड़ी आई हो और ऐसा हुआ।
ब्लैक बॉक्स को दिल्ली लाने में 9 दिन क्यों लगे?
12 जून को हुए हादसे के अगले दिन 13 जून को ब्लैक बॉक्स का पहला और 16 जून को दूसरा पार्ट मिल गया था। एक्सपर्ट का कहना है कि जब दोनों पार्ट 16 जून तक मिल गए थे तो फिर इन्हें दिल्ली लाने में नौ दिन क्यों लगे। मंत्रालय ने 26 जून को बताया था कि भारी सुरक्षा के बीच इन्हें 24 जून को दिल्ली लाया गया। एक्सपर्ट अमित का कहना है कि इससे एक शक तो होता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि इस बीच ब्लैक बॉक्स को अमेरिका भेजा गया हो। जहां वॉशिंगटन स्थित लैब में नेशनल सेफ्टी ट्रांसपोर्ट बोर्ड (NTSB) ने इसका डाटा डाउनलोड किया हो और फिर इसे भारत वापस भेज दिया गया हो। हालांकि, मामले में मंत्रालय पहले ही साफ कर चुका है कि ब्लैक बॉक्स की जांच भारत में ही की जाएगी। लेकिन शक लाजिमी है कि जब 16 जून तक ब्लैक बॉक्स मिल गया था तो नौ दिनों तक इसे अहमदाबाद में ही क्यों रखा गया। क्योंकि, कई मामलों में भारत से पहले अमेरिकी मीडिया से प्लेन क्रैश की खबरें आईं।
अभी तक FIR क्यों नहीं की गई
एयर इंडिया के इस प्लेन क्रैश में फ्लाइट के यात्री और चालक दल के 241 समेत 260 लोग मारे गए। लेकिन अभी तक इस मामले में अहमदाबाद में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। एक्सपर्ट का कहना है कि क्या इस मामले में अभी तक एफआईआर नहीं होनी चाहिए थी। कहीं ऐसा तो नहीं कि गड़बड़ी बोइंग के इस एयरक्राफ्ट में आई हो और सारा दोष पायलटों पर मढ़ दिया जाए। एफआईआर ना होने के मामले में अहमदाबाद पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनबीटी को बताया कि यह सही है कि इस मामले में अभी तक एफआईआर नहीं हुई है। इसके पीछे का तर्क बताते हुए अधिकारी ने कहा कि चूंकि मामले की जांच एएआईबी द्वारा की जा रही है। इसलिए पुलिस की तरफ से रिपोर्ट का इंतजार है। इसके बाद ही एफआईआर की जाएगी।
ब्लैक बॉक्स का इंटरनल पार्ट कैसे जला
यह सभी के सामने है कि क्रैश हुए बोइंग के इस एयरक्राफ्ट की टेल बिल्डिंग में फंस गई थी। जिसमें से ब्लैक बॉक्स का एक हिस्सा बरामद किया गया। बताया गया कि यह पार्ट बुरी तरह से इंटरनल डैमेज हुआ। जो जला हुआ भी था। एक्सपर्ट का कहना है कि यह इस बात का भी संकेत हो सकता है कि प्लेन में टेक ऑफ करते ही कुछ टेक्निकल प्रॉब्लम आई। जिसने टेल में लगे ब्लैक बॉक्स के सिस्टम को भी डैमेज किया। मुमकिन है कि इसी प्रॉब्लम की वजह से क्रैश से पहले प्लेन के अंदर बत्तियां जल-बुझ रहीं थी। फ्यूल स्विच के बंद होने की आवाज भी कॉकपिट वायस रिकॉर्डर से पता लगाई जा सकती है। जिसमें क्या किसी तरह के क्लिक की आवाज कैद हुई भी है या नहीं।
दोनों इंजन और फ्यूल स्विच की जांच पूरी नहीं
क्रैश हुए बोइंग के इस प्लेन के दोनों इंजन जेनेक्स यानी जीई कंपनी के थे और फ्यूल स्विच हनीवेल कंपनी के। अभी तक इनकी पूरी तरह से जांच नहीं हो सकी है। एक्सपर्ट का कहना है कि दोनों इंजन और दोनों स्विच की जांच होना बेहद जरूरी है। यह इस दुर्घटना के मुख्य कारण या कारणों से जुड़े हुए हैं। इनकी जांच एएआईबी के साथ ही इनकी कंपनियों द्वारा भी कराई जाएगी। यह जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है। लेकिन इससे पहले ही एएआईबी ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट भी दे दी। रिपोर्ट में किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा गया है, लेकिन जिस तरह से रिपोर्ट दी गई है। वह पायलटों को सवालों के घेरे में खड़ा कर रही है। जो की किसी भी जांच के पूरी होने से पहले ठीक नहीं है।
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