नई दिल्ली : बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष लगातार विरोध कर रहा है। इस क्रम में विपक्ष ने बिहार बंद के जरिये अपनी लड़ाई को सड़क तक पहुंचा दिया है। चुनाव आयोग के इस कदम को लेकर राहुल गांधी के साथ ही तेजस्वी यादव भी बिहार बंद शामिल हो गए हैं। इस बीच चुनाव आयोग ने अनुच्छेद 326 को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट किया है। इससे मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा था कि बिहार मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण से यह सुनिश्चित होगा कि सभी पात्र लोग इसमें शामिल हों।
क्या है अनुच्छेद 326?
चुनाव आयोग ने जो पोस्ट किया उसमें कहा गया है कि लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचनों का वयस्क मताधिकार के आधार पर होना लोक सभा और प्रत्येक राज्य की विधान सभा के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति, जो भारत का नागरिक है और ऐसी तारीख को, जो समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस निमित्त नियत की जाए, कम से कम अठारह वर्ष की आयु का है और इस संविधान या समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन अनिवास, चित्तविकृति, अपराध या भ्रष्ट या अवैध आचरण के आधार पर अन्यथा निरर्हित नहीं कर दिया जाता है, ऐसे किसी निर्वाचन में मतदाता के रूप में रजिस्ट्रीकृत होने का हकदार होगा।
वोटर लिस्ट पर क्या कह रहा EC
इससे पहले बिहार की मतदाता सूची का जिक्र करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार में जो भी व्यक्ति एक जनवरी 2003 की मतदाता सूची में है, उसे संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत प्राथमिक दृष्टिकोण से योग्य माना जाएगा। दूसरे शब्दों में, जिन लोगों के नाम उस सूची में हैं, उन्हें कोई कागज जमा करने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि आयोग जल्द ही 2003 की बिहार मतदाता सूची को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा, ताकि इसमें शामिल करीब 4.96 करोड़ मतदाताओं को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए गणना प्रपत्र के साथ संलग्न किए जाने वाले संबंधित हिस्से को निकालने में सुविधा हो।
कुमार ने बताया कि जिन मतदाताओं के माता-पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में है, उन्हें केवल अपने जन्म स्थान/तिथि के बारे में दस्तावेज देने होंगे। बिहार में अभी 243 विधानसभा सीट पर 7.89 करोड़ से अधिक मतदाता हैं। राज्य में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
क्या है अनुच्छेद 326?
चुनाव आयोग ने जो पोस्ट किया उसमें कहा गया है कि लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचनों का वयस्क मताधिकार के आधार पर होना लोक सभा और प्रत्येक राज्य की विधान सभा के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति, जो भारत का नागरिक है और ऐसी तारीख को, जो समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस निमित्त नियत की जाए, कम से कम अठारह वर्ष की आयु का है और इस संविधान या समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन अनिवास, चित्तविकृति, अपराध या भ्रष्ट या अवैध आचरण के आधार पर अन्यथा निरर्हित नहीं कर दिया जाता है, ऐसे किसी निर्वाचन में मतदाता के रूप में रजिस्ट्रीकृत होने का हकदार होगा।
वोटर लिस्ट पर क्या कह रहा EC
इससे पहले बिहार की मतदाता सूची का जिक्र करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार में जो भी व्यक्ति एक जनवरी 2003 की मतदाता सूची में है, उसे संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत प्राथमिक दृष्टिकोण से योग्य माना जाएगा। दूसरे शब्दों में, जिन लोगों के नाम उस सूची में हैं, उन्हें कोई कागज जमा करने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि आयोग जल्द ही 2003 की बिहार मतदाता सूची को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा, ताकि इसमें शामिल करीब 4.96 करोड़ मतदाताओं को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए गणना प्रपत्र के साथ संलग्न किए जाने वाले संबंधित हिस्से को निकालने में सुविधा हो।
कुमार ने बताया कि जिन मतदाताओं के माता-पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में है, उन्हें केवल अपने जन्म स्थान/तिथि के बारे में दस्तावेज देने होंगे। बिहार में अभी 243 विधानसभा सीट पर 7.89 करोड़ से अधिक मतदाता हैं। राज्य में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
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