विवेक शुक्ला, नई दिल्ली: राजधानी में करीब छह दशक पहले यहां पर बसे मलयाली परिवारों के बच्चों के लिए इंडिया गेट के करीब कैनिंग रोड में केरल स्कूल स्थापित हुआ तो इसका श्रेय केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और वामपंथी नेता वीएस अच्युतानंदन को भी जाता है। सोमवार को उनका 101 साल की उम्र में निधन हो गया।
इनके प्रयासों से खुला पहला केरल स्कूल
केरल के दिग्गज नेता ईएमएस नंबूदरीपाद, एजे गोपालन और वीएस अच्युतानंदन के प्रयासों से राजधानी में पहला केरल स्कूल खुला। इसकी स्थापना 1961 में हुई थी। जिस दिन ईएमएस नंबूदरीपाद ने कैनिंग रोड के केरल स्कूल का उद्घाटन किया था। उस दिन वीएस अच्युतानंदन भी मौजूद थे। वे उस समय केरल के उभरते हुए नेता थे और ईएमएस नंबूदरीपाद के बहुत खास साथी थे। जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे कि वीएस अच्युतानंदन ने केरल में शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए जीवन दे दिया। वे चाहते थे कि राजधानी में नौकरी के सिलसिले में आए मलयाली परिवारों के बच्चों के लिए भी अलग से स्कूल हों तमिल और आंध्र स्कूलों की तरह।
इन विषयों के थे गहन जानकार
राजधानी में तमिल और आंध्र स्कूल 1950 के दशक तक स्थापित हो चुके थे। वीएस अच्युतानंदन को लगता था कि केरल के समाज को भी यहां अपने स्कूल हर हाल में खोलने होंगे। राजधानी में मलयाली समाज के लिए स्कूल खोलने का विचार मुख्य रूप से नंबूदरिपाद, एजे गोपालन और वीएस अच्युतानंदन का ही था। वे चोटी के चिंतक और जननेता थे। वे दर्शन, इतिहास, अर्थशास्त्र और राजनीति जैसे विविध विषयों के गहन जानकार थे।
स्कूल खोलने में इनकी भूमिका अहम
राजधानी में केरल एजुकेशन सोसायटी सीनियर सेकंडरी स्कूल, कैनिंग रोड, मयूर विहार, आरके पुरम वगैरह में है। केरल स्कूल, कैनिग रोड के बाद 1973 में जनकपुरी में स्थापित हुआ। इसकी स्थापना में भी अच्युतानंदन का अहम रोल रहा। वे वे दिल्ली प्रवास के दौरान स्थानीय मलयालियों से मिलते और उन्हें अधिक से अधिक स्कूल खोलने के लिए प्रेरित करते, उनकी जितनी संभव होती मदद भी करते। एक बात और, सभी केरल स्कूलों में हिन्दी के शिक्षक मलयाली ही है।
जब भी दिल्ली आते, इन स्कूलों में जरूर जाते थे
केरल स्कूल का उद्देश्य केरल की सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। यहां मलयालम भाषा को वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है, जो केरल की मातृभाषा है। वीएस अच्युतानंदन राजधानी में सिर्फ एक केरल स्कूल की स्थापना से ही संतुष्ट नहीं हुए। ईएमएस नंबूदरिपाद और एजे गोपालन के बाद उनके प्रयासों से राजधानी में आरके पुरम, विकासपुरी और मयूर विहार में भी केरल स्कूल खुले। सबसे बड़ी बात ये है कि वे जब राजधानी आते तो इन स्कूलों का दौरा भी करते। केरल के प्रमुख पर्वों जैसे ओणम और विशु में वे इन केरल स्कूलों में जाते। वे सच में जनधड़कन के नेता थे।
इनके प्रयासों से खुला पहला केरल स्कूल
केरल के दिग्गज नेता ईएमएस नंबूदरीपाद, एजे गोपालन और वीएस अच्युतानंदन के प्रयासों से राजधानी में पहला केरल स्कूल खुला। इसकी स्थापना 1961 में हुई थी। जिस दिन ईएमएस नंबूदरीपाद ने कैनिंग रोड के केरल स्कूल का उद्घाटन किया था। उस दिन वीएस अच्युतानंदन भी मौजूद थे। वे उस समय केरल के उभरते हुए नेता थे और ईएमएस नंबूदरीपाद के बहुत खास साथी थे। जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे कि वीएस अच्युतानंदन ने केरल में शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए जीवन दे दिया। वे चाहते थे कि राजधानी में नौकरी के सिलसिले में आए मलयाली परिवारों के बच्चों के लिए भी अलग से स्कूल हों तमिल और आंध्र स्कूलों की तरह।
इन विषयों के थे गहन जानकार
राजधानी में तमिल और आंध्र स्कूल 1950 के दशक तक स्थापित हो चुके थे। वीएस अच्युतानंदन को लगता था कि केरल के समाज को भी यहां अपने स्कूल हर हाल में खोलने होंगे। राजधानी में मलयाली समाज के लिए स्कूल खोलने का विचार मुख्य रूप से नंबूदरिपाद, एजे गोपालन और वीएस अच्युतानंदन का ही था। वे चोटी के चिंतक और जननेता थे। वे दर्शन, इतिहास, अर्थशास्त्र और राजनीति जैसे विविध विषयों के गहन जानकार थे।
स्कूल खोलने में इनकी भूमिका अहम
राजधानी में केरल एजुकेशन सोसायटी सीनियर सेकंडरी स्कूल, कैनिंग रोड, मयूर विहार, आरके पुरम वगैरह में है। केरल स्कूल, कैनिग रोड के बाद 1973 में जनकपुरी में स्थापित हुआ। इसकी स्थापना में भी अच्युतानंदन का अहम रोल रहा। वे वे दिल्ली प्रवास के दौरान स्थानीय मलयालियों से मिलते और उन्हें अधिक से अधिक स्कूल खोलने के लिए प्रेरित करते, उनकी जितनी संभव होती मदद भी करते। एक बात और, सभी केरल स्कूलों में हिन्दी के शिक्षक मलयाली ही है।
जब भी दिल्ली आते, इन स्कूलों में जरूर जाते थे
केरल स्कूल का उद्देश्य केरल की सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। यहां मलयालम भाषा को वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है, जो केरल की मातृभाषा है। वीएस अच्युतानंदन राजधानी में सिर्फ एक केरल स्कूल की स्थापना से ही संतुष्ट नहीं हुए। ईएमएस नंबूदरिपाद और एजे गोपालन के बाद उनके प्रयासों से राजधानी में आरके पुरम, विकासपुरी और मयूर विहार में भी केरल स्कूल खुले। सबसे बड़ी बात ये है कि वे जब राजधानी आते तो इन स्कूलों का दौरा भी करते। केरल के प्रमुख पर्वों जैसे ओणम और विशु में वे इन केरल स्कूलों में जाते। वे सच में जनधड़कन के नेता थे।
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