कानपुर: अनमोल जीवन को अक्सर बीमारियों से जूझना पड़ता है। बीमारियों के बारे में पता करने के लिए सबसे बढ़िया तरीका पैथलॉजिकल टेस्ट है, लेकिन टेस्ट रिपोर्ट आने में 4 घंटे से लेकर 24, 48 और 72 घंटे लग जाते हैं। टेस्ट रिपोर्ट फटाफट मिलने और बीमारियों का समय से इलाज शुरू करने के लिए आईआईटी कानपुर के बायो साइंसेज ऐंड बायोइंजिनियरिंग विभाग ने एक प्लैटफॉर्म डिवाइस तैयार की है, जो मिनटों में सामान्य रोगों से लेकर गंभीर रोगों के बारे में जानकारी देगी। प्रफेसर संतोष मिश्रा के अनुसार, डिवाइस की बायोचिप में लार, पसीना, मूत्र और रक्त का नमूना रखते ही रिजल्ट मिलेंगे। नतीजे 96-98 प्रतिशत तक सटीक होंगे।
इस डिवाइस का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने पर लागत काफी कम की जा सकेगी। कुछ कंपनियों ने इस डिवाइस में दिलचस्पी दिखाई है। इसके पेटेंट और तकनीक के हस्तांतरण (टीओटी) की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही ये प्लैटफॉर्म डिवाइस बाजार में आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी। लैब में किए गए परीक्षणों में डिवाइस के नतीजे 98 प्रतिशत तक सटीक रहे हैं। मशीन बैटरी से चलेगी। इसे लोग घरों में रख सकेंगे और स्वास्थ्य कार्यकर्ता इसे लेकर दूरदराज के इलाकों में जा सकेंगे।
4 साल तक चला शोधकुछ बीमारियां कम समय में गंभीर रूप धारण कर लेती हैं। नियमित जांच से इस खतरे को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। आईआईटी कानपुर में 4 साल तक चले शोध के बाद एक ऐसी पॉइंट ऑफ केयर डिवाइस बनाई गई है, जो कम समय में शरीर में मौजूद समस्याओं के बारे में बताएगी। इसका दायरा डायबिटीज से लेकर कैंसर तक होगा।
इस डिवाइस में लगने वाली बायोचिप की खासियत ये होगी कि चिप को जरूरत के हिसाब से ट्यून किया जा सकेगा। कंपनी के स्तर पर ही अलग-अलग रोगों के टेस्ट के लिए एक साथ चिप दी जा सकती है। उदाहरण के तौर पर कैंसर, मूत्र मार्ग का संक्रमण या कोई अन्य बीमारी। तकनीकी शब्दावली में इसे इलेक्ट्रोकेमिकल मेथड ऑफ सेसिंग कहते है।
आईआईटी बीएचयू ने बनाई सुपर बैटरीआईआईटी बीएचयू के वैज्ञानियों को देश में पहली बार पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड डबल आयन बैटरी का प्रोटोटाइप तैयार करने में सफलता मिली है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह बैटरी सौर, पवन आदि स्वच्छ ऊर्जा की भंडारण क्षमता को तीन गुना ज्यादा बढ़ा सकती है। वहीं इसका आकार घर की इनवर्टर बैटरी से तीन गुना कम होगा। इस रिसर्च को अंतरराष्ट्रीय जर्नल ऑफ पावर सोर्सेज में जगह मिली है। इस तकनीक का पेटेंट भी फाइल कर दिया गया है। सुपर बैटरी को आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिक डॉ. प्रीतम सिंह और उनकी रिसर्च टीम ने तैयार किया है।
डॉ. सिंह के मुताबिक 2030 तक भारत को रिन्यूएबल एजर्नी के लिए 61 हजार मेगावॉट का स्टोरेज चाहिए। मगर वर्तमान में सिर्फ 442 मेगावॉट ही स्टोरेज है। वहीं, घर-घर लग रहे सोलर पैनलों से बनने वाली बिजली से ग्रिड पर बढ़ते भार से अतिरिक्त भंडारण क्षमता की जरूरत होगी। ऐसे में पोटेशियम हाड्रॉक्साइड डबल आयन बैटरी से भंडारण क्षमता की चिंता दूर हो सकेगी।
डॉ. प्रीतम सिंह ने बताया कि पोटैशियम आयन बैटरी देश में कई जगह तैयार हो रही है, लेकिन ये लीथियम आयन बैटरी के विकल्प के रूप में विकसित हो रही है। इसे सिर्फ मोबाइल और इलेक्ट्रानिक्स डिवाइस में ही इस्तेमाल किया जा सकता है। पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड डबल आयन सुपर बैटरी की ग्रिड स्तरीय ऊर्जा भंडारण का विकल्प प्रदान करती है। रिसर्च टीम में अंकित राज, नीरज कुमार मिश्रा, कृष्ण गोपाल निगम, अभिजीत सिंह, सोहम मुखर्जी, आशा गुप्ता और अखिलेश शामिल रहे।
इस डिवाइस का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने पर लागत काफी कम की जा सकेगी। कुछ कंपनियों ने इस डिवाइस में दिलचस्पी दिखाई है। इसके पेटेंट और तकनीक के हस्तांतरण (टीओटी) की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही ये प्लैटफॉर्म डिवाइस बाजार में आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी। लैब में किए गए परीक्षणों में डिवाइस के नतीजे 98 प्रतिशत तक सटीक रहे हैं। मशीन बैटरी से चलेगी। इसे लोग घरों में रख सकेंगे और स्वास्थ्य कार्यकर्ता इसे लेकर दूरदराज के इलाकों में जा सकेंगे।
4 साल तक चला शोधकुछ बीमारियां कम समय में गंभीर रूप धारण कर लेती हैं। नियमित जांच से इस खतरे को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। आईआईटी कानपुर में 4 साल तक चले शोध के बाद एक ऐसी पॉइंट ऑफ केयर डिवाइस बनाई गई है, जो कम समय में शरीर में मौजूद समस्याओं के बारे में बताएगी। इसका दायरा डायबिटीज से लेकर कैंसर तक होगा।
इस डिवाइस में लगने वाली बायोचिप की खासियत ये होगी कि चिप को जरूरत के हिसाब से ट्यून किया जा सकेगा। कंपनी के स्तर पर ही अलग-अलग रोगों के टेस्ट के लिए एक साथ चिप दी जा सकती है। उदाहरण के तौर पर कैंसर, मूत्र मार्ग का संक्रमण या कोई अन्य बीमारी। तकनीकी शब्दावली में इसे इलेक्ट्रोकेमिकल मेथड ऑफ सेसिंग कहते है।
आईआईटी बीएचयू ने बनाई सुपर बैटरीआईआईटी बीएचयू के वैज्ञानियों को देश में पहली बार पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड डबल आयन बैटरी का प्रोटोटाइप तैयार करने में सफलता मिली है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह बैटरी सौर, पवन आदि स्वच्छ ऊर्जा की भंडारण क्षमता को तीन गुना ज्यादा बढ़ा सकती है। वहीं इसका आकार घर की इनवर्टर बैटरी से तीन गुना कम होगा। इस रिसर्च को अंतरराष्ट्रीय जर्नल ऑफ पावर सोर्सेज में जगह मिली है। इस तकनीक का पेटेंट भी फाइल कर दिया गया है। सुपर बैटरी को आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिक डॉ. प्रीतम सिंह और उनकी रिसर्च टीम ने तैयार किया है।
डॉ. सिंह के मुताबिक 2030 तक भारत को रिन्यूएबल एजर्नी के लिए 61 हजार मेगावॉट का स्टोरेज चाहिए। मगर वर्तमान में सिर्फ 442 मेगावॉट ही स्टोरेज है। वहीं, घर-घर लग रहे सोलर पैनलों से बनने वाली बिजली से ग्रिड पर बढ़ते भार से अतिरिक्त भंडारण क्षमता की जरूरत होगी। ऐसे में पोटेशियम हाड्रॉक्साइड डबल आयन बैटरी से भंडारण क्षमता की चिंता दूर हो सकेगी।
डॉ. प्रीतम सिंह ने बताया कि पोटैशियम आयन बैटरी देश में कई जगह तैयार हो रही है, लेकिन ये लीथियम आयन बैटरी के विकल्प के रूप में विकसित हो रही है। इसे सिर्फ मोबाइल और इलेक्ट्रानिक्स डिवाइस में ही इस्तेमाल किया जा सकता है। पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड डबल आयन सुपर बैटरी की ग्रिड स्तरीय ऊर्जा भंडारण का विकल्प प्रदान करती है। रिसर्च टीम में अंकित राज, नीरज कुमार मिश्रा, कृष्ण गोपाल निगम, अभिजीत सिंह, सोहम मुखर्जी, आशा गुप्ता और अखिलेश शामिल रहे।
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