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साइप्रस के विदेश मंत्री ने बिना नाम लिए तुर्की पर साधा निशाना...जयशंकर ने साइप्रस को बताया भरोसेमंद दोस्त

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नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और साइप्रस को भरोसेमंद दोस्त और विश्वसनीय पार्टनर करार दिया। गुरुवार को साइप्रस के विदेश मंत्री कॉन्स्टेटिनोस कोम्बोस की भारत यात्रा के दौरान उन्होंने अपने समकक्ष के साथ द्विपक्षीय बातचीत की।

विदेश मंत्री जयशंकर ने किया जिक्र
इसी दौरान अपने शुरुआती संबोधन में उन्होंने साइप्रस की संप्रभुता, एकता और अखंडता के लिए अपनी प्रतिबद्धता भी जाहिर की। जयशंकर ने इस दौरान भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद की लड़ाई में भारत के साथ जाहिर किए समर्थन का भी जिक्र किया।


रिश्तों गहरा करना प्राथमिकता

इस दौरान विदेश मंत्री ने दोनों देशों के रिश्तों के व्यापकता की ओर बढ़ते कदमों पर भी चर्चा की। संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर साइप्रस की ओर से दिए जा रहे समर्थन को सराहते हुए उन्होंने कहा कि ईयू और साइप्रस के साथ रिश्तों को और गहरा करना भारत की प्राथमिकताओं में से एक रहा है। इस द्विपक्षीय बातचीत में दोनों देशों ने जून में पीएम मोदी की यात्रा के दौरान अपनाए गए एक्शन प्लान 2025-2029 की प्रगति पर संतोष जताया।

साइप्रस के विदेश मंत्री ने साधा निशाना
साइप्रस के विदेश मंत्री ने तुर्की पर साधा निशाना- साइप्रस के विदेश मंत्री कोम्बोस ने इशारों इशारों में तुर्की पर निशाना साधा। दिल्ली में साइप्रस एंड द वर्ल्ड टॉपिक पर भाषण देते हुए तर्की पर निशाना साधा। कोम्बोस ने कहा कि हमारे आइलैंड पर एक आक्रामक ताकत
मौजूद है। बता दें कि साइप्रस का तुर्की के साथ सीमा विवाद है।

भारत के पास विजन और एक्शन प्लान दोनों
बीते दिनों जब जून में पीएम मोदी साइप्रस गए थे, तो उस दौरान वो उत्तरी साइप्रस गए थे। अपने इस भाषण में कोम्बोस ने भारत को साइप्रस का सहज पार्टनर करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत के पास विजन और एक्शन प्लान दोनों है। उन्होंने भारत को ग्लोबल पावर हाउस बताया।

तीन दिनों के भारत दौरे पर हैं कोम्बोस
इस भाषण में उन्होंने इंडिया मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कोरिडोर का भी जिक्र किया और कहा कि ये एक ऐसा जियोपॉलिटिक हथियार हो सकता है, जिसके पास अंतर्राष्ट्रीय व्यापार रूट्स को नया रूप देने की ताकत है। कोम्बोस तीन दिनों के भारत दौरे पर हैं।

क्यों खास है ये यात्रा
ये यात्रा इसलिए अहम है क्योंकि साइप्रस 1 जनवरी 2025 से काउंसिल ऑफ द यूरोपिय यूनियन की अध्यक्षता हासिल कर रहा है और ऐसे में ये ईयू - भारत के संबंधों को मजबूत दिशा दे सकता है।

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