कुछ फिल्में और कहानियां समय से आगे की होती हैं। वो जब पर्दे पर आती हैं, तो दर्शकों पर तत्काल उसका असर कम होता है। लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता है, ये फिल्में और ऐसी कहानियां 'क्लासिक कल्ट' बन जाती हैं। साल 1980 में एक ऐसी ही रोमांटिक-थ्रिलर फिल्म आई, जिसे पहले हफ्ते में ही बॉक्स ऑफिस पर धूल फांकनी पड़ी। लोगों ने इसके गानों को तो बहुत पसंद किया, लेकिन फिल्म को खारिज कर दिया। पर इसके बाद जो हुआ वो इतिहास बन गया। यह फिल्म थी सुभाष घई के डायरेक्शन में बनी 'कर्ज', जिसमें ऋषि कपूर और टीना मुनीम लीड रोल में थे। सिमी गरेवाल ने इसमें कामिनी वर्मा का ऐसा किरदार निभाया, जो आज भी याद किया जाता है। 'कर्ज' वो फिल्म बनी, जिसने देश में पुनर्जन्म वाली फिल्मों की होड़ मचा दी। बावजूद इसके कि यह बॉक्स ऑफिस पर 'औसत' रही थी।
हालांकि, पुनर्जन्म के विषय को बॉलीवुड में पहले 'मधुमती' (1958), 'कुदरत' (1981) और 'महबूबा' (1976) जैसी फिल्में बन चुकी थीं। लेकिन 'कर्ज' में हत्या और उसका बदला लेने के लिए पुनर्जन्म ऐसा एंगल था, जिसने उस दौर में हर किसी को दीवाना बना दिया। 'कर्ज' एक ऐसी फिल्म बनी, जिसे दूसरी भाषाओं में भी रीमेक किया गया।
कन्नड़, तमिल, तेलुगू, उड़िया यहां तक कि पाकिस्तान में भी रीमेक
'कर्ज' को कन्नड़ में 'युग पुरुष' (1989), तमिल में 'एनाक्कुल ओरुवन' (1984), तेलुगू में 'आत्मबलम' (1985), उड़िया में 'बाजी' (1999) बनी। इसी तरह पाकिस्तान में 'मैं एक दिन लौट के आऊंगा' (2007) भी इसी की रीमेक है। अमेरिकी फिल्म 'चांसेस आर' (1989) को भी 'कर्ज' से ही प्रेरित माना जाता है। बरसों बाद हिमेश रेशमिया ने भी हिंदी में ही इसे 'कर्ज' (2008) नाम से ही रीमेक किया।
'कर्ज' को ले डूबी एक हफ्ते बाद रिलीज हुई 'कुर्बानी'
'कर्ज' 11 जून 1980 को रिलीज हुई थी। दिवंगत ऋषि कपूर ने इसके लिए बहुत मेहनत की थी। उन्हें पूरा यकीन था कि यह फिल्म सुपरहिट होगी, लेकिन रिलीज के ठीक बाद इसे झटका लगा। इसकी बड़ी वजह ये थी कि सिनेमाघरों में एक हफ्ते बाद ही फिरोज खान की 'कुर्बानी' रिलीज हुई और उसने 'कर्ज' को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया। हालांकि, ऋषि कपूर ने अपने जीवनकाल में इस फिल्म को कल्ट बनते भी देखा।
सुभाष घई बोले- फिल्म का हाल देख बीमार पड़ गए थे ऋषि कपूर
सुभाष घई ने 'रेडियो नशा' से एक बातचीत में 'कर्ज' का जिक्र किया था। उन्होंने बताया कि बॉक्स ऑफिस पर निराशाजनक प्रदर्शन ने ऋषि कपूर को बहुत परेशान किया। इतना कि वह बीमार पड़ गए। सुभाष घई कहते हैं, 'बेचारे ने बहुत मेहनत की थी और उन्हें फिल्म से बहुत उम्मीदें थीं। उन्हें यकीन था कि यह जबरदस्त सफलता हासिल करेगी। लेकिन एक और फिल्म आई, कुर्बानी, और वह बहुत बड़ी हिट साबित हुई। हमारी फिल्म कुछ हफ्तों तक फ्लॉप रही। उन्हें लगा कि फिल्म फ्लॉप हो गई है। वह बीमार पड़ गए।'
राज कपूर ने कहा- समझाओ... यह पागल हो गया है
सुभाष घई याद करते हैं कि ऋषि के बीमार पड़ने पर राज कपूर ने उन्हें फोन किया था। डायरेक्टर ने कहा, 'उनके पिता राज कपूर ने मुझे फोन किया। करीब-करीब फटकारते हुए कहा- दोस्त को समझाओ यार, फिल्में चलती हैं और नहीं चलतीं... यह पागल हो गया है।'
ऋषि कपूर ने कहा- मेरा आत्मविश्वास पूरी तरह खत्म हो गया
अपनी आत्मकथा 'खुल्लम खुल्ला' में ऋषि कपूर ने भी 'कर्ज' के खराब प्रदर्शन का जिक्र किया है। लिखा, 'मुझे लगा जैसे मेरा आत्मविश्वास पूरी तरह खत्म हो गया है। कर्ज में बहुत संभावनाएं थीं, मुझे लगा था कि यह मेरे करियर के लिए कमाल करेगी। इसमें शानदार संगीत था। कलाकारों और क्रू ने बेहतरीन काम किया था। मुझे विश्वास था कि यह एक बड़ी सफलता होगी और इसे शानदार समीक्षाएं मिलेंगी। लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ, तो मैं पूरी तरह टूट गया।'
'कर्ज' के गानों ने मचाई धूम, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को मिला अवॉर्ड
आज 'कर्ज' एक ऐसी फिल्म है, जिसकी कहानी, जिसके किरदार और जिसके गाने, सब कल्ट माने जाते हैं। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने को 'ओम शांति ओम' और 'दर्द-ए-दिल, दर्द-ए-जिगर' जैसे चार्टबस्टर गानों के लिए जहां बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। वहीं, आनंद बख्शी को इन दोनों हिट गानों के लिए बेस्ट लिरिसिस्ट के दो फिल्मफेयर नॉमिनेशन मिले। फिल्म के बाकी गाने भी सुपरहिट रहे हैं, फिर चाहे वह 'पैसा ये पैसा' हो, 'एक हसीना थी, एक दीवाना था' हो या फिर 'तू कितने बरस की, तू कितने बरस का' हो।
हालांकि, पुनर्जन्म के विषय को बॉलीवुड में पहले 'मधुमती' (1958), 'कुदरत' (1981) और 'महबूबा' (1976) जैसी फिल्में बन चुकी थीं। लेकिन 'कर्ज' में हत्या और उसका बदला लेने के लिए पुनर्जन्म ऐसा एंगल था, जिसने उस दौर में हर किसी को दीवाना बना दिया। 'कर्ज' एक ऐसी फिल्म बनी, जिसे दूसरी भाषाओं में भी रीमेक किया गया।

कन्नड़, तमिल, तेलुगू, उड़िया यहां तक कि पाकिस्तान में भी रीमेक
'कर्ज' को कन्नड़ में 'युग पुरुष' (1989), तमिल में 'एनाक्कुल ओरुवन' (1984), तेलुगू में 'आत्मबलम' (1985), उड़िया में 'बाजी' (1999) बनी। इसी तरह पाकिस्तान में 'मैं एक दिन लौट के आऊंगा' (2007) भी इसी की रीमेक है। अमेरिकी फिल्म 'चांसेस आर' (1989) को भी 'कर्ज' से ही प्रेरित माना जाता है। बरसों बाद हिमेश रेशमिया ने भी हिंदी में ही इसे 'कर्ज' (2008) नाम से ही रीमेक किया।
'कर्ज' को ले डूबी एक हफ्ते बाद रिलीज हुई 'कुर्बानी'
'कर्ज' 11 जून 1980 को रिलीज हुई थी। दिवंगत ऋषि कपूर ने इसके लिए बहुत मेहनत की थी। उन्हें पूरा यकीन था कि यह फिल्म सुपरहिट होगी, लेकिन रिलीज के ठीक बाद इसे झटका लगा। इसकी बड़ी वजह ये थी कि सिनेमाघरों में एक हफ्ते बाद ही फिरोज खान की 'कुर्बानी' रिलीज हुई और उसने 'कर्ज' को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया। हालांकि, ऋषि कपूर ने अपने जीवनकाल में इस फिल्म को कल्ट बनते भी देखा।

सुभाष घई बोले- फिल्म का हाल देख बीमार पड़ गए थे ऋषि कपूर
सुभाष घई ने 'रेडियो नशा' से एक बातचीत में 'कर्ज' का जिक्र किया था। उन्होंने बताया कि बॉक्स ऑफिस पर निराशाजनक प्रदर्शन ने ऋषि कपूर को बहुत परेशान किया। इतना कि वह बीमार पड़ गए। सुभाष घई कहते हैं, 'बेचारे ने बहुत मेहनत की थी और उन्हें फिल्म से बहुत उम्मीदें थीं। उन्हें यकीन था कि यह जबरदस्त सफलता हासिल करेगी। लेकिन एक और फिल्म आई, कुर्बानी, और वह बहुत बड़ी हिट साबित हुई। हमारी फिल्म कुछ हफ्तों तक फ्लॉप रही। उन्हें लगा कि फिल्म फ्लॉप हो गई है। वह बीमार पड़ गए।'
राज कपूर ने कहा- समझाओ... यह पागल हो गया है
सुभाष घई याद करते हैं कि ऋषि के बीमार पड़ने पर राज कपूर ने उन्हें फोन किया था। डायरेक्टर ने कहा, 'उनके पिता राज कपूर ने मुझे फोन किया। करीब-करीब फटकारते हुए कहा- दोस्त को समझाओ यार, फिल्में चलती हैं और नहीं चलतीं... यह पागल हो गया है।'
ऋषि कपूर ने कहा- मेरा आत्मविश्वास पूरी तरह खत्म हो गया
अपनी आत्मकथा 'खुल्लम खुल्ला' में ऋषि कपूर ने भी 'कर्ज' के खराब प्रदर्शन का जिक्र किया है। लिखा, 'मुझे लगा जैसे मेरा आत्मविश्वास पूरी तरह खत्म हो गया है। कर्ज में बहुत संभावनाएं थीं, मुझे लगा था कि यह मेरे करियर के लिए कमाल करेगी। इसमें शानदार संगीत था। कलाकारों और क्रू ने बेहतरीन काम किया था। मुझे विश्वास था कि यह एक बड़ी सफलता होगी और इसे शानदार समीक्षाएं मिलेंगी। लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ, तो मैं पूरी तरह टूट गया।'
'कर्ज' के गानों ने मचाई धूम, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को मिला अवॉर्ड
आज 'कर्ज' एक ऐसी फिल्म है, जिसकी कहानी, जिसके किरदार और जिसके गाने, सब कल्ट माने जाते हैं। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने को 'ओम शांति ओम' और 'दर्द-ए-दिल, दर्द-ए-जिगर' जैसे चार्टबस्टर गानों के लिए जहां बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। वहीं, आनंद बख्शी को इन दोनों हिट गानों के लिए बेस्ट लिरिसिस्ट के दो फिल्मफेयर नॉमिनेशन मिले। फिल्म के बाकी गाने भी सुपरहिट रहे हैं, फिर चाहे वह 'पैसा ये पैसा' हो, 'एक हसीना थी, एक दीवाना था' हो या फिर 'तू कितने बरस की, तू कितने बरस का' हो।
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