पटना: चुनाव अधिकार संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के अनुसार, बिहार में आधे से अधिक पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने 2023-24 के लिए अपने अनिवार्य वित्तीय विवरण का खुलासा नहीं किया हैं। एडीआर की एक रिपोर्ट के अनुसार, गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ने 275 ऐसे दलों की समीक्षा की - जिनमें से 184 बिहार में और 91 अन्य राज्यों में पंजीकृत हैं। रिपोर्ट के अनुसार उसने पाया कि इनमें से 163 (59.27 प्रतिशत) ने न तो अपनी ऑडिट रिपोर्ट अपलोड की है और न ही 20,000 रुपये से अधिक के चंदा का विवरण राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों या निर्वाचन आयोग (ईसी) की वेबसाइट पर अपलोड किया है। इनमें से 113 ने 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा था।
चंदा देने की घोषणा
रिपोर्ट के अनुसार केवल 67 दलों (24.36 प्रतिशत) ने 2023-24 के लिए ऑडिट और चंदा रिपोर्ट सार्वजनिक की, जिसमें सामूहिक रूप से 85.56 करोड़ रुपये की आय, 71.49 करोड़ रुपये का व्यय और 71.73 करोड़ रुपये के चंदे दान की घोषणा की गई। दिल्ली में पंजीकृत समता पार्टी ने सबसे अधिक 53.13 करोड़ रुपये की आय की सूचना दी, उसके बाद सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) ने 9.59 करोड़ रुपये की आय की जानकारी दी।
एडीआर की रिपोर्ट
एडीआर के आकलन में निर्वाचन आयोग की हालिया कार्रवाई को भी शामिल किया गया है, जिसमें निष्क्रियता और गैर-अनुपालन जैसे मुद्दों को लेकर अगस्त और सितंबर में 32 दलों को सूची से हटा दिया गया था। सूची से बाहर किए गए दलों में, सबसे अधिक आय बिहार की राष्ट्रीय सर्वोदय पार्टी (जनवरी 2014 में पंजीकृत) ने घोषित की। उसकी पांच साल में आय 10.66 करोड़ रुपये थी, जो 2021-22 में 4.26 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इसने कोई चुनाव नहीं लड़ा। रिपोर्ट के अनुसार बिहार में पंजीकृत 28 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) ने कोई चुनाव नहीं लड़ा।
संयुक्त पांच वर्षीय आय
वित्त वर्ष 2019-20 से 2023-24 तक उनकी संयुक्त पांच-वर्षीय आय 1.52 करोड़ रुपये है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 दलों की ऑडिट रिपोर्ट उपलब्ध थी लेकिन चंदा का विवरण नहीं था। एडीआर ने पाया कि आय और दान लगभग समान थे जो दर्शाता है कि चंदा आय का प्राथमिक स्रोत था।
चंदा देने की घोषणा
रिपोर्ट के अनुसार केवल 67 दलों (24.36 प्रतिशत) ने 2023-24 के लिए ऑडिट और चंदा रिपोर्ट सार्वजनिक की, जिसमें सामूहिक रूप से 85.56 करोड़ रुपये की आय, 71.49 करोड़ रुपये का व्यय और 71.73 करोड़ रुपये के चंदे दान की घोषणा की गई। दिल्ली में पंजीकृत समता पार्टी ने सबसे अधिक 53.13 करोड़ रुपये की आय की सूचना दी, उसके बाद सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) ने 9.59 करोड़ रुपये की आय की जानकारी दी।
एडीआर की रिपोर्ट
एडीआर के आकलन में निर्वाचन आयोग की हालिया कार्रवाई को भी शामिल किया गया है, जिसमें निष्क्रियता और गैर-अनुपालन जैसे मुद्दों को लेकर अगस्त और सितंबर में 32 दलों को सूची से हटा दिया गया था। सूची से बाहर किए गए दलों में, सबसे अधिक आय बिहार की राष्ट्रीय सर्वोदय पार्टी (जनवरी 2014 में पंजीकृत) ने घोषित की। उसकी पांच साल में आय 10.66 करोड़ रुपये थी, जो 2021-22 में 4.26 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इसने कोई चुनाव नहीं लड़ा। रिपोर्ट के अनुसार बिहार में पंजीकृत 28 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) ने कोई चुनाव नहीं लड़ा।
संयुक्त पांच वर्षीय आय
वित्त वर्ष 2019-20 से 2023-24 तक उनकी संयुक्त पांच-वर्षीय आय 1.52 करोड़ रुपये है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 दलों की ऑडिट रिपोर्ट उपलब्ध थी लेकिन चंदा का विवरण नहीं था। एडीआर ने पाया कि आय और दान लगभग समान थे जो दर्शाता है कि चंदा आय का प्राथमिक स्रोत था।
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