चेन्नै: तमिलनाडु के करूर में शनिवार को चुनावी रैली में मची अचानक भगदड़ में अब तक 39 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 51 लोग घायल हुए हैं। अब सवाल उठ रहे हैं कि इस भगदड़ का जिम्मेदार कौन है। करूर भगदड़ की घटना पर, तमिलनाडु के प्रभारी डीजीपी जी. वेंकटरमण की प्रतिक्रिया सामाने आई है। उन्होंने कहा कि यह एक बेहद दुखद घटना है। अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें 12 पुरुष, 16 महिलाएं और 10 बच्चे (पांच लड़के और पांच लड़कियां) शामिल हैं।
क्या बोले डीजीपी
उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद, हमने पुलिस द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की समीक्षा की। इससे पहले टीवीके की रैलियों में कम भीड़ होती थी, लेकिन इस बार उम्मीद से कहीं ज़्यादा लोग जुटे। हालांकि आयोजकों ने करूर में एक बड़े मैदान की मांग की थी और लगभग 10,000 लोगों के आने की उम्मीद थी, लेकिन लगभग 27,000 लोग इकट्ठा हुए। जिस प्रचार स्थल पर विजय को जनता को संबोधित करना था, वहां 500 से ज़्यादा पुलिसकर्मी तैनात थे।
घटना के पीछे के कारणों का पता जां च के बाद ही चलेगा
जी. वेंकटरमण ने कहा कि सभा की अनुमति दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक दी गई थी, लेकिन भीड़ सुबह 11 बजे से ही जुटनी शुरू हो गई थी। जब विजय शाम 7:40 बजे पहुंचे, तब तक भीड़ बिना पर्याप्त भोजन और पानी के घंटों इंतजार कर रही थी। यही सच्चाई है। विजय ने खुद पुलिस की भूमिका की सराहना की, लेकिन ज़ोर देकर कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को भीड़ प्रबंधन की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि पुलिस को 27,000 की पूरी भीड़ के बराबर संख्या में तैनात करना चाहिए। इस दुखद घटना के पीछे के कारणों का पता जांच के बाद ही चलेगा। एक सदस्यीय आयोग का गठन पहले ही किया जा चुका है। तब तक, मैं इस पर और कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।
क्या बोले डीजीपी
उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद, हमने पुलिस द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की समीक्षा की। इससे पहले टीवीके की रैलियों में कम भीड़ होती थी, लेकिन इस बार उम्मीद से कहीं ज़्यादा लोग जुटे। हालांकि आयोजकों ने करूर में एक बड़े मैदान की मांग की थी और लगभग 10,000 लोगों के आने की उम्मीद थी, लेकिन लगभग 27,000 लोग इकट्ठा हुए। जिस प्रचार स्थल पर विजय को जनता को संबोधित करना था, वहां 500 से ज़्यादा पुलिसकर्मी तैनात थे।
घटना के पीछे के कारणों का पता जां च के बाद ही चलेगा
जी. वेंकटरमण ने कहा कि सभा की अनुमति दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक दी गई थी, लेकिन भीड़ सुबह 11 बजे से ही जुटनी शुरू हो गई थी। जब विजय शाम 7:40 बजे पहुंचे, तब तक भीड़ बिना पर्याप्त भोजन और पानी के घंटों इंतजार कर रही थी। यही सच्चाई है। विजय ने खुद पुलिस की भूमिका की सराहना की, लेकिन ज़ोर देकर कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को भीड़ प्रबंधन की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि पुलिस को 27,000 की पूरी भीड़ के बराबर संख्या में तैनात करना चाहिए। इस दुखद घटना के पीछे के कारणों का पता जांच के बाद ही चलेगा। एक सदस्यीय आयोग का गठन पहले ही किया जा चुका है। तब तक, मैं इस पर और कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।
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