तिरुवनन्तपुरम : केरल सरकार ने सांप के काटने को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण बीमारी घोषित कर दिया है। यह फैसला हाईकोर्ट के निर्देश के बाद लिया गया है। जिसके बाद अब सांप के काटने के सभी मामले की जानकारी अस्पतालों को देना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही जहर रोधी दवाओं की सप्लाई को मजबूत किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के बाद केरल में सांपो की जहरीली प्रजातियां की संख्या सबसे ज्यादा है और हर साल हजारों लोग सांप के काटने का शिकार होते हैं।
हाईकोर्ट ने केरल सरकार को दिया था निर्देश
साल 2019 में वायनाड के एक सरकारी स्कूल में पांचवीं क्लास के एक स्टूडेंट की सांप के काटने से मौत के बाद होईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई थी। जिसके बाद 26 सितंबर को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के नवंबर 2024 के एक सर्कुलर के अनुसार दो महीने के अंदर सांप के काटने को एक 'नोटिफ़ाएबल डिज़ीज़' घोषित करें।
हर साल सांप के काटने के तीन हजार से ज्यादा मामले
केरल से पहले कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्य भी सांप के काटने को एक नोटिफाएबल कंडीशन घोषित कर चुके हैं। केरल में पब्लिक हेल्थ एक्ट, 2023 के तहत अब इसे 'इंटीग्रेटेड डिज़ीज़ सर्विलांस प्रोग्राम' में शामिल किया गया है। जिसके बाद सांप के काटने को अब व्यवस्थित स्वास्थ्य प्राथमिकता का दर्जा मिल गया है। आंकड़ों के अनुसार, केरल में हर साल सांप के काटने के तीन हजार से ज्यादा मामले सामने आते हैं। नेशनल हेल्थ मिशन की रिपोर्टों के अनुसार, हर साल 8,000 से 12,000 लोगों को सांप के काटने के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया जाता है।
2017 से 2019 के बीच 334 लोगों की मौत
वन विभाग के 'स्नेक अवेयरनेस, रेस्क्यू एंड प्रोटेक्शन' (एसएआरपीए) ऐप से मिले आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2017 से 2019 के बीच 334 लोगों की सांप के काटने से मौत हुई थी। इसके साथ ही मौतों की संख्या 2020 में घटकर 76, 2021 में 40 और 2022 में 42 हो गई। इस नई घोषणा से अलग-अलग विभागों के बीच बेहतर तालमेल होगा और मेडिकल प्रतिक्रिया तंत्र में सुधार होगा। सांपों के काटने के इलाज और रिपोर्टिंग के लिए नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल द्वारा 2022 में जारी किए गए राष्ट्रीय दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा।
ग्रामीण इलाकों में रहता है सांपों का खतरा
केरल के ग्रामीण और कृषि प्रधान इलाकों में ज़हरीले सांपों का खतरा लगातार बना रहता है। रसेल वाइपर, कोबरा, क्रेट और सॉ-स्केल्ड वाइपर के अलावा हंप-नोस्ड पिट वाइपर का ज़हर भी पश्चिमी घाट में पाया जाता है। 'जर्नल ऑफ द एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ में 2021 में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सांप के जहर से गुर्दे की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं और इससे होने वाली मौतें अक्सर रिपोर्ट नहीं की जातीं।
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