छिंदवाड़ाः जिले के हर्रई विकासखंड अंतर्गत राजढाना गांव में तेज बारिश के बाद एक नदी में अचानक बाढ़ आ गई। उस उफान में एक बड़ा हादसा होते होते बचा। नदी किनारे बैलगाड़ी लेकर खड़े एक किसान की गाड़ी अचानक बहने लगी। लेकिन इससे पहले कि कोई अनहोनी होती किसान ने साहसिक निर्णय लिया। उसने जान जोखिम में डालकर न सिर्फ अपने बैलों को बचाया, बल्कि खुद को भी सुरक्षित बाहर निकला।
पानी बढ़ा तो खिसकने लगी गाड़ी
घटना उस वक्त की है जब किसान अपनी बैलगाड़ी लेकर खेतों से लौट रहा था। उस समय गांव के पास स्थित एक छोटे पुल (रपटे) के पास रुका था। इसी दौरान आसपास हुई लगातार बारिश के चलते नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ गया। कुछ ही मिनटों में पानी का बहाव इतना तेज हो गया कि किसान की बैलगाड़ी पानी में खिसकने लगी। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता, बैल और बैलगाड़ी दोनों बहाव की चपेट में आ चुके थे।
बिना देर किए कूदा नदी में
स्थिति बिगड़ते देख किसान ने पलभर की भी देरी नहीं की और उफनती नदी में छलांग लगा दी। बहाव बहुत तेज था, लेकिन किसान ने साहस दिखाते हुए रस्सियों और बैलगाड़ी की पकड़ के सहारे एक-एक कर दोनों बैलों को बाहर खींच लिया। कई ग्रामीण जो मौके पर मौजूद थे, उन्होंने भी किसान की मदद की और बैल बाहर निकलने के बाद चारों ओर से उसे घेर लिया ताकि दोबारा बहाव में न फंसें।
हिम्मत न करता तो मर जाते दोनों बैल
घटना के बाद गांव में चर्चा का विषय बन गया है कि किसान ने जिस तरह से अपनी जान की परवाह किए बिना बैलों को बचाया, वो काबिल-ए-तारीफ है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर वह थोड़ी भी देर करता तो बैल तेज बहाव में बह जाते और किसान खुद भी किसी अनहोनी का शिकार हो सकता था।
प्रशासन ने की अपील
गौरतलब है कि छिंदवाड़ा जिले में पिछले कुछ दिनों से रुक-रुक कर हो रही तेज बारिश से नदी-नालों में उफान है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बारिश के मौसम में नदी, नालों या पानी बहने वाले रपटों के पास जाने से बचें। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की घटनाओं से सतर्क रहने की जरूरत है।
चेतावनी बोर्ड लगाने की मांग
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि नदी किनारे स्थित ऐसे रपटों पर चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं। साथ ही जरूरत पड़ने पर अस्थायी पुल या बायपास की व्यवस्था की जाए। प्रशासन के इन उपायों से ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
पानी बढ़ा तो खिसकने लगी गाड़ी
घटना उस वक्त की है जब किसान अपनी बैलगाड़ी लेकर खेतों से लौट रहा था। उस समय गांव के पास स्थित एक छोटे पुल (रपटे) के पास रुका था। इसी दौरान आसपास हुई लगातार बारिश के चलते नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ गया। कुछ ही मिनटों में पानी का बहाव इतना तेज हो गया कि किसान की बैलगाड़ी पानी में खिसकने लगी। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता, बैल और बैलगाड़ी दोनों बहाव की चपेट में आ चुके थे।
बिना देर किए कूदा नदी में
स्थिति बिगड़ते देख किसान ने पलभर की भी देरी नहीं की और उफनती नदी में छलांग लगा दी। बहाव बहुत तेज था, लेकिन किसान ने साहस दिखाते हुए रस्सियों और बैलगाड़ी की पकड़ के सहारे एक-एक कर दोनों बैलों को बाहर खींच लिया। कई ग्रामीण जो मौके पर मौजूद थे, उन्होंने भी किसान की मदद की और बैल बाहर निकलने के बाद चारों ओर से उसे घेर लिया ताकि दोबारा बहाव में न फंसें।
हिम्मत न करता तो मर जाते दोनों बैल
घटना के बाद गांव में चर्चा का विषय बन गया है कि किसान ने जिस तरह से अपनी जान की परवाह किए बिना बैलों को बचाया, वो काबिल-ए-तारीफ है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर वह थोड़ी भी देर करता तो बैल तेज बहाव में बह जाते और किसान खुद भी किसी अनहोनी का शिकार हो सकता था।
प्रशासन ने की अपील
गौरतलब है कि छिंदवाड़ा जिले में पिछले कुछ दिनों से रुक-रुक कर हो रही तेज बारिश से नदी-नालों में उफान है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बारिश के मौसम में नदी, नालों या पानी बहने वाले रपटों के पास जाने से बचें। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की घटनाओं से सतर्क रहने की जरूरत है।
चेतावनी बोर्ड लगाने की मांग
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि नदी किनारे स्थित ऐसे रपटों पर चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं। साथ ही जरूरत पड़ने पर अस्थायी पुल या बायपास की व्यवस्था की जाए। प्रशासन के इन उपायों से ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
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