नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर में इंडियन आर्म्ड फोर्सेस ने ड्रोन और कामेकाजी ड्रोन का भी इस्तेमाल किया। पाकिस्तान की तरफ से भी अटैक ड्रोन और निगरानी रखने वाले ड्रोन भेजे गए, जिन्हें भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने मार गिराया। पहली बार भारत की तरफ से और पाकिस्तान की तरफ से भी इतनी बड़ी संख्या में ड्रोन का इस्तेमाल हुआ है। एक्सपर्ट्स पहले ही कह चुके हैं कि भविष्य की जो भी जंग होगी वह मैन्ड और अन्मैन्ड दोनों सिस्टम के साथ ही होगी। अनमैन्ड और मैन्ड की टीम बनाने पर हो रहा कामभारत में भी अनमैन्ड और मैन्ड की टीम बनाने पर काम हो रहा है। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) इस पर काम कर रहा है। कॉम्बेट एयर टीमिंग सिस्टम (CATS) में फाइटर जेट के साथ ड्रोन की टीम बनाई जा रही है। यानी फाइटर जेट जिसे पायलट उड़ा रहे हैं और उसके साथ अनमैन्ड सिस्टम मतलब ड्रोन। ड्रोन सारा रिस्की काम करेगा और फाइटर जेट का पायलट उन्हें कमांड देगा या कंट्रोल करेगा। तीन तरह के ड्रोन पर काम हो रहा है। क्या है कैट्स वॉरियर?पहला है कैट्स वॉरियर। यह फाइटर जेट के साथ उड़ान भरेगा और उसके आगे उड़ेगा। रिस्की मिशन यह पूरा करेगा। जब कैट्स वॉरियर अपने रिलीज पॉइंट पर पहुंचेगा तो इसके अंदर जो बॉम है वह ये रिलीज करेगा जो आगे 100 किलोमीटर दूर टारगेट को निशाना बना सकता है। यह हवा से हवा में मार करेगा। इसमें ऐसा फीचर हैं जिससे दुश्मन का रडार इसे पकड़ नहीं पाएगा। कैट्स वॉरियर 250 किलो तक का वेट कैरी कर सकता है। वेपन को दुश्मन के इलाके में गिराकर कैट्स वॉरियर वापस आ सकता है। यह अनमैंड सिस्टम है। इसमें विंग में भी दो मिसाइल लगा सकते हैं।कैट्स वॉरियर अडवांस स्टेज में है और इसी साल इसकी पहली उड़ान होगी। क्या है कैट्स हंटर?दूसरा ड्रोन जिस पर एचएएल काम कर रहा है वह है कैट्स हंटर। यह फाइटर जेट के विंग के नीचे होगा। यह भी कैट्स वॉरियर की तरह ही मिशन को अंजाम देगा लेकिन यह वॉरियर से साइज में थोड़ा छोटा है। वॉरियर करीब डेढ़ टन का है और हंटर करीब 650 किलो का। फाइटर जेट जब लॉन्च पॉइंट पर पहुंचेगा और वहां से हंटर को लॉन्च करेगा। हंटर को लॉन्च करते ही इसका इंजन स्टार्ट होगा और यह अपना मिशन पूरा करके वापस अपने बेस पर चला जाएगा। जहां इसका पैराशूट खुलेगा और यह आराम से लैंड हो सकेगा। क्या है कैट्स अल्फा?तीसरा ड्रोन है कैट्स अल्फा। यह स्वॉर्मिंग अटैक ड्रोन है। इसमें एक कैरियर के अंदर चार अल्फा ड्रोन हैं। फाइटर जेट इस कैरियर को ड्रॉप करेगा और जब कैरियर नीचे आएगा तो इससे ड्रोन निकलेंगे। यह ड्रोन चार-चार के पैक में रहेंगे। तेजस फाइटर जेट इस तरह के करीब 20 ड्रोन कैरी कर सकता है। अगर सुखोई-30 की तरह कोई बड़ा फाइटर जेट है तो वह 40 ड्रोन कैरी कर सकता है। कैरियर से ड्रोन जब निकलेंगे तो यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अपने अपने टारगेट तक पहुंचेंगे और उन्हें निशाना बनाएंगे। बीच में जो ड्रोन रहेगा यह कॉर्डिनेशन का काम करेगा क्योंकि बाकी ड्रोन के बीच की दूरी काफी ज्यादा होगी। यह ड्रोन फाइटर जेट सारा डेटा भेजता रहेगा, जिसमें टारगेट एरिया में क्या हो रहा है वह सब शामिल होगा। यह वहां की फोटो भी भेजता रहेगा।
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भारत में हो रहा है 'कॉम्बेट एयर टीम सिस्टम' पर काम, मैन्ड-अनमैंड की बनेगी टीम
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