बरेली: कानपुर से शुरू हुए I Love Muhammad विवाद ने बरेली में बड़ा रूप धारण कर लिया। सुन्नी मुसलमानों के बड़े नेता मौलाना तौकीर रजा ने जुमे की नमाज के बाद इसको लेकर प्रदर्शन का ऐलान कर दिया। देखते ही देखते सड़कों पर सैलाब उमड़ आया। पुलिस ने रोकने का प्रयास किया तो भीड़ ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। पुलिस को लाठियों का सहारा लेना पड़ा। लाठीचार्ज होते ही बवाल बढ़ गया। लोगों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प शुरू हो गई। 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए।
मौलाना तौकीर रजा बरेली के एक धार्मिक नेता हैं। वह इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख हैं। तौकीर रजा आला हजरत खानदान से आते हैं। तौकीर के ही खानदान ने इस्लाम धर्म के सुन्नी बरेलवी मसलक की शुरुआत की थी। 2001 में तौकीर रजा पॉलिटिक्स में उतरे। उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई। 2009 में वह कांग्रेस के साथ हो गए। फिर 2012 के विधानसभा चुनाव में तौकीर रजा ने समाजवादी पार्टी का समर्थन किया। 2013 मुजफ्फरनगर दंगे के बाद तौकीर रजा और सपा की राहें अलग हो गईं। 2014 चुनाव में तौकीर रजा ने बसपा का साथ दिया।
2010 में भी बरेली में दंगा कराने का आरोपतौकीर रजा का विवादों से पुराना नाता है। वह पहले भी कई मामलों में विवादित बयान दे चुके हैं। उन्होंने नागरिकता कानून के खिलाफ दिया था। वह बांग्लादेशी उपन्यासकार तस्लीमा नसरीन के खिलाफ फतवा जारी कर चुके हैं। मौलाना के ऊपर 2010 में भी बरेली में दंगा करवाने का आरोप है।
सपा सरकार में थे हथकरघा विभाग के उपाध्यक्षमौलाना तौकीर रजा खान ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (जदीद) के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने देवबंदियों द्वारा भेदभाव का आरोप लगाते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से नाता तोड़ लिया था। सपा सरकार में खान को हथकरघा विभाग का उपाध्यक्ष बनाया गया था। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। 2016 में उन्होंने मुसलमानों के बीच एकता बनाने के प्रयास में देवबंद का दौरा किया और देवबंदी विद्वानों से मुलाकात की। इसके लिए उनके अपने ही संप्रदाय के मौलवियों ने उनकी आलोचना की थी। इस पर मौलाना ने माफी मांगी थी। तौकीर पर हिंदुओं के खिलाफ नफरत भड़काने का भी आरोप लग चुका है।
मौलाना तौकीर रजा बरेली के एक धार्मिक नेता हैं। वह इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख हैं। तौकीर रजा आला हजरत खानदान से आते हैं। तौकीर के ही खानदान ने इस्लाम धर्म के सुन्नी बरेलवी मसलक की शुरुआत की थी। 2001 में तौकीर रजा पॉलिटिक्स में उतरे। उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई। 2009 में वह कांग्रेस के साथ हो गए। फिर 2012 के विधानसभा चुनाव में तौकीर रजा ने समाजवादी पार्टी का समर्थन किया। 2013 मुजफ्फरनगर दंगे के बाद तौकीर रजा और सपा की राहें अलग हो गईं। 2014 चुनाव में तौकीर रजा ने बसपा का साथ दिया।
2010 में भी बरेली में दंगा कराने का आरोपतौकीर रजा का विवादों से पुराना नाता है। वह पहले भी कई मामलों में विवादित बयान दे चुके हैं। उन्होंने नागरिकता कानून के खिलाफ दिया था। वह बांग्लादेशी उपन्यासकार तस्लीमा नसरीन के खिलाफ फतवा जारी कर चुके हैं। मौलाना के ऊपर 2010 में भी बरेली में दंगा करवाने का आरोप है।
सपा सरकार में थे हथकरघा विभाग के उपाध्यक्षमौलाना तौकीर रजा खान ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (जदीद) के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने देवबंदियों द्वारा भेदभाव का आरोप लगाते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से नाता तोड़ लिया था। सपा सरकार में खान को हथकरघा विभाग का उपाध्यक्ष बनाया गया था। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। 2016 में उन्होंने मुसलमानों के बीच एकता बनाने के प्रयास में देवबंद का दौरा किया और देवबंदी विद्वानों से मुलाकात की। इसके लिए उनके अपने ही संप्रदाय के मौलवियों ने उनकी आलोचना की थी। इस पर मौलाना ने माफी मांगी थी। तौकीर पर हिंदुओं के खिलाफ नफरत भड़काने का भी आरोप लग चुका है।
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