नई दिल्ली: देश भर के ट्रेड यूनियनों ने आज हड़ताल का ऐलान किया है। दावा किया जा रहा है कि अलग-अलग सेक्टरों से 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी इसमें हिस्सा लेंगे। कई ग्रामीण और कृषि मजदूर संगठन भी इस हड़ताल को सपोर्ट कर रहे हैं। यूनियनों का कहना है कि वे सरकार की उन नीतियों के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे बड़े कारोबारियों को तो फायदा होता है, लेकिन मजदूर, किसान और गरीब लोग परेशान होते हैं। सूत्रों के मुताबिक बैंकों और बीमा दफ्तरों में अधिकारी काम पर आए हैं लेकिन क्लेरिकल स्टाफ हड़ताल पर है।
यूनियनों का यह भी कहना है कि सरकारी विभाग युवाओं को नौकरी देने के बजाय रिटायर्ड लोगों को ज्यादा रख रहे हैं। उन्होंने रेलवे, एनडीएमसी लिमिटेड, स्टील सेक्टर और शिक्षा सेवाओं के उदाहरण दिए हैं। उनका कहना है कि यह ट्रेंड गलत है क्योंकि देश में 65% आबादी 35 साल से कम उम्र की है। 20 से 25 साल के युवाओं में बेरोजगारी सबसे ज्यादा है।
हड़ताल क्यों?
आयोजकों का अनुमान है कि 25 करोड़ से ज़्यादा लोग इस बंद में हिस्सा लेंगे। इनमें संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के कर्मचारी शामिल हैं। किसानों और ग्रामीण मजदूरों से भी बड़ी संख्या में शामिल होने की उम्मीद है। INTUC, AITUC, CITU, HMS, SEWA, AIUTUC, AICCTU, LPF, UTUC और TUCC जैसे यूनियन इस हड़ताल का नेतृत्व कर रहे हैं। ये यूनियन सरकार की श्रम और आर्थिक नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं।
वे खासकर नए श्रम कानूनों की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे मजदूरों के अधिकार कमजोर होंगे, काम करने के घंटे बढ़ेंगे और यूनियन बनाना या हड़ताल करना मुश्किल हो जाएगा। वे सरकार से ज्यादा नौकरियां, MGNREGA की मज़दूरी और काम के दिन बढ़ाने और शहरी इलाकों के लिए भी ऐसी ही रोजगार योजनाएं शुरू करने की मांग कर रहे हैं।
क्या बंद, क्या खुला
यूनियनों ने श्रम मंत्री को 17 मांगों की एक लिस्ट सौंपी है, लेकिन उनका कहना है कि सरकार की ओर से कोई खास जवाब नहीं मिला है। बैंक खुले रहने की उम्मीद है, क्योंकि 9 जुलाई को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने छुट्टी घोषित नहीं की है। हालांकि, अगर बैंक कर्मचारी हड़ताल में शामिल होते हैं, तो बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
दूसरी ओर, शेयर बाजार आम दिनों की तरह ही काम करेंगे और कोई छुट्टी नहीं है। स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर भी खुले रहने की उम्मीद है। किसी तरह की छुट्टी का ऐलान नहीं किया गया है। हालांकि, कई इलाकों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं, जिससे यात्रियों, छात्रों और ऑफिस जाने वालों को परेशानी हो सकती है। पिछली हड़तालों में देखा गया है कि अलग-अलग जगहों पर लोगों की भागीदारी अलग-अलग रही है और कुछ जगहों पर आखिरी समय में स्कूलों को बंद करने का ऐलान भी किया गया था।
यह पहली बार नहीं है जब ट्रेड यूनियनों ने इस तरह का विरोध प्रदर्शन किया है। इससे पहले 26 नवंबर 2020, 28-29 मार्च 2022 और 16 फरवरी 2024 को भी हड़तालें हुई थीं। इनमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण, नौकरी की असुरक्षा और वर्कफोर्स को कैजुअल बनाने जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
ईस बीच दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि हड़ताल के कारण देशभर के किसी भी वाणिज्यिक बाजार पर कथित भारत बंद का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। सभी व्यापारिक बाजार और कारोबारी केंद्र सामान्य रूप से खुले हैं और प्रतिदिन की तरह व्यापारिक गतिविधियां सामान्य रूप से जारी हैं। व्यापारियों ने इस बंद का कोई समर्थन नहीं किया है और अपने प्रतिष्ठान खुले रखकर कारोबार को जारी रखने का फैसला किया है।
यूनियनों का यह भी कहना है कि सरकारी विभाग युवाओं को नौकरी देने के बजाय रिटायर्ड लोगों को ज्यादा रख रहे हैं। उन्होंने रेलवे, एनडीएमसी लिमिटेड, स्टील सेक्टर और शिक्षा सेवाओं के उदाहरण दिए हैं। उनका कहना है कि यह ट्रेंड गलत है क्योंकि देश में 65% आबादी 35 साल से कम उम्र की है। 20 से 25 साल के युवाओं में बेरोजगारी सबसे ज्यादा है।
हड़ताल क्यों?
आयोजकों का अनुमान है कि 25 करोड़ से ज़्यादा लोग इस बंद में हिस्सा लेंगे। इनमें संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के कर्मचारी शामिल हैं। किसानों और ग्रामीण मजदूरों से भी बड़ी संख्या में शामिल होने की उम्मीद है। INTUC, AITUC, CITU, HMS, SEWA, AIUTUC, AICCTU, LPF, UTUC और TUCC जैसे यूनियन इस हड़ताल का नेतृत्व कर रहे हैं। ये यूनियन सरकार की श्रम और आर्थिक नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं।
वे खासकर नए श्रम कानूनों की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे मजदूरों के अधिकार कमजोर होंगे, काम करने के घंटे बढ़ेंगे और यूनियन बनाना या हड़ताल करना मुश्किल हो जाएगा। वे सरकार से ज्यादा नौकरियां, MGNREGA की मज़दूरी और काम के दिन बढ़ाने और शहरी इलाकों के लिए भी ऐसी ही रोजगार योजनाएं शुरू करने की मांग कर रहे हैं।
क्या बंद, क्या खुला
यूनियनों ने श्रम मंत्री को 17 मांगों की एक लिस्ट सौंपी है, लेकिन उनका कहना है कि सरकार की ओर से कोई खास जवाब नहीं मिला है। बैंक खुले रहने की उम्मीद है, क्योंकि 9 जुलाई को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने छुट्टी घोषित नहीं की है। हालांकि, अगर बैंक कर्मचारी हड़ताल में शामिल होते हैं, तो बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
दूसरी ओर, शेयर बाजार आम दिनों की तरह ही काम करेंगे और कोई छुट्टी नहीं है। स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर भी खुले रहने की उम्मीद है। किसी तरह की छुट्टी का ऐलान नहीं किया गया है। हालांकि, कई इलाकों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं, जिससे यात्रियों, छात्रों और ऑफिस जाने वालों को परेशानी हो सकती है। पिछली हड़तालों में देखा गया है कि अलग-अलग जगहों पर लोगों की भागीदारी अलग-अलग रही है और कुछ जगहों पर आखिरी समय में स्कूलों को बंद करने का ऐलान भी किया गया था।
यह पहली बार नहीं है जब ट्रेड यूनियनों ने इस तरह का विरोध प्रदर्शन किया है। इससे पहले 26 नवंबर 2020, 28-29 मार्च 2022 और 16 फरवरी 2024 को भी हड़तालें हुई थीं। इनमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण, नौकरी की असुरक्षा और वर्कफोर्स को कैजुअल बनाने जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
ईस बीच दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि हड़ताल के कारण देशभर के किसी भी वाणिज्यिक बाजार पर कथित भारत बंद का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। सभी व्यापारिक बाजार और कारोबारी केंद्र सामान्य रूप से खुले हैं और प्रतिदिन की तरह व्यापारिक गतिविधियां सामान्य रूप से जारी हैं। व्यापारियों ने इस बंद का कोई समर्थन नहीं किया है और अपने प्रतिष्ठान खुले रखकर कारोबार को जारी रखने का फैसला किया है।
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