US Best Degree: दुनियाभर में कई ऐसी डिग्रियां हैं, जिन्हें लेने के बाद आपको ना सिर्फ आसानी से जॉब मिल जाती है, बल्कि पैकेज भी बढ़िया मिलता है। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि एक डिग्री ऐसी भी है, जिसे पाने पर कंपनी खुद चलकर आपको नौकरी देने आएगी। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि आप आसानी से लाखों रुपये महीने वाली जॉब पा सकेंगे। आपका सालाना पैकेज भी करोड़ों रुपये में होगा। अब आपने मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ये डिग्री कौन सी है।
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दरअसल, इस वक्त टेक इंडस्ट्री में टॉप लेवल के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) रिसर्चर्स की जबरदस्त डिमांड है। इसके लिए आपको AI में PhD की डिग्री लेनी होगी। यही वो डिग्री है, जो आपकी लाइफ सेट कर सकती है। जहां एक तरफ टेक सेक्टर में छंटनी हो रही है, वहीं दूसरी तरफ इस फील्ड में AI रिसर्चर्स की डिमांड बढ़ रही है। हर बड़ी टेक कंपनी चाहती है कि उसके यहां टॉप AI रिसर्चर्स काम करने आएं। इस फील्ड में लोगों को इतनी ज्यादा सैलरी दी जा रही है, जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है।
मेटा से लेकर गूगल तक को चाहिए AI रिसर्चर्स
मेटा, ओपनएआई और गूगल जैसी कंपनियां छोटे, मगर बेहतरीन रिसर्चर्स को टारगेट कर रही हैं। मेटा ने एक इंटरनल लिस्ट तैयार की है, जिसमें उन रिसर्चर्स का नाम शामिल है, जिसे वो किसी भी कीमत पर कंपनी में लाना चाहती है। AI रिसर्चर्स की जो लिस्ट है, उसमें ऐसे लोग शामिल हैं, जिनके पास यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया-बर्कले, कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों से मिली PhD डिग्री है। वो ओपनएआई और गूगल डीपमाइंड जैसे कंपनियों में काम कर चुके हैं।
रिक्रूटमेंट का बदला तरीका
अभी तक ये देखने को मिलता था कि किसी को नौकरी चाहिए, तो वह खुद कंपनी में अप्लाई करता था। हालांकि, AI में PhD डिग्री होने पर आपको खुद जॉब नहीं मांगनी है, बल्कि कंपनी आपको खुद ही बुलाएगी। कंपनियां अकेडमिक पब्लिकेशन का विश्लेषण कर टॉप AI रिसर्चर्स की पहचान कर रही हैं। AI की फील्ड में अगर कोई बड़ी खोज हो रही है, तो उन्हें करने वाले लोगों की जानकारी निकाली जा रही है।
इसके बाद कंपनी AI रिसर्चर्स से खुद ही ईमेल, मैसेजिंग एप्स या प्रोफेशनल नेटवर्किंग के जरिए जॉब के लिए संपर्क कर रही है। कंपनियां सीधे AI रिसर्चर्स को जॉब पर रखने का ऑफर दे रही हैं। उन्हें मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी भी दी जा रही है। मेटा सीईओ मार्क जुकरबर्ग खुद अपनी नई सुपरइंटेलिजेंस टीम को तैयार करने के लिए AI रिसर्चर्स से कॉन्टैक्ट कर रहे हैं।
करोड़ों में मिल रहा AI रिसर्चर्स को पैकेज
AI की फील्ड में टॉप टैलेंट की इतनी ज्यादा कमी है कि कंपनियों को अच्छे रिसर्चर्स को लाने के लिए मोटी सैलरी देनी पड़ रही है। AI रिसर्चर्स की डिमांड ज्यादा है और सप्लाई कम। रिपोर्ट्स भी इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि दुनियाभर में AI से जुड़े पदों पर काम करने के लिए लोग नहीं मिल रहे हैं। यही वजह है कि कंपनियां मोटी सैलरी देने में बिल्कुल भी हिचक नहीं रही हैं। आइए जानते हैं कि अभी तक किस कंपनी ने कितना पैसा ऑफर किया है।
अगर आप भी AI में PhD करना चाहते हैं, तो फिर सबसे पहले आपको कंप्यूटर साइंस, मशीन लर्निंग, अप्लाइड मैथमेटिक्स या कंप्यूटेशनल न्यूरोसाइंसम में बैचलर्स या मास्टर्स डिग्री हासिल करनी होगी। मैथ्स के पहलुओं पर मजबूत कमांड होना जरूरी है। कैलकुलस, लीनियर अल्जेबरा और प्रोबेबिलिटी थ्योरी की भी अच्छी जानकारी होनी चाहिए। AI और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम हासिल करने के लिए ये मुख्य चीजें हैं। इसके बाद आप किसी भी अमेरिकी यूनिवर्सिटी में PhD के लिए एडमिशन ले सकते हैं।
एडमिशन से पहले आपको यूनिवर्सिटी को रिसर्च प्रपोजल भी देना होगा, जिसमें आप उन चीजों के बारे में बताएंगे, जिस पर आप काम करना चाहते हैं। PhD के दौरान ज्यादातर समय रिसर्च पर ध्यान दिया जाता है। इसका मतलब है कि आप AI से जुड़ी किसी समस्या पर वर्षों तक काम करेंगे और आखिर में एक डिजर्टेशन तैयार करेंगे, जो इस फील्ड में नए ज्ञान का योगदान देगा।
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दरअसल, इस वक्त टेक इंडस्ट्री में टॉप लेवल के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) रिसर्चर्स की जबरदस्त डिमांड है। इसके लिए आपको AI में PhD की डिग्री लेनी होगी। यही वो डिग्री है, जो आपकी लाइफ सेट कर सकती है। जहां एक तरफ टेक सेक्टर में छंटनी हो रही है, वहीं दूसरी तरफ इस फील्ड में AI रिसर्चर्स की डिमांड बढ़ रही है। हर बड़ी टेक कंपनी चाहती है कि उसके यहां टॉप AI रिसर्चर्स काम करने आएं। इस फील्ड में लोगों को इतनी ज्यादा सैलरी दी जा रही है, जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है।
मेटा से लेकर गूगल तक को चाहिए AI रिसर्चर्स
मेटा, ओपनएआई और गूगल जैसी कंपनियां छोटे, मगर बेहतरीन रिसर्चर्स को टारगेट कर रही हैं। मेटा ने एक इंटरनल लिस्ट तैयार की है, जिसमें उन रिसर्चर्स का नाम शामिल है, जिसे वो किसी भी कीमत पर कंपनी में लाना चाहती है। AI रिसर्चर्स की जो लिस्ट है, उसमें ऐसे लोग शामिल हैं, जिनके पास यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया-बर्कले, कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों से मिली PhD डिग्री है। वो ओपनएआई और गूगल डीपमाइंड जैसे कंपनियों में काम कर चुके हैं।
रिक्रूटमेंट का बदला तरीका
अभी तक ये देखने को मिलता था कि किसी को नौकरी चाहिए, तो वह खुद कंपनी में अप्लाई करता था। हालांकि, AI में PhD डिग्री होने पर आपको खुद जॉब नहीं मांगनी है, बल्कि कंपनी आपको खुद ही बुलाएगी। कंपनियां अकेडमिक पब्लिकेशन का विश्लेषण कर टॉप AI रिसर्चर्स की पहचान कर रही हैं। AI की फील्ड में अगर कोई बड़ी खोज हो रही है, तो उन्हें करने वाले लोगों की जानकारी निकाली जा रही है।
इसके बाद कंपनी AI रिसर्चर्स से खुद ही ईमेल, मैसेजिंग एप्स या प्रोफेशनल नेटवर्किंग के जरिए जॉब के लिए संपर्क कर रही है। कंपनियां सीधे AI रिसर्चर्स को जॉब पर रखने का ऑफर दे रही हैं। उन्हें मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी भी दी जा रही है। मेटा सीईओ मार्क जुकरबर्ग खुद अपनी नई सुपरइंटेलिजेंस टीम को तैयार करने के लिए AI रिसर्चर्स से कॉन्टैक्ट कर रहे हैं।
करोड़ों में मिल रहा AI रिसर्चर्स को पैकेज
AI की फील्ड में टॉप टैलेंट की इतनी ज्यादा कमी है कि कंपनियों को अच्छे रिसर्चर्स को लाने के लिए मोटी सैलरी देनी पड़ रही है। AI रिसर्चर्स की डिमांड ज्यादा है और सप्लाई कम। रिपोर्ट्स भी इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि दुनियाभर में AI से जुड़े पदों पर काम करने के लिए लोग नहीं मिल रहे हैं। यही वजह है कि कंपनियां मोटी सैलरी देने में बिल्कुल भी हिचक नहीं रही हैं। आइए जानते हैं कि अभी तक किस कंपनी ने कितना पैसा ऑफर किया है।
- मेटा: सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि मेटा के टॉप AI रिसर्च इंजीनियर्स की सालाना सैलरी 4.40 लाख डॉलर (लगभग 3.85 करोड़ रुपये) तक है। इसमें स्टॉक ऑप्शन और बोनस को अभी जोड़ा ही नहीं गया है। कुछ ऐसे भी टॉप लोग हैं, जिन्हें चार साल के दौरान 300 मिलियन डॉलर (लगभग 2600 करोड़ रुपये) तक दिए जा रहे हैं।
- ओपनएआई: अपने प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला करने के लिए ओपनएआई ने भी सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव किया है। रिसर्च साइंटिस्ट को सालाना पैकेज के तौर पर 5.50 करोड़ रुपये से लेकर 12 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं। इसके अलावा उन्हें अलग से स्टॉक ऑप्शन और अन्य लाभ भी मिल रहे हैं, जिसमें बोनस भी शामिल है।
- गूगल डीपमाइंड: गूगल में सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट को सालाना 8 करोड़ रुपये का पैकेज मिल रहा है। सैलरी इस बात पर भी निर्भर करती है कि उनका एक्सपीरियंस कितना है और वे कंपनी में क्या योगदान देने वाले हैं।
अगर आप भी AI में PhD करना चाहते हैं, तो फिर सबसे पहले आपको कंप्यूटर साइंस, मशीन लर्निंग, अप्लाइड मैथमेटिक्स या कंप्यूटेशनल न्यूरोसाइंसम में बैचलर्स या मास्टर्स डिग्री हासिल करनी होगी। मैथ्स के पहलुओं पर मजबूत कमांड होना जरूरी है। कैलकुलस, लीनियर अल्जेबरा और प्रोबेबिलिटी थ्योरी की भी अच्छी जानकारी होनी चाहिए। AI और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम हासिल करने के लिए ये मुख्य चीजें हैं। इसके बाद आप किसी भी अमेरिकी यूनिवर्सिटी में PhD के लिए एडमिशन ले सकते हैं।
एडमिशन से पहले आपको यूनिवर्सिटी को रिसर्च प्रपोजल भी देना होगा, जिसमें आप उन चीजों के बारे में बताएंगे, जिस पर आप काम करना चाहते हैं। PhD के दौरान ज्यादातर समय रिसर्च पर ध्यान दिया जाता है। इसका मतलब है कि आप AI से जुड़ी किसी समस्या पर वर्षों तक काम करेंगे और आखिर में एक डिजर्टेशन तैयार करेंगे, जो इस फील्ड में नए ज्ञान का योगदान देगा।
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