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नए सचिवालय के लिए चिह्नित जमीनों पर मांगी गई स्टेटस रिपोर्ट, जान लीजिए क्या है सरकार की पहली पंसद

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नई दिल्ली: दिल्ली सरकार अपने प्रस्तावित इंटीग्रेटेड सचिवालय के निर्माण से पहले यह सुनिश्चित करना है कि जिस जमीन पर नया चाहती सचिवालय बने, उस पर कोई विवाद या स्वामित्व संबंधी समस्या न हो। इसी कारण सरकार ने चिह्नित सभी जमीनों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।

सरकार ने बिल्डिंग विभाग को दिए निर्देश सरकार की ओर से लैंड एंड बिल्डिंग विभाग को निर्देश दिया गया है कि वह उन छह जगहों की पूरी रिपोर्ट पेश करे, जिन्हें सचिवालय निर्माण के लिए चुना गया है। रिपोर्ट मिलने के बाद ही सरकार इनमें से किसी एक जगह को अंतिम रूप देगी। जो जमीनें चिह्नित की गई हैं, इनका स्वामित्व अलग-अलग विभागों के पास है। कुछ स्थान ऐसे भी हैं जिन पर दो विभागों का अधिकार है।

कानूनी मामला या विवाद तो नहीं
सरकार यह जानना चाहती है कि जिन जगहों को प्रस्तावित किया गया है, उन पर कोई कानूनी मामला या विवाद तो लंबित नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार की पहली पसंद आईपी बस डिपो क्षेत्र है, क्योंकि वहां पर पर्याप्त खाली जमीन उपलब्ध है और निर्माण में बाधा की संभावना कम है। सभी जगहों की स्टेटस रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार इंटीग्रेटेड सचिवालय के लिए अंतिम स्थान तय करेगी और उसके बाद निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।


छह जगहों में हुआ चयन
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को कुल छह संभावित जगहों की सूची सौंपी थी। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट ने नए सचिवालय के लिए जगह पर मुहर लगाई है। विदित हो कि इससे पहले छह जगहों का चयन किया गया था कि सचिवालय के लिए कौन सी जगह सही रहेगी। अब जगह का चयन हो गया तो जल्द ही आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।
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