जिस एक्ट्रेस की कहानी आपको बता रहे हैं, उसे भारतीय सिनेमा की पहली बैडगर्ल कहा जाता था। इसकी शादीशुदा एक्टर प्राण के साथ अफेयर की भी खूब खबरें रहीं। इस एक्ट्रेस का नाता एक राजसी परिवार से रहा, पर जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तो इस पर जासूस होने के आरोप लगे और खूब टॉर्चर सहा। यही नहीं, जब सिख-मुस्लिम के दंगे भड़के और लोगों का कत्ल-ए-आम हुआ, तो यह पति और परिवार को छोड़कर लाहौर से बॉम्बे भाग आई।इस एक्ट्रेस का नाम है कुलदीप कौर, जो शाही परिवार से थीं। उन्हें भारतीय सिनेमा की पहली बैडगर्ल कहा जाता था। उनका जन्म ब्रिटिश इंडिया के पंजाब के अमृतसर और लाहौर के बीच स्थित अटारी में हुआ था। वह वहां के लाधरान शाही परिवार से थीं। पर जब दो साल की थीं, तो पिता का निधन हो गया, जिसके बाद परिवार का बुरा हाल हो गया। ऐसे वक्त में कुलदीप कौर और उनकी मां को ताऊ ने सहारा दिया। 14 की उम्र में ताऊ ने करवा दी थी कुलदीप कौर की शादीलेकिन जब कुलदीप कौर की उम्र 14 साल की हुई, तो ताऊ ने उनकी शादी करवा दी। बताया जाता है कि उन्होंने कुलदीप की शादी महाराजा रंजीत सिंह की सेना के सैन्य कमांडर जनरल शाम सिंह अटारीवाला के पोते मोहिंदर सिंह सिद्धू से करवा दी। 16 साल की उम्र में ही कुलदीप कौर मां बन गईं।
अय्याश किस्म का था पति, कुलदीप कौर को भी पार्टियों में ले जातालेकिन कुलदीप कौर के पति काफी अय्याश किस्म के थे। उनका सारा वक्त क्लबों में बीतता। वहां वह दूसरे रईस लोगों के साथ उठते-बैठते, शराब पीते और जुआ खेलते थे। उन पार्टियों में पति ने कुलदीप कौर को भी ले जाना शुरू कर दिया। पार्टियों में फिल्मी हस्तियां भी आती थीं। उन्हें और उनका रहन-सहन देखकर कुलदीप कौर को भी फिल्मों में काम करने का चस्का लग गया। पहली फिल्म मिली, पर ठंडे बस्ते में चली गईतब साल 1943 में कुलदीप कौर को फिल्म 'गर्दिश' मिली, जिसे कर्नल चांद बना रहे थे। लेकिन फिल्म शुरू करने के कुछ वक्त बाद कर्नल चांद के पैसे खत्म हो गए, जिसके कारण यह फिल्म कभी बन नहीं पाई। इसके बाद दूसरे किसी फाइनेंसर के साथ फिल्म की शूटिंग दोबारा शुरू हुई, पर उसकी बीच में ही मौत हो गई। इस तरह कुलदीप कौर की पहली फिल्म ठंडे बस्ते में चली गई।
भारत-पाकिस्तान का बंटवारा और सिख-मुस्लिमों के दंगेउसी दौरान 1947 में भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और बॉर्डर पर सिख-मुस्लिमों को दंगे भड़क गए। लोग सरेआम एक-दूसरे का कत्ल-ए-आम करने लगे। ट्रेनें लाश भर-भरकर आने-जाने लगीं। जो बच वो दूसरे शहर भागकर छुपने की कोशिश करने लगे। परिवार-पति को छोड़ प्राण संग बॉम्बे भाई आईंबताया जाता है कि दंगों के बीच ही कुलदीप कौर और प्राण भागकर लाहौर से बॉम्बे आ गए। वह अपने पति और परिवार को भी छोड़ आईं। दरअसल, जब कुलदीप क्लब में जाया करती थीं, तो वहां उनकी मुलाकात एक्टर प्राण से हुई थी, जो उस वक्त फिल्म 'यमला जट' को लेकर सुर्खियां बटोर रहे थे। कुलदीप ने प्राण की तारीफ की और फिर धीरे-धीरे उनकी मुलाकातों का सिलसिला शुरू हुआ। दोनों के बीच कथित तौर पर नजदीकियां बढ़ गई थीं।
प्राण संग नई जिंदगी और फिल्मी करियर की शुरुआतकुलदीप कौर और प्राण ने बॉम्बे आने के बाद अपनी नई जिंदगी शुरू की। यहां कुलदीप कौर को फिल्मों के ऑफर मिलने लगे और एक्टिंग करियर की शुरुआत हो गई। लेकिन कुलदीप को हीरोइन के नहीं बल्कि विलेन और बैडगर्ल के किरदार मिले। उन्होंने साल 1948 में फिल्म 'चमन' से बॉलीवुड डेब्यू किया था। पाकिस्तानी जासूस होने के लगे आरोपइसके बाद कुलदीप कौर ने 'आधी रात', 'कनीज', 'समाधि' और 'बैजू बावरा' जैसी ढेरों फिल्मों में काम किया। उन्होंने लगभग हर फिल्म में विलेन का रोल प्ले किया। इसी वजह से तब कुलदीप को 'बिगड़ैल औरत' समझा जाने लगा था। वह एकदम बेबाक और निडर किस्म की महिला थीं। तभी तो वह भारत-पाकिस्तान के बंटवारे और तनाव के बीच भी लाहौर आया-जाया करती थीं। पर इसी वजह से उन पर पाकिस्तानी जासूस होने के आरोप लगने लगा। कहा जाने लगा कि कुलदीप भारत की खुफिया जानकारी पाकिस्तान तक पहुंचा रही हैं। इन खबरों का कुलदीप कौर के करियर पर भी बुरा असर पड़ा। साल 1960 में कुलदीप कौर की दर्दनाक मौत, शरीर में फैलता गया जहर3 फरवरी 1960 को कुलदीप कौर की टिटनेस से मौत हो गई। उस वक्त वह 33 साल की थीं। दरअसल, एक फिल्म की शूटिंग के दौरान कुलदीप बीच में वक्त निकालकर शिरडी में साईं बाबा के दर्शन के लिए जा रही थीं। बताया जाता है कि रास्ते में उनके पैर में कांटा चुभा। उस वक्त तो उन्होंने कांटा निकाल दिया और दर्शन करके वापस लौट आईं। फिल्म की शूटिंग शुरू कर दी। लेकिन उन्हें बुखार आ गया। जहां कांटा लगा था, वहां घाव बनने लगा और काफी गहरा हो गया। कुलदीप कौर ने इलाज नहीं करवाया, जिसके कारण जहर पूरे शरीर में फैलने लगा और फिर उनकी दर्दनाक मौत हो गई।

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