पटना: बिहार में मतदाता सूची के सत्यापन को लेकर चुनाव आयोग ने स्थिति स्पष्ट की है। मतदाता 1 सितंबर तक अपने दस्तावेज जमा कर सकते हैं, जबकि गणना फार्म 25 जुलाई तक जमा करने हैं। आयोग ने यह भी बताया कि 2003 की वोटर लिस्ट में शामिल मतदाताओं को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सशक्त लोकतंत्र के लिए शुद्ध मतदाता सूची को अनिवार्य बताया है।
एक सितंबर तक जमा करें दस्तावेज- चुनाव आयोग
बिहार में मतदाता सूची के सघन सत्यापन की समय-सीमा पर सवाल उठाए जा रहे थे। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदाता अपने दस्तावेज 1 सितंबर तक दे सकते हैं। उन्हें गणना फार्म 25 जुलाई तक जमा कराने हैं। जबकि दस्तावेज एक सितंबर तक दिए जा सकते हैं। आयोग के अनुसार, जिन मतदाताओं के नाम 2003 की मतदाता सूची में शामिल हैं, उन्हें कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है। बिहार में ऐसे मतदाताओं की संख्या करीब पांच करोड़ है।
3 करोड़ वोटरों को ही कागज देने की जरूरत
यदि इस लिहाज से देखें तो बिहार के कुल 7.90 करोड़ मतदाताओं में से करीब तीन करोड़ मतदाताओं को ही दस्तावेज देने की जरूरत है। बिहार में चल रहे सघन सत्यापन में मतदाताओं ने उत्साह दिखाया है। अब तक करीब 60 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने गणना फार्म भरकर जमा करा दिए हैं। आयोग ने कहा है कि भारत का निर्वाचन आयोग हमेशा मतदाताओं के साथ खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा। मतदाता सूची को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। चुनाव आयोग ने स्पष्टीकरण जारी कर स्थिति को साफ किया है।
वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने की तारीख
मतदाता सूची में नाम जुड़वाने या उसमें सुधार कराने के लिए भी 1 सितंबर तक का समय है। चुनाव आयोग ने मतदाताओं से अपील की है कि वे सत्यापन प्रक्रिया में भाग लें। इससे मतदाता सूची को शुद्ध और त्रुटि रहित बनाने में मदद मिलेगी। आयोग ने यह भी कहा कि मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प उपलब्ध हैं। मतदाता अपने नजदीकी मतदान केंद्र पर जाकर भी अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा सकते हैं। चुनाव आयोग ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। मतदाता किसी भी जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।
एक सितंबर तक जमा करें दस्तावेज- चुनाव आयोग
बिहार में मतदाता सूची के सघन सत्यापन की समय-सीमा पर सवाल उठाए जा रहे थे। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदाता अपने दस्तावेज 1 सितंबर तक दे सकते हैं। उन्हें गणना फार्म 25 जुलाई तक जमा कराने हैं। जबकि दस्तावेज एक सितंबर तक दिए जा सकते हैं। आयोग के अनुसार, जिन मतदाताओं के नाम 2003 की मतदाता सूची में शामिल हैं, उन्हें कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है। बिहार में ऐसे मतदाताओं की संख्या करीब पांच करोड़ है।
3 करोड़ वोटरों को ही कागज देने की जरूरत
यदि इस लिहाज से देखें तो बिहार के कुल 7.90 करोड़ मतदाताओं में से करीब तीन करोड़ मतदाताओं को ही दस्तावेज देने की जरूरत है। बिहार में चल रहे सघन सत्यापन में मतदाताओं ने उत्साह दिखाया है। अब तक करीब 60 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने गणना फार्म भरकर जमा करा दिए हैं। आयोग ने कहा है कि भारत का निर्वाचन आयोग हमेशा मतदाताओं के साथ खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा। मतदाता सूची को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। चुनाव आयोग ने स्पष्टीकरण जारी कर स्थिति को साफ किया है।
वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने की तारीख
मतदाता सूची में नाम जुड़वाने या उसमें सुधार कराने के लिए भी 1 सितंबर तक का समय है। चुनाव आयोग ने मतदाताओं से अपील की है कि वे सत्यापन प्रक्रिया में भाग लें। इससे मतदाता सूची को शुद्ध और त्रुटि रहित बनाने में मदद मिलेगी। आयोग ने यह भी कहा कि मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प उपलब्ध हैं। मतदाता अपने नजदीकी मतदान केंद्र पर जाकर भी अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा सकते हैं। चुनाव आयोग ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। मतदाता किसी भी जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।
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