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हम नहीं कर सकते है दया... आरोपी ने सामाजिक मूल्यों को नष्ट किया, रिटायर्ड प्रोफेसर दंपती की हत्या में जस्टिस दास ने सुनाई मौत की सजा

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कोलकाता: 'यह सामाजिक मूल्यों के साथ पूरे तरीके विश्वासघात है....।' कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप-मर्डर केस में आरोपी को मौत की सजा सुनाने वाले जस्टिस अनिरबन दास ने एक बार फिर से कड़ा फैसला दिया है। 2015 में चितपुर में सेवानिवृत्त प्रोफेसरों के 70 साल के दंपत्ति की हत्या की गई थी। इस मामले में हत्या का आरोप 35 साल एक व्यक्ति पर लगा था। जस्टिस अनिरबन दास ने इस मामले में 10 साल बाद सजा सुनाते हुए कहा है कि जिसे वे जानते थे और जिस पर वे भरोसा करते थे, "सामाजिक मूल्यों और विश्वास के साथ पूर्ण विश्वासघात" है। ऐसे में कोई भी दया नहीं की जा सकती है। इसके बाद सियालदह कोर्ट ने उनके हत्यारे को मौत की सजा सुना दी। यह फैसला 1 जुलाई को दिया गया। कोर्ट के ऑर्डर की पूरी कॉपी में जस्टिस दास की यह टिप्पणी सामने आई है।





जस्टिस दास ने क्या कुछ कहा?

जस्टिस अनिरबन दास ने इस फैसले में कहा कि आधुनिक न्याय के क्षेत्र में हमें 'आंख के बदले आंख', या 'दांत के बदले दांत', या 'कील के बदले नाखून', या 'जीवन के बदले जीवन' की आदिम प्रवृत्ति से ऊपर उठना चाहिए। लेकिन, साथ ही, हमें क्रूरता, मन की पूर्व-योजना, कोई दया नहीं है। निर्मम हत्या पर विचार करना चाहिए। इसके साथ ही जस्टिस ने बुजुर्ग दंपती की हत्या के आरोपी संजय सेन को मौत की सजा सुनाई। जस्टिस ने कहा कि इस घटना में हत्यारे ने जीवन के सभी मूल्य और सभी आदर्श, सभी मानदंड और दायित्व हवा में उड़ा दिए गए। यह सबसे खराब श्रेणी का मामला है। जस्टिस दास ने अपने फैसले में इस घटना की क्रूरता का जिक्र किया है। इसमें कहा है कि उस दिन साढ़े चार घंटे तक संजय बुजुर्ग दंपति को लोहे की छड़ से पीटता रहा, उनके चेहरे और शरीर को विकृत करता रहा। जस्टिस ने कहा कि यह क्रूरता है। उन्होंने आदेश में कहा कि निर्दोष, असहाय बुजुर्गों पर हमला करना नैतिक रूप से चौंकाने वाला है और समाज के रूप में हमारे द्वारा रखे जाने वाले देखभाल और सम्मान के मूल्यों के खिलाफ है।





कैसे की बुजुर्ग दंपती का हत्या?


जस्टिस ने कहा कि आरोपी ने समय के साथ दंपती के साथ संबंध बनाए, पहले वह मछली विक्रेता था, जिनसे पीड़ित 75 साल के प्राण गोविंद दास नियमित रूप से मछली खरीदा करते थे। फिर उन्होंने उनकी घरेलू सहायिका पूर्णिमा से शादी कर ली और अपना पेशा बदलकर नियमित रूप से रिक्शा चलाने लगे। इसके बाद आरोपी ने बुजुर्ग दंपति पर दबाव डाला कि वे अपने फ्लैट में रहने के लिए एक कमरा आवंटित करें, जिसे पीड़ित ने अस्वीकार कर दिया। दास ने अपने फैसले में कहा कि पीड़ित दोषी पर अपने दैनिक सहायक के रूप में निर्भर थे, लेकिन उक्त दोषी ने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी।
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